अक्षय तृतीया पर रचाई जाएगी गुड्डा गुडिय़ों की शादी  अबूझ मुहूर्त में शादियों की रहेगी भरमार

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कोरबा@M4S:अक्षय तृतीया को लेकर बाजार में रौनक छा गई है। इस दिन ज्यादातर लोग बिना मुहुर्त देखे शादी-ब्याह आदि मांगलिक कार्यक्रम कराते हैं। पर्व के करीब आते ही इन दिनों बाजार में पारंपरिक खिलौनों ने बाजार की रौनक और बढ़ा दी है। शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर मिट्टी के मटके, गुड्डे-गुडिय़ों एवं अन्य सामानों की दुकानें लग चुकी हैं। अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को है, इस दिन भगवान परशुराम जयंती के साथ अक्ती पर्व पर अनेक धार्मिक एवं मांगलिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।
अक्षय तृतीया को छत्तीसगढ़ में अक्ती तिहार के रूप में मनाया जाता है। वैशाख के महीने में गर्मी की अधिकता रहती है इसलिए शरीर को ठंडा रखने के लिए या बीमारी से बचने के लिए मिट्टी के घड़े का पानी, सत्तू, गुड़, आम, तरबूज आदि का उपयोग करने से पहले उनका दान किए जाने की परंपरा चली आ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में मिट्टी के गुड्डे, गुडिय़ों का विवाह करने की परंपरा वर्षों से बच्चों के माध्यम से निभाई जाती है। जिसका उद्देश्य बच्चों को विवाह का महत्व बताना है। बच्चे भी गुड्डे-गुडिय़ों का विवाह बड़े हर्ष के साथ कराते हैं। मिट्टी के गुड्डे गुडिय़ां शहर के इतवारी, मुड़ापार और बुधवारी बाजार में बिकने लगे हैं। इन दिनों परिधान परिधान, बर्तन, ज्वेलरी से लेकर पूजा तक के सामानों की बिक्री बढ़ी है। मिट्टी के अलावा लकड़ी के भी गुड्डे गुडिय़ां बनाई जाती है। साथ ही मंडप विवाह होते हैं। बर्तन, ज्वेलरी, विवाह, चूड़ी-कास्मेटिक, साज-सज्जा के सामान जमकर बिक रहे हैं। इसके अलावा दुल्हे की पगड़ी, कटार तथा विवाह में लगने वाली पूजा सामग्री जैसे परी, टोकरी, मंगरोहन, नांदी-टोहटी, कलश आदि के सामान जगह-जगह बिक रहे हैं, जहां पूरे समय ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है। विवाह में लगने वाली सभी सामग्रियां भी बाजार में उपलब्ध हैं। इनकी जमकर बिक्री हो रही है। इसमें वास्तविक विवाह जैसे ही मंडप, चूल माटी, देवतला, हरदियाही भांवर आदि की परंपरा निभाई जाती है। शास्त्रानुसार इस दिन सतयुग आरंभ हुआ था। इस दिन ही भगवान विष्णु के नर नारायण, परशु राम, हयग्रीव अवतार होना बताया गया है। इस दिन किए गए सभी शुभ कार्य को शुभ फल देने वाला बताया गया है।
वैवाहिक सीजन के चलते बाजार की रौनक इन दिनों पूरे समय बनी हुई है, भीषण गर्मी के बावजुद ग्रामीण और उपनगरीय इलाकों के लोग दिन में खरीदी कर शाम को घर लौट जाते हैं, इसलिए पूरे समय बाजार में चहल-पहल है। शहर की हर दुकानों में सुबह से रात तक ग्राहकों की भीड़ देखी जा रही है। सराफा, कपड़ा, ऑटोमोबाइल्स, बर्तन, श्रृंगार सामाग्री, कास्मेटिक आयटमों सहित अन्य दुकानों में भी पूरे समय ग्राहकों का तांता लगा रहता है। अनेक छोटे-बड़े दुकानों में काफी भीड़-भाड़ देखी जा रही है। कारोबारी भी इसी सीजन के इंतजार में साल भर रहते हैं। इस साल वैवाहिक मुहूर्त लगातार होने से चारों ओर बैंड, ढोल, ताशा, डीजे की धुन सुनाई दे रही है। आने वाले दिनों में अभी माह भर से अधिक समय तक शादी-ब्याह के मुहूर्त हैं।

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