बेंगलुरु(एजेंसी): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने पहले सोलर मिशन आदित्य एल1 (Aditya L1) को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। इसके पहले 23 अगस्त को इसरो ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया था। चांद और सूरज के बाद अब इसरो ने एक नया मिशन तैयार किया है। क्या है यह मिशन और इसका उद्देश्य क्या है? आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
इसरो के नए मिशन का नाम क्या है?
दरअसल, इसरो ने खगोल विज्ञान में वैज्ञानिक समझ को आगे बढ़ाने के लिए एक मिशन तैयार किया है। एक्स-रे पोलारिमीटर उपग्रह XPoSat भारत का पहला पोलारिमेट्री मिशन है।
दो पेलोड लेकर जाएगा स्पेसक्राफ्ट
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी की निचली कक्षा में दो पेलोड लेकर जाएगा। पहला पेलोड POLIX (एक्स-रे में पोलारिमीटर उपकरण) आठ-30 keV फोटॉनों की मध्यम एक्स-रे ऊर्जा रेंज में पोलारिमेट्री मापदंडों यानी ध्रुवीकरण की डिग्री और कोण को मापेगा।
दूसरा पेलोड, XSPECT ( एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग) 0.8-1.5 keV की ऊर्जा रेंज में स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी देगा। यह कई प्रकार के स्त्रोतों का निरीक्षण करेगा। जैसे- एक्स-रे पल्सर, ब्लैकहोल, बाइनरी, एलएमएक्सबी, एजीएन और मैग्नेटर्स में कम चुंबकीय क्षेत्र न्यूट्रॉन स्टार।
लॉन्चिंग के लिए तैयार है XPoSat
बेंगलुरु में इसरो के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया XPoSat लॉन्चिंग के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि विभिन्न खगोलीय स्रोतों जैसे- ब्लैकहोल और न्यूट्रॉन तारे जटिल भौतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होते हैं, जिसे समझना चुनौती से भरा हुआ है।
इसरो ने आगामी मिशन पर क्या कहा?
इसरो ने आगामी मिशन पर कहा कि यह भारतीय विज्ञान समुदाय द्वारा एक्सपोसैट से अनुसंधान की प्रमुख दिशा होगा। स्पेक्ट्रोस्कोपिक माप के साथ पोलारिमेट्रिक अवलोकनों से खगोलीय उत्सर्जन प्रक्रियाओं के विभिन्न सैद्धांतिक मॉडलों की विकृति को तोड़ने की उम्मीद है।
पांच साल का होगा मिशन
POLIX 8-30 Kev के ऊर्जा बैंड में खगोलीय अवलोकन के लिए एक एक्स-रे पोलारिमीटर है। उपकरण एक कोलाइमर, एक स्कैटरर और चार एक्सर-रे आनुपातिक काउंटर डिटेक्टरों से बना हुआ है, जो स्कैटरर को घेरे हुए हैं। इसरो के मुताबिक, एक्सपोसैट मिशन पांच साल का होगा।