छेरछेरा, माई कोठी के धान ल हेरहेरा…  छेरछेरा की रही धूम, बच्चों और युवाओं में रहा उत्साह

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कोरबा@M4S: अन्नदान का महापर्व छेरछेरा पर शहर से लेकर गांव की गली-मोहल्ले में धूम रही। घरों में स्वादिष्ट व्यंजन बनाए गए। बच्चे, युवा, महिला, बुजुर्ग सहित अन्य वर्ग के लोगों ने समूह बनाकर घर-घर पहुंचे। लोगों ने धान, चावल, पैसे सहित अन्न का दान किया। सुबह से देर शाम तक हर गली में लोगों की चहल-पहल रही।


पौष माह की पूर्णिमा तिथि पर छेरछेरा पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। नए फसल के बेहतर उत्पादन की खुशी में लोगों ने महापर्व छेरछेरा पर अन्न का दान दिया। सुबह से बच्चों का समूह घर-घर दस्तक दिया। छेरछेरा, माई कोठी के धान ल हेरहेरा… की आवाज गली-मोहल्ले में दिन भर गूंजती रही। युवा व बुजुर्गों में भी उत्साह देखते ही बनी। झांझ, मंजीरे सहित अन्य वाद्य यंत्रों की धुन पर युवा नाचते-गाते हुए लोगों के घरों तक पहुंचे। समूह के घर पहुंचते ही लोगों ने भी उत्साहपूर्वक उपहार के रुप में धान, चावल सहित अन्य आनाज व सामाग्रियों का दान-पुण्य किए। लोगों ने अन्नदान कर अनाज के बेहतर उत्पादन, परिवार के सुख और समृद्धि की कामना की। घरों में स्वादिष्ट व्यंजन बनाए गए। कई ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने डंडा नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। इस अवसर पर शहरी क्षेत्र के सीतामणी, इतवारी बाजार, मेन रोड, पुरानी बस्ती, रामसागर पारा, पावर हाउस रोड, अमरैय्यापारा, मुड़ापार, बुधवारी, पोड़ीबहार, रामपुर, पंप हाउस, संजय नगर, सीतामणी से लेकर उप नगरीय क्षेत्र कुसमुंड़ा, गेवरा, दीपका, बांकीमोंगरा, बालकोनगर, कटघोरा, पाली, पोड़ी उपरोड़ा सहित सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में पर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह रहा।पौष माह की पूर्णिमा तिथि को जगह-जगह मां शाकंभरी जयंती मनाई गई। मां शाकंभरी की विशेष आराधना की गई।

ग्रामीण क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया छेरछेरा
छत्तीसगढ़ का पारंपरिक पर्व छेरछेरा ग्रामीण क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह से ही बच्चे- युवा व बुजुर्गों की टोली हर घरों में जाकर छेरछेरा कोठी के धान ला हेर हेरा की आवाज लगाते नजर आए, वहीं घर में महिलाओं ने सभी को धान व चावल का दान किया। यह त्यौहार छत्तीसगढ़ का लोकपर्व है जो बड़े से लेकर छोटे बच्चे तक मिलकर बहुत ही उत्साहपूर्वक मनाते है। छेरछेरा त्योहार हर साल पौष मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसी दिन सभी घर के बच्चे इक_ा होकर घर-घर जाकर धान मांगते है और लोग बच्चो को धान को दान भी करते है। छेरछेरा त्योहार मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

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