कोरबा@M4S:छत्तीसगढ़ का लोक पर्व छेरछेरा धूमधाम के साथ मनाया गया। यह पर्व पौष पूर्णिमा के दिन खास तौर पर मनाया जाता है। यह अन्न दान का महापर्व है। छत्तीसगढ़ में यह पर्व नई फसल के खलिहान से घर आ जाने के बाद मनाया जाता है। सुबह से ही बच्चे, युवक व युवतियां हाथ में टोकरी, बोरी आदि लेकर घर-घर छेरछेरा मांगते रहे। वहीं युवकों की टोलियां डंडा नृत्य कर घर-घर पहुंचती रही। धान मिंसाई हो जाने के चलते गांव में घर-घर धान का भंडार होता है, जिसके चलते लोग छेर छेरा मांगने वालों को दान करते हैं। साथ ही शहरी अंचलों में भी छेरछेरा की धूम रहीद्यछेरछेरा त्यौहार गुरुवार को मनाया गया। इस दिन पौष माह की पूर्णिमा तिथि है। छेरछेरा त्यौहार का कोई शुभ मुहूर्त नहीं होता है पूर्णिमा तिथि को दिन रात शुभ माना जाता है। छत्तीसगढ़ में छेरछेरा त्यौहार जब किसान अपने खेतों से फसल काट एवं मींजाई कर अन्य को अपने घरों में भंडारण कर चुके होते हैं तब यह पर्व पौष माह की पूर्णिमा तिथि अर्थात जनवरी के महीने में मनाते हैं, यह पर्व दान देने का पर्व है किसान अपने खेतों में साल भर मेहनत करने के बाद अपनी मेहनत की कमाई धन को दान देकर छेरछेरा त्यौहार मनाते हैं माना जाता है कि दान देना महा पुण्य का कार्य होता है किसान इसी मान्यता के साथ अपनी धन का दान देकर महान पुण्य का भागीदारी निभाने हेतु छेरछेरा त्यौहार मनाते हैं।इस दिन बच्चे अपने गांव के सभी घरों में जाकर छेरछेरा कह कर अन्न का दान मांगते और सभी घरों में अपने कोठी अर्थात अन्न भंडार से निकालकर सभी को अन्नदान करते हैं गांव के बच्चे टोली बनाकर घर-घर छेरछेरा मांगने जाते हैं बच्चों के अलावा गांव की महिलाएं पुरुष बुजुर्ग सभी वर्ग के लोग टोली में छेरछेरा त्यौहार मनाने घर घर जाकर छेरछेरा दान मांगते हैं।छत्तीसगढ़ में छेरछेरा त्यौहार पौष पूर्णिमा पौष मास शुक्ल पक्ष पुर्णिमा तिथि अर्थात छत्तीसगढ़ी बोली में पूश पून्नी को मनाया जाता है। पौष मास पूर्णिमा तक छत्तीसगढ़ में सभी किसान अपने खेतों से फसल काटकर अपने घरों भण्डारण कर चुके होते हैं, छेरछेरा त्यौहार किसानों एवं अन्न से जुड़ा हुआ त्यौहार है।
थाना प्रभारी से छेरछेरा पाकर खिले चेहरे
जिले में छत्तीसगढ़ का परंपरिक लोक पर्व छेरछेरा उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर चारों तरफ खुशियां ही खुशियां देखने को मिली। इस पर्व को लेकर बच्चों में विशेष उत्साह देखने को मिला। सुबह से ही बच्चों की टोली हाथों में थैला लेकर छेरछेरा मांगने के लिए निकल पड़ी थी। इस दौरान ढोल ताशे के साथ बच्चे बालको थाना पहुंचे और प्रभारी से छेरछेरा मांगा। थाना प्रभारी ने भी बच्चों को निराशा नहीं किया और छेरछेरा के रुप में नकदी रकम दिया जिससे बच्चे खुश हो गए।