पत्नी और 3 बच्चों को जिंदा जलाने का प्रयास  आरोपी पति को न्यायालय ने सुनाई 10 साल की सजा

- Advertisement -

कोरबा@M4S:पत्नी के चरित्र पर संदेह करते हुए गाली-गलौच कर पत्नी सहित 3 बच्चों को कमरे में बंद कर जिंदा जलाकर हत्या करने का प्रयास किया गया। मामले के आरोपी को न्यायालय ने दोषसिद्ध पाते हुए 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा से दंडित किया है।
अतिरिक्त शासकीय लोक अभियोजक,कोरबा कृष्ण कुमार द्विवेदी ने बताया कि पीड़िता बबुन्ती देवी डुमरिया, थाना शिवधवलिया, जिला गोपालगंज (बिहार), हाल मुकाम साडा कॉलोनी शिव मंदिर के आगे बालको में रहती है। उसकी शादी अजीत पाल से वर्ष 2006 में हुई थी। उसके तीन बच्चे सुधांशु पाल, हिमांशु पाल, प्रीति पाल हैं। शादी के बाद से ही पति उसके चरित्र पर शंका कर आये दिन गाली गुफ्तार कर मारपीट करते रहता था। 14 दिसम्बर 2023 को रात 9 बजे पति अजीत पाल उससे कहने लगा कि वह गलत काम करती है, सुधर जाये नहीं तो उसे जान से मार देगा। पत्नी ने गलत काम नहीं करने की बात कही तो उसे अश्लील गाली गुफ्तार करते हुए,  उसे परिवार सहित जलाकर खत्म कर देगा कहते घर से बाहर निकल गया तथा दरवाजा को बाहर से बंद कर दिया। रात करीबन 10 बजे कमरा के अंदर पेट्रोल की गंध आने पर महिला ने चारों तरफ घूमकर देखा, पर कुछ नहीं दिखा। उसी समय घर के किनारे रखे कूलर में आग लग गई तथा कूलर के ऊपर रखे बच्चों का कापी-किताब, ड्रेस, बैग, कस्टमर के कपड़े, दीवाल घड़ी, पहनने के कपड़े जलने लगे। वह चिल्लाई तब कोई नहीं सुना, तब वह मनोज पाल को फोन कर घर में आग लगने तथा घर का दरवाजा बाहर से बंद होने की बात बतायी। उसके बाद मनोज पाल, पड़ोसी सुधीर चौधरी, नितेश पाल, श्रीराम पाल आकर घर के दरवाजे में लगे ताला को तोड़कर दरवाजा खोले, तब वह बच्चों को लेकर बाहर आयी तथा पड़ोसियों की मदद से आग बुझाई । अजीत पाल उसे परिवार सहित जलाकर मारने की नीयत से घर कर दरवाजा बंद कर घर के दीवाल फटे में पाईप से पेट्रोल डालकर आग लगाया था। उक्त घटना के संबंध में प्रार्थिया बबुन्ती देवी की सूचना पर थाना बालको में अपराध क्रमांक 585/23 धारा 294, 506, 436 भा0दं0सं0 का प्रथम सूचना पत्र दर्ज कर प्रकरण विवेचना में लिया गया। मामला विचारण के लिए न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। न्यायालय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश, कोरबा पीठासीन न्यायाधीश अश्वनी कुमार चतुर्वेदी ने पाया कि अभियुक्त ने जिस परिस्थिति में अपराध किया, वह अपराध को गंभीर बनाता है। अत: प्रकरण के तथ्य एवं संपूर्ण परिस्थिति को दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्त को धारा 307, 436, 342 भा0दं0सं0 के अपराध में क्रमश: 10 वर्ष सश्रम कारावास, 10 वर्ष सश्रम कारावास, 01 वर्ष सश्रम कारावास एवं क्रमश: 300/- रुपये, 300/- रुपये, 300/- रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है। अर्थदण्ड के व्यतिक्रम में अभियुक्त को 2-2 माह अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगताया जायेगा। अभियुक्त को दी गयी कारावास की सभी सजाएँ साथ-साथ चलेंगी।

Related Articles

http://media4support.com/wp-content/uploads/2020/07/images-9.jpg
error: Content is protected !!