छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन करेगा आंदोलन नहीं मिल रहा वास्तविक देय परिलब्धियां और सेवा लाभ

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कोरबा। विभिन्न कर्मचारी संगठनों द्वारा लगातार मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपकर आंदोलन की चेतावनी दी जा रही है। मांगों पर निर्णय नहीं लिया तो छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन भी जून में आंदोलन में जाने बाध्य हो सकती है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी और कोरबा जिलाध्यक्ष सर्वेश सोनी, सचिव राजेश राय, संयोजक यज्ञेश पाण्डेय, अजय दुबे, संभागीय महामंत्री विरेन्द्र पाण्डेय, उपाध्यक्ष सौरभ जकारिया ने संयुक्त रूप से कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद से ही कर्मचारी-अधिकारी को उनका वास्तविक देय परिलब्धियां और सेवालाभ मिला होता तो हड़ताल की नौबत नहीं आती। फेडरेशन के पदाधिकारियों ने बताया कि शिक्षक संवर्ग का वेतन विसंगति है। केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्य शासन के पुनरीक्षित वेतनमानों में शासकीय सेवक संवर्गों को केंद्र के समान वेतनमान मिला है, लेकिन शिक्षक संवर्ग इससे वंचित है। सहायक शिक्षक पद पर भर्ती हुए शिक्षकों को आज पर्यन्त त्रि-स्तरीय समयमान स्वीकृत नहीं हुआ है? उनका कहना है कि राज्य के शासकीय सेवकों में से सर्वाधिक संख्या शिक्षकों की है, जिनके अलग-अलग संगठनों में बंटे होने के कारण संख्या बल का प्रभाव कम हो गया है।उनका कहना है कि शिक्षकों के संख्या बल पर दूसरे राज कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 1 जनवरी 2016 से सातवें वेतनमान पर देय गृहभाड़ा भत्ता आज पर्यन्त कर्मचारियों को स्वीकृत नहीं हुआ। केंद्रीय कर्मचारियों को आज सातवें वेतन का 18 प्रतिशत व 9 प्रतिशत गृहभाड़ा भत्ता मिल रहा है। लेकिन राज्य के कर्मचारियों को छठवें वेतन पर 10 प्रतिशत और 7 प्रतिशत गृहभाड़ा भत्ता मिल रहा है। इसके कारण कर्मचारियों के वास्तविक वार्षिक परिलब्धियों में बड़ी आर्थिक क्षति हुआ है। कर्मचारियों को 1 जनवरी 2016 से 30 अप्रैल 2023 तक कुल 88 माह में लाखों की आर्थिक क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि मई में फिलहाल सभी जनप्रतिनिधियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा जा रहा है। कर्मचारियों और उसके परिवार के हित निर्णय नहीं लेने की स्थिति में जून में एकीकृत हड़ताल हो सकती है।

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