COVID19:याद रहें कोरोना काल…..सजग रहे दुनिया… इसलिए लगाए पौधे….

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तिलकेजा के हायर सेकेण्डरी स्कुल के क्वारेंटाइन सेंटर में रूके प्रवासियों ने पौधारोपण कर कोरोना काल को दी चिर स्थाई स्मृतियां, सजगता का दिया संदेश
कोरबा@M4S:जब तक यह पौधे रहेंगे, कोरोना का यह भीषण संकट लोगों को याद रहेगा, इसी भयावहता, इसकी परेशनियां लोगों की स्मृति में रहेगी… हम मजदरों ने जो दुख-दर्द इस कोरोना के कारण सहे हैंः वैसा कोई और ना रहें, सभी ऐसा काम करें जो मनुष्य जाति के हित में हो इसी पे्ररणा, सजगता और संदेश के साथ हम लोगों ने इस क्वारेंटाइन सेंटर में पौधे रोपे हैं…..। तिलकेजा के हायर सेकेण्डरी स्कूल में क्वारेंटाइन में रह रहे प्रवासी श्रमिकों ने अपने घर जाने से पहले अपनी चिन्हारी इस स्कूल में पे्ररणा स्वरूप रोप दी है। इन मजदूरों ने अपनी मातृभूमि लौटने के लिए कोरोना के कारण जिस संकट का सामना किया है उस संकट से आगे लोगों को बचाने के लिए उसकी याद स्वरूप अपनी चिन्हारी पौधों के रूप  में क्वारेंटाइन सेंटर में छोड़ दी है। तिलकेजा के इस क्वारेंटाइन सेंटर में महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान, उड़ीसा, सहित अन्य राज्यों में काम करने गये प्रवासी मजदूरों को वापस कोरबा लौटने पर प्रशासन ने सभी सुविधाओं के साथ ठहराया है। यहां  शिव सिंह गोंड़, उनकी धर्मपत्नी  लकेश्वरी, उनका पुत्र हर्ष, ग्राम सरईडीह,  करन खरिया, उनकी धर्मपत्नी मनीषा खरिया, उनकी पुत्री अंजू खरिया,ग्राम आमापाली, श्रीमती पारोबाई चंद्रा, प्रमोद चंद्रा, दीपक चंद्रा ग्राम दोंदरो और विजय सोनवानी,  सविता सोनवानी, आरती, पूजा ग्राम पहंदा सहित अन्य प्रवासी श्रमिक ठहराये गये हैं। इन सभी प्रवासी श्रमिकों को भोजन-पानी के साथ बिजली, पंखा, शौचालय तथा नियमित स्वास्थ्य जांच की सुविधाएं दी जा रही हैं। सभी प्रवासियों में अपन घर जाने की जल्दी तो है पर कोरोना संक्रमण से अपने गांव-घर, परिजनो, रिश्तेदारों, दोस्तों को बचाने वे खुशी-खुशी इस सेंटर में रह रहे हैं।
    सेंटर में ठहरे प्रवासी श्रमिक श्री शिव सिंह गोंड़ ने बताया कि वे अपने गांव सरईडीह से काम-काज की तलाश में तेलीबहाली उड़ीसा गए थे। वहां वे रोजी-मजदूरी का काम करते थे। कोरोना के कारण लाॅक डाउन हुआ तो कामकाज ठप्प पड़ गया। बड़ी मुश्किलों से वापस कोरबा लौटे हैं।  शिव सिंह गोंड ने बताया कि अपनी मातृभूमि लौटकर आने पर प्रशासन ने 14 दिन के लिए तिलकेजा के हायर सेकेण्डरी स्कूल में क्वारेंटाइन किया। क्वारेंटाइन सेंटर में 14 दिन तक रूकने की बात सुनकर मन में आया कि हम कहां आकर फंस गये, यहां खाने-पीने की, रहने की व्यवस्था होगी की नहीं, बाहरी प्रदेश में लाॅक डाउन के दौरान फंसे होने के समय जो दुख-दर्द सहें उसका अंत अभी भी नहीं होगा क्या..? यह सब बातें सोचकर मन बहुत विचलित हो गया था। श्री शिव सिंह गोंड ने आगे बताया कि मन में आने वाली चिन्ता, व्याकुलता से पर्दा उठना उस समय प्रारंभ हो गया जब क्वारेंटाइन सेंटर में आते ही हम सबको तथा हमारे सभी सामानों को दवाई से सेनेटाइज किया गया, परिसर में बने भवन में ठहरने का जगह दिखाया गया। भवन के कमरे में प्रवेश करते ही एक पल के लिए सुखद अनुभव हुआ क्योंकि दूसरे प्रदेश से भटकते हुए आते समय भोजन के साथ छाया भी नसीब नहीं हुआ था। साफ फर्श वाले कमरे में अपना सामान रखे, गर्मी का मौसम था, पसीना से तरबतर थे। यहां कमरे में आने के बाद पंखें की हवा ने परेशानी के पसीना को गायब कर दिया। इसी तरह  करन खरिया ने सुखद अनुभव बताते हुए कहा कि सेंटर में सुबह चाय-नाश्ता दिया जाता है। भूख ठीक से लगना शुरू नहीं हुआ रहता, खाना मिलने का समय हो जाता है। फिर शाम को चाय-बिस्किट के साथ शरीर में उर्जा का संचार होने लगता है। रात का भरपेट खाना जल्दी ही मिल जाता है जिससे बच्चों को भी भूखे पेट नहीं सोना पड़ता।  खरिया ने बताया कि सेंटर में नियमित स्वास्थ्य चेकअप होता है, किसी को सर्दी-खांसी तथा कोई भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर दवाई भी दी जाती है। रोज सभी कमरों की साफ-सफाई के साथ सेनेटाइज भी किया जाता है। महिला-पुरूषों के लिए साफ-सुथरी शौचालय की भी व्यवस्था है। बिजली, पानी की कोई समस्या नहीं है। सेंटर में रहते-रहते लाॅक डाउन के दौरान सभी दुख भरे लम्हों को भूल सा गये हैं। प्रशासन द्वारा किया गया व्यवस्था तथा यहां के प्रभारी अधिकारियों का व्यवहार हमें अपनेपन का अहसास दिला रहा है। सभी प्रवासी श्रमिकों ने क्वारेंटाइन सेंटर की व्यवस्थाओं से संतुष्टि जताते हुए कहा कि चैदह दिन का क्वारेंटाइन सुख का अनुभव करा रहा है।  

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