आयोग पहली बार बरत रहा सख्ती , बताना होगा हर खर्च
कोरबा@M4S:प्रदेश में निर्वाचन आयोग ने पहली बार सरकारी काम में होने वाले खर्च का हिसाब सभी विभागों से मांगा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि हर बार चुनाव की घोषणा के साथ ही करोड़ों रुपये के बेहिसाब चेक ठेकेदारों के लिए कटते हैं। इस बार खर्च का हिसाब सीधे आयोग द्वारा मांगने से अफसरों में हडक़ंप मच गया है।
विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले ही सभी विभागों ने करोड़ों रुपये के टेंडर निकाले हैं। आदर्श आचार संहिता लागू होते ही उन टेंडर पर अधिकारी अपने हिसाब से खर्च कर रहे हैं। ऐसे में कई गैर जरूरी काम में करोड़ों रुपये खर्च होने की आशंका है। सरकार नहीं होने से इन विभागों में कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसे में निर्वाचन आयोग ने सरकार की जिम्मेदारी निभाते हुए किए जा रहे खर्च का हिसाब मांगा है। इसमें निर्माण एजेंसियां ज्यादा प्रभावित होंगी। आचार संहिता लगने से पूर्व लगाए गए टेंडर में कितनी राशि की गड़बड़ी होती है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई विभागों में ठेकेदारों ने 40 से 50 प्रतिशत तक कम रेट में काम करने के लिए टेंडर डाल दिया है। मतलब विभाग द्वारा तय दर से आधे में काम करने को ठेकेदार तैयार हैं। इसमें रंगरोगन और मरम्मत के काम प्रमुखता से शामिल हैं। इसमें वास्तव में बिना काम के ही ठेकेदारों को भुगतान हो जाता है। चुनाव का समय होने से अधिकारियों पर भी नियंत्रण नहीं होता। ऐसे में आयोग द्वारा जानकारी मांगने से अधिकारी सकते में हैं। अब उन्हें अपने हर टेंडर और उसमें खर्च हो रही राशि का हिसाब सीधे आयोग को देना होगा। अगर अब कोई गड़बड़ी सामने आई तो उन्हें सीधे सेंट्रल को हिसाब देना होगा। इस बीच अधिकारी और ठेकेदार कोई बीच का रास्ता तलाशने में जुट गए हैं।
ELECTION 2018:बेहिसाब चेक काटा तो आयोग का चलेगा डंडा
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