जमीन देने के बाद भी नहीं मिला रोजगार, 28 जून को मुख्यालय में प्रदर्शन

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कोरबा@M4S: कोयला उत्खनन के लिए अपने पुरखों की जमीन देने वाले किसान दशकों से अर्जित भूमि के एवज में रोजगार पाने यहां-वहां भटक रहे हैं। कोरबा परियोजना अंतर्गत सरायपाली बुड़बुड़ खदान के लिए जमीन देने वाले किसान भी इसमें शामिल हैं। इस परियोजना के पीडि़त किसानों ने विवश होकर 28 जून को एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर का समस्या निराकरण होते तक गेट बंद करने की चेतावनी उच्च प्रबंधन को दे दी है।
सीएमडी के नाम प्रेषित ज्ञापन में भू-विस्थापितों ने बताया कि इस परियोजना के लिए प्रथम चरण में 550 एकड़ भूमि एलए एक्ट के तहत अधिग्रहित की गई थी। जिसका अवार्ड 2007 में किया गया है। अधिग्रहण की प्रक्रिया के दौरान महाप्रबंधक कोरबा ने लिखित में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कटघोरा को पत्र प्रेषित कर जानकारी उपलब्ध कराया था कि अर्जित की जाने वाली भूमि के एवज में किसानों को मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति 1991 के तहत रोजगार दिया जाएगा। ग्रामीण इस बात से आश्वस्त थे, कि उन्हें मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति 1991 के अनुसार रोजगार प्रदान किया जाएगा। प्रबंधन के अधिकारियों ने मध्यप्रदेश पुनर्वास नीति के तहत पात्र व्यक्तियों को पात्रता प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराया था। बताया गया कि तत्कालीन जिलाधीश रजत कुमार ने क्षेत्रीय विधायक अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों, प्रबंधन एवं ग्रामीणों की उपस्थिति में मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति के तहत शीघ्र रोजगार प्रदान करने एवं दूसरे दिन से शिविर लगाकर नामांकन जमा लेने हेतु आदेशित किया था। आदेश के अनुरूप ग्रामीणों ने रोजगार नामांकन जमा किया जिसका रोजगार सत्यापन पूर्ण होने के बाद एकाएक मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति 1991 के स्थान पर कोल इंडिया पॉलिसी 2012 के अनुसार रोजगार देना प्रारंभ कर दिया। रोजगार नीति को अचानक बदलने से ग्रामीण हैरान एवं दु:खी हो गए। तत्काल जिलाधीश से आपत्ति दर्ज कराई, परंतु कार्यवाही नहीं होने से रोजगार सत्यापन पूर्ण होने के बाद रोजगार के लिए भटक रहे हैं। प्रभावितों हेमलाल, परमेश्वर कुमार, जेठिया भाई, बचन बाई, अनिलिका बाई, उषा बाई, अनिता, पूजा ने बताया कि एसईसीएल की अन्य परियोजना आमाडांड, निम्हा, कुहका में भी इसी तरह ग्रामीणों के साथ छल किया गया था। ग्रामीणों के द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर मध्यप्रदेश मे रिट पिटीशन 7968/2009 कोमल केवट विरूद्ध कोल इंडिया लिमिटेड एवं अन्य दायर किया गया था। कोर्ट की शरण में जाने के बाद ग्रामीणों को न्याय मिल गया। बुड़बुड़ सरायपाली के ग्रामीणों ने आवेदन निवेदन करने के उपरांत भी 9-10 वर्षों से भटक रहे हैं। रोजगार के लिए 28 जून को एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर का गेट जाम करने ज्ञापन दिए हैं। इस दिन पीडि़त ग्रामीण पूरे परिवार के साथ आंदोलन में बैठेंगे। ग्रामीण रोजगार के लिए आर-पार की लड़ाई लडऩे के लिए कमर कस ली है।

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