अमरोहा(एजेंसी):गूगल पर सर्च कर आजकल लोग किसी भी विषय के संबंध में जानकारी हासिल कर लेते हैं। परंतु साइबर ठगों ने गूगल पर भी अपना जाल बिछा दिया है। बैंक, किसी कंपनी या विभाग के टोल फ्री नंबर के नाम से उन्होंने अपने नंबर अपलोड कर दिए हैं। कई बार गूगल सर्च करते समय लोगों के हाथ यह टोल फ्री नंबर लग जाते हैं।
उन पर बात करने से वह साइबर ठगों का शिकार बन सकते हैं। जिले में कोई लोग इनका शिकार हो चुके हैं। उनके खातों से रुपये निकाल लिए गए हैं। हालांकि साइबर सेल द्वारा पीड़ितों के रुपये खातों में वापस करा दिए गए हैं, लेकिन उपभोक्ताओं को चाहिए कि वह इन मामलों में सावधानी बरतें।
गूगल से टोल फ्री नंबर लें, लेकिन काल करने से पहले उसकी जांच जरूर कर लें। क्योंकि गूगल पर अधिकांश टोल फ्री नंबर से पहले अंग्रेजी में ‘एड’ यानि विज्ञापन लिखे आप्शन आते हैं। उन्हें देख कर समझ लेना चाहिए कि यह सही नंबर नहीं हैं। लिहाजा उन पर भूल कर भी काल न करें।
इस तरीके से करते हैं ठगी
साइबर ठगी के तरीके का पता लगाने के लिए गूगल पर फोन पे का टोल फ्री नंबर सर्च किया। परिणाम में दिखाए गए नंबर काल की तो महिला ने बात की। उसने दूसरे व्यक्ति को काल ट्रांसफर कर दी। बात करने वाले व्यक्ति ने खुद को कस्टमर केयर का अधिकारी बताया तथा समस्या पूछी।
बताया कि हमें 75 हजार रुपये दूसरे खाते में ट्रांसफर करने हैं। 25-25 हजार कर तीन बार में करना चाहते हैं, परंतु ट्रांसफर नहीं हो रहे। इसपर कथित अधिकारी ने कहा कि अभी पांच मिनट में आपके पास हमारे बड़े अधिकारी की कॉल आएगी। इतना कह कर काल काट दी। ठीक तीन मिनट बाद दूसरे नंबर से काल आई और समस्या पूछी।
बताने पर कथित अधिकारी ने फोन पे खोलने को कहा तथा एक ओटीपी भेजा। ओटीपी पूछकर फोन पे से ट्रांसफर के ऑप्शन में 25 हजार रुपये की धनराशि लिखने की बात कही। चूंकि पड़ताल की जा रही थी, लिहाजा इंटरनेट बंद कर दिया तो ऐसे में साइबर ठग को ओटीपी के माध्यम से फोन पे की कनेक्टिविटी नहीं मिली। लगभग पांच मिनट तक कोशिश करने के बाद साइबर ठग ने काल काट दी। उसके बाद मोबाइल नंबर भी बंद कर लिया।
साइबर ठगी होने पर यहां करें शिकायत
साइबर ठगी होने पर तत्काल शासन के साइबर सेल के टोल फ्री नंबर 1930 पर काल कर शिकायत दर्ज कराएं। अब से पहले 155260 टोल फ्री नंबर भी संचालित था। जिसे बदल कर अब 1930 कर दिया गया है। साथ ही स्थानीय साइबर सेल में भी शिकायत करें।
केस-1
मंडी धनौरा निवासी फौजी जय सिंह की तैनाती जम्मू में है। उन्होंने मोबाइल रिचार्ज किया था। खाते से पैसे कटे, लेकिन रिचार्ज नहीं हुआ। लिहाजा उन्होंने भी गूगल से फोन कंपनी का टोल फ्री नंबर सर्च किया। वह साइबर ठगों का निकला। साइबर ठगों ने उन्हें झांसे में लेकर 11 लाख 35 हजार रुपये निकाल लिए थे।
केस-2
सैदनगली निवासी आमिर हुसैन के साथ भी गूगल के मिले टोल फ्री नंबर के कारण ही 35 हजार रुपये की ठगी हुई थी। उन्होंने स्टेट बैंक आफ इंडिया के कथित टोल फ्री नंबर पर काल की थी। परंतु वह नंबर साइबर ठगों का निकला। तीन मार्च को हुई इस ठगी में उनके खाते से 35 हजार रुपये निकाले गए थे।
केस-3
रजबपुर निवासी विपिन कुमार ने गूगल से फोन कंपनी का टोल फ्री नंबर लिया था। वह साइबर ठगों का निकला। साइबर ठगों ने उनसे मोबाइल में एनी डेस्क एप्लीकेशन इंस्टाल करा ली। उसके बाद ओटीपी लेकर मोबाइल के माध्यम से बैंक खाते में सेंध लगा ली। उनके खाते से 10, 370 रुपये निकाल लिए थे।
बैंकिंग एप में ही होता है टोल फ्री नंबर
अधिकांश लोगों को यह जानकारी नहीं है कि जिस बैंकिंग एप का वह प्रयोग कर रहे हैं उसमें ही टोल फ्री नंबर दिए होते हैं। साइबर सेल के निरीक्षक प्रमोद कुमार ने बताया कि मोबाइल पर बैंकिंग एप से ही लोग पैसों का लेनदेन करते हैं। प्रत्येक एप में ‘कान्टेक्ट अस’ का आप्शन होता है। कोई भी गड़बड़ होने पर गूगल सर्च न कर इस आप्शन से टोल फ्री नंबर ले सकते हैं।
रहें सतर्क, न दें खाते की जानकारी
यदि आप गलती से इस प्रकार के टोल फ्री नंबर पर साइबर ठग के झांसे में आ जाते हैं तो अपने खाते के संबंध में कोई जानकारी न दें। जैसा वह कहे वैसा न करें। ओटीपी भी न बताएं। अन्यथा नुकसान उठा सकते हैं।
मोबाइल एप से पैसों का लेनदेन करने के दौरान कभी भी गूगल से टोल फ्री नंबर न लें। क्योंकि जिस एप का प्रयोग बैंकिंग के लिए कर रहे हैं वहीं पर टोल फ्री नंबर उपलब्ध होता है। साइबर ठगी से बचने के लिए जागरूक होना जरूरी है। ठगी का शिकार होने पर 1930 नंबर पर तुरंत काल करें। -प्रमोद कुमार, निरीक्षक साइबर थाना।