जम्मू कश्मीर(एजेंसी):कोरोना वायरस महामारी के चलते देश की अर्थव्यवस्था पर इसकी भारी मार पड़ी है। ऐसे में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार की तरफ से कई चीजों को एक तरफ जहां दोबारा चालू करने की इजाजत दी गई है तो वहीं दूसरी तरफ अब पर्यटन उद्योगों को भी राज्य सरकारें खोल रही हैं।
जम्मू कश्मीर में भी जल्द पर्यटन को दोबारा शुरू कर दिया जाएगा। जम्मू कश्मीर पावर एंड इन्फॉर्मेशन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी रोहित कंसल ने कहा- “जम्मू कश्मीर में पर्यटन को जल्द खोला जाएगा। सरकार जल्द ही इसको लेकर गाइडलाइन्स और स्टैंडर्ड ऑफ प्रोटोकॉल जारी करेगी। उप-राज्यपाल ने आज श्रीनगर में एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान दिशा-निर्देश जारी किए हैं।”
इधर, जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से जारी आदेश के मुताबिक 19 विभागों को उनके रिकॉर्ड के साथ दरबार मूव के तहत श्रीनगर में स्थानांतरित किया गया है। इन विभागों में सामान्य प्रशासन विभाग, कानून एवं न्याय , संसदीय मामलों का विभाग, नागरिक उड्डयन, संस्कृति, संपदा विभाग, वित्त विभाग, फूलों की खेती से संबंधित विभाग, उच्च शिक्षा, आतिथ्य और प्रोटोकॉल, उद्योग और वाणिज्य, सूचना प्रौद्योगिकी, श्रम एवं रोजगार, समाज कल्याण, स्कूली शिक्षा, कौशल विकास , पर्यटन, युवा, सेवा एवं खेल विभाग शामिल हैं।
इसके अलावा वे विभाग जो जम्मू से ही संचालित होंगे उनमें गृह विभाग, योजना, विकास एवं निगरानी, बिजली विकास, राजस्व विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, परिवहन विभाग, जनजातीय मामलों से संबंधित विभाग, पशु, भेड़पालन और मत्स्य पालन, एआरआई और प्रशिक्षण, सहकारिता, आपदा प्रबंधन, राहत एवं पुनवार्स और पुनर्निमार्ण, चुनाव , खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले, वन, पारिस्थितिकी एवं पयार्वरण, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, आवास एवं शहरी विकास, सूचना और जल शक्ति विभाग शामिल हैं।
देश में जम्मू-कश्मीर ही केवल ऐसा केन्द्रशासित प्रदेश है, जहां प्रत्येक वर्ष पूरी सरकार उठकर एक शहर से दूसरे शहर की ओर चली जाती है। अक्टूबर-नवंबर के आस-पास सर्दियों में पूरी की पूरी सरकार, राजधानी और सचिवालय यहां तक की उच्च न्यायालय भी जम्मू आ जाता है और मई के महीने में गर्मियों में यह फिर से श्रीनगर चले जाते हैं। इसके लिए बाकायदा फाइलें, कम्प्यूटर, फनीर्चर, 200 के लगभग ट्रकों में भरकर यहां से वहां जाते हैं। इनसे जुड़े सैकड़ों सरकारी कर्मचारी भी श्रीनगर से जम्मू आते हैं और 6-6 महीने अलग-अलग शहरों में काम करते हैं। जिस पर हर साल 100 करोड़ रुपए खर्च होते हैं।
जम्मू और श्रीनगर के बीच 300 किलोमीटर का फासला है। रिकॉर्ड्स और फाइलों का काफिला तथा कर्मचारियों का दल अलग-अलग जाता है और दोनों को ही पुलिस सुरक्षा में ले जाया जाता है। इसके साथ खाली ट्रक, बसें और क्रैन भी जाती हैं।