COVID19:कोरोना से जंग को आसान बनाएंगे ये आविष्कार, खिड़की-दरवाजों के हैंडल खुद-ब-खुद होंगे सेनेटाइज

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वाशिंगटन/लंदन(एजेंसियां): कोरोना के कहर से पूरी दुनिया जूझ रही है। वैज्ञानिकों की मानें तो इससे जल्दी छुटकारा भी नहीं मिलने वाला है। लोगों को वायरस के साथ ही जीना सीखना होगा। ऐसे में जरा सोचिए कि आपके पास कोई ऐसा उपकरण हो, जिसे घुमाते ही आसपास मौजूद विषाणु नष्ट हो जाएं तो कितना अच्छा रहेगा। खिड़की-दरवाजों के हैंडल और सीढ़ियों की रेलिंग खुद बखुद सेनेटाइज होती रहेगी तो जिंदगी कितनी आसान बन जाएगी। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक ऐसी ही कुछ कल्पनाओं को हकीकत में बदलने की कोशिशों में जुटे हैं।

स्मार्टफोन की तरह साथ में लेकर घूमिए यूवी उपकरण-
तकनीक
-95 फीसदी विषाणुओं के खात्मे में सक्षम हैं अल्ट्रावायलट विकिरणें
-200 से 300 नैनोमीटर दायरे की विकिरणों से नष्ट होता सार्स-कोव-2

वो दिन दूर नहीं, जब आपके हाथ में एक ऐसी जादू की छड़ी होगी, जिसे घुमाते ही कोरोना वायरस का नामोनिशान मिट जाएगा। जी हां, अमेरिका स्थित पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एक ऐसा अल्ट्रावायलेट उपकरण बनाने की कोशिशों में जुटे हैं, जिसे स्मार्टफोन की तरह साथ में लेकर घूमा जा सकेगा।

शोधकर्ताओं के मुताबिक अल्ट्रावायलट विकिरणें सार्स की तरह ही कोरोना वायरस के जेनेटिक पदार्थ को भी नष्ट करने में सक्षम हो सकती हैं। इनके छिड़काव से सतह पर पनपने की वायरस की क्षमता छीनी जा सकती है। विशेषज्ञ अस्पतालों और सार्वजनिक परिवहन से लेकर विमानों तक को संक्रमणमुक्त बनाने के लिए उच्च मात्रा में यूवी विकिरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, इनका छिड़काव करने वाले उपकरण बेहद भारी और महंगे हैं। लिहाजा अमेरिकी शोधकर्ता इसे एक ऐसे उपकरण में ढालने का उपाय तलाश रहे हैं, जिसे स्मार्टफोन की तरह थामा जा सके।

मुख्य शोधकर्ता रोमन इंगेल हर्बट ने कहा, तीव्र गति की अल्ट्रावायलेट विकिरणें मानव त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। हालांकि, ये 100 से 280 नैनोमीटर तरंग दैर्ध्य के बीच में हों तो खतरा न के बराबर हो जाता है। विभिन्न शोध में 200 से 300 नैनोमीटर की तरंगदैर्ध्य में आने वाली अल्ट्रावायलट विकिरणों को विषाणु के खात्मे में सक्षम पाया गया है। यह रेंज मनुष्य के लिए सुरक्षित है। लिहाजा इसे छोटे उपकरण में ढालने की कवायद भी तेज कर दी गई है।

खुद ही साफ हो जाएंगे खिड़की-दरवाजों के हैंडल-
राहत
-2 से 6 घंटों तक धातु से बनी सतहों पर टिके रहते हैं कीटाणु
-99% विषाणुओं के खात्मे में सक्षम मिला नया प्रायोगिक धातु

कोरोना वायरस से बचाव के लिए खिड़की-दरवाजों के हैंडल साफ करते-करते थक चुके हैं। अगर हां तो खुश हो जाइए। बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एक ऐसी परत बनाने के करीब पहुंच गए हैं, जिन्हें चढ़ाने के बाद धातु से बनी चीजें खुद बखुद सेनेटाइज होती रहेंगी। उन्हें उम्मीद है कि यह धातु साल 2020 के अंत तक बाजार में उपलब्ध हो जाएगा।

शोधकर्ता डॉ. फेलिसिटी डी कोगन के मुताबिक मौजूदा समय में तांबे और चांदी जैसे कई ऐसे धातु मौजूद हैं, जो वायरस को अपने आप नष्ट करने में सक्षम हैं। हालांकि, इनमें रोगाणुनाशन की प्रक्रिया बेहद धीमी होती है। उन्होंने दावा किया कि उनकी टीम जो परत बना रही है, उससे चंद सेकेंड के अंतराल पर रोगाणुनाशक निकलते रहेंगे। यानी सतह पर सेनेटाइजर या डिसइंफेक्टेंट छिड़ककर बार-बार सफाई करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

कोगन ने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सतहों का साफ होना जरूरी है। लोग आखिर कितनी बार खिड़की-दरवाजे के हैंडल और सीढ़ियों की रेलिंग साफ करेंगे। खुद ही साफ होने वाली सतह इस समस्या का समाधान कर सकती है। ऐसे में हम चांदी और तांबे में कुछ बदलाव कर एक ऐसा धातु बनाने के करीब पहुंच गए हैं, जो पलक झपकाते ही रोगाणुनाशक का स्त्राव कर विषाणु को मार गिराएगा।

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