नई दिल्ली@M4S:सीबीएसई 10वीं और 12वीं की बची हुई परीक्षाओं को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में दोपहर 2 बजे सुनवाई शुरू हुई। सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि 10वीं परीक्षाएं रद्द कर दी गईं है। वहीं सीबीएसई 12वीं की परीक्षाएं वैकल्पिक होंगी।
सुनवाई तीन जजों की बेंच एएम खानविलकर, दिनेश महेश्वरी और संजीव खन्ना के समक्ष हुईं। सीबीएसई और सरकार की तरफ से सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता हैं।
2.00: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं के विषय में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को एक पत्र लिखा है। मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार से कहा है कि 1०वीं और 12वीं की शेष रह गई बोर्ड परीक्षाएं नहीं करवाई जाएं।
12.30: दरअसल बोर्ड ने इससे पहले सुनवाई में कहा था कि बुधवार शाम तक वह फैसला ले लेगा कि परीक्षाएं 1 जुलाई से आयोजित कराईं जाए या नहीं। इसके बाद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले के बारे में बताएगा। वहीं आईसीएसई बोर्ड भी सीबीएसई के फैसले का अनुसरण करेगा। दरअसल देशभर में कोरोना वायरस महामारी के कारण देशभर में परीक्षाएं रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
इसी को देखते हुए कुछ अभिभावकों ने 1 से 15 जुलाई तक होने वाली बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने तथा इंटरनल असेसमेंट के आधार पर छात्रों का रिजल्ट बनाने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी का प्रकोप बढ़ रहा है, परीक्षा के लिए बच्चों को भेजने से उन्हें खतरा हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 जून को पेरेंट्स की याचिका के आधार पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से कहा था कि वह 10वीं 12वीं की बची परीक्षाएं रद्द करने और इंटरनल असेसमेंट के आधार पर रिजल्ट जारी करने के अनुरोध पर विचार करे। कोर्ट ने इसके लिए बोर्ड को एक हफ्ते (23 जून) का समय दिया था। लेकिन 23 जून को बोर्ड ने कोर्ट में कहा था कि सरकार इस मसले पर विचार कर रही है और बुधवार शाम तक इस पर निर्णय ले लिया जायेगा। सीबीएसई ने कहा कि निर्णय की प्रक्रिया काफी आगे पहुंच चुकी है। हम विद्यार्थियों की चिंता से वाकिफ हैं। हम कोर्ट को निर्णय के बारे में परसों सूचित कर सकते हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी।
बताया जा रहा है कि अगर सीबीएसई 10वीं 12वीं की शेष परीक्षाएं रद्द करता है तो इंटरनल असेसमेंट के आधार पर स्टूडेंट्स को ग्रेड दिए जा सकते हैं। यह ग्रेडिंग सिस्टम पूरे देश में लागू होगा। ग्रेड देते समय उन पेपरों में स्टूडेंट्स का प्रदर्शन देखा जा सकता है जो हो चुके हैं।
जो सरकार फैसला लेगी, वही ICSE बोर्ड भी मानेगा
आईसीएसई की परीक्षाओं से संबंधित एक अन्य याचिका पर सुनवाई के दौरान इस बोर्ड के वकील ने पीठ से कहा कि वे सीबीएसई की परीक्षओं के मामले में सरकार के फैसले का ही व्यापक रूप से अनुपालन करेंगे।
महाराष्ट्र सरकार ने ICSE बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति देने से किया इनकार
महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय में कहा कि भारतीय स्कूल परीक्षा प्रमाणपत्र (आईसीएसई) बोर्ड को कोविड-19 की स्थिति के मद्देनजर जुलाई में कक्षा दसवीं और बारहवीं की की लंबित परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। सरकार ने कहा कि उसने इस महामारी के आलोक में राज्य में अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय की अपनी परीक्षाएं भी नहीं कराने का निर्णय लिया है। आईसीएसई बोर्ड ने राज्य में 2 जुलाई से 12 जुलाई तक अपनी लंबित परीक्षाएं आयोजित करने का निर्णय लिया था क्योंकि कोविड-19 महामारी के चलते मार्च में परीक्षाएं आयोजित नहीं करवायी जा सकी थीं। मुम्बई निवासी अरविंद तिवारी ने याचिका दायर करके जुलाई में परीक्षा कराने के बोर्ड के फैसले को चुनौती दी है और दावा किया है कि कोविड-19 के मामले अब भी बढ़ते जा रहे है। तिवारी ने कहा कि आईसीएसई के विद्यालयों द्वारा दिये गये ग्रेड तथा करायी गयी अंदरूनी परीक्षाओं में विद्यार्थियों की पहले के मूल्यांकन के आधार पर परीक्षा परिणाम घोषित करना उपयुक्त नहीं होगा।