भविष्य निधि जमा न करने पर दंडात्मक आरोपों को कम करने का निर्णय त्रिपक्षवाद का उल्लंघन:दीपेश

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कोरबा@M4S:एटक के प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष दीपेश मिश्रा ने बताया कि श्रम और रोजगार मंत्रालय भारत सरकार ने 14 जून को भारत सरकार के राजपत्र मे पांच अधिसूचनाएं प्रकाशित की है। जिसमें ( जीएसआर 325(ई),जीएसआर 326(ई), जीएस आर(327), जीएसआर 329 (ई) और जीएसआर 330(ई) फंड योजना, पेंशन योजना, ईडीएलआई योजना इत्यादि शामिल है।ये संशोधन इन योजनाओं मे योगदान में चूक करने या देरी करने वाले नियोक्ताओं के खिलाफ लगाए गए दंडात्मक आरोपों को कम करते हैं। उन्होंने आगे बताया कि पूर्व नियमों अनुसार श्रमिकों के वेतन से काटी गई भविष्य निधि केंद्रीय न्यास बोर्ड में नियत समय में जमा न करने पर नियोक्ताओं के प्रति दंडात्मक आरोपों का प्रावधान था। जिसे केंद्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा बगैर चर्चा व बगैर श्रमिकों को अवगत कराए नियमों में परिवर्तन कर इन्हें नियोक्ताओं के पक्ष मे कर श्रमिकों की भविष्य निधि के साथ खिलवाड़ ही नहीं उस पैसे को नियोक्ताओं की इच्छा शक्ति पर छोडऩा श्रमिकों की निधि के साथ खिलवाड़ करने का कार्य किया है। जिसे एटक के राष्ट्रीय महासचिव अमरजीत कौर द्वारा उपरोक्त आधारों पर इस व्यवसाय करने मे आसानी की ,नीति की निंदा करते हुए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के केंद्रीय न्यासी बोर्ड को इन संशोधनों और नियोक्ताओं द्वारा उनके डिफॉल्ट के लिए दंड को कम करके अनुपालन सुधार के तर्क के बारे में श्रमिक संगठनों से चर्चा किए बगैर लागू किया जो सही नहीं है।दीपेश मिश्रा ने कहा कि ऑल इंडिया ट्रेड यूनियनों कांग्रेस एटक मांग करता है यह त्रिपक्षवाद का जो उल्लंघन हुआ है जिससे श्रमिक जगत में श्रम और रोजगार मंत्रालय भारत सरकार के प्रति बहुत रोष है। उनके द्वारा मांग की गई है कि इस अधिसूचना को तुरंत वापस लिया जाए और त्रिपक्षवाद का शक्ति से सम्मान करें।

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