आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों में तनाव और अवसाद होना आम बात है। वहीं तनाव के कारण अनिद्रा की शिकायत भी हो जाती है। कई लोग इन दिनों अनिद्रा से पीड़ित हैं। पूरे दिन के कामकाज के बाद शरीर थक जाता है। वहीं रात में जब थकान के बाद लोग बिस्तर पर जाते हैं, तो भी उन्हें नींद नहीं आती। लोगों की शिकायत रहती है कि रात में भी उनका दिमाग काम करना बंद नहीं करता। दिमाग लगातार चलते रहने के कारण उन्हें नींद नहीं आती। लोग सोना तो चाहते हैं लेकिन मन में हो रहे मंथन व तरह तरह के विचार आने के कारण नींद नहीं आती और लोग देर रात तक जागते रहते हैं। नींद पूरी न होने शरीर में थकावट, उलझन, आंखों में दर्द और कई अन्य शारीरिक व मानसिक समस्याएं होने लगती हैं। लेकिन हर किसी के लिए आठ घंटे की नींद लेना जरूरी होता है। ऐसे में रात में दिमाग को शांत रखने और विचारों पर विराम लगाने के लिए कुछ उपाय अपना सकते हैं, जिससे तनाव व अनिद्रा की शिकायत दूर हो सके
मनोवैज्ञानिक आधार पर विचारों के मंथन के कारण नींद न आने की स्थिति किसी के साथ भी हो सकती है। इस अवस्था में पीड़ित की चिंताएं सक्रिय हो जाती हैं और उसे सोने में मुश्किल होती है। पीड़ित के मन में कई तरह के विचार आते हैं। हालांकि तनाव में मात्र अनिद्रा की शिकायत ही नहीं होती। कई बार चिंता व तनाव की अवधि में कई लोग बिस्तर पर जाते ही सो जाते हैं और लंबी नींद लेते हैं। यह स्थिति भी खतरनाक होती है। ऐसे में अगर आप अनिद्रा से पीड़ित हैं तो इसे रेसिंग थाॅट्स यानी विचारों का विचरण कहते हैं। इस अवस्था में लोग आंखे बंद करते जागते हैं।
अनिद्रा और रेसिंग थाॅट्स का कारण
तनाव और चिंता के कारण दिमाग अधिक गतिशील हो जाता है। यह स्थित अधिकतर उस समय होती है, जब आपके आसपास का वातावरण शांत होता है, यानी रात के समय। यह किसी के साथ भी हो सकता है लेकिन रेसिंग थाॅट्स को केवल एंग्जाइटी डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों की समस्या माना जाता है, पर यह जरूरी नहीं है। जिन्हें लगता है कि वह चिंतित वह परेशान नहीं हैं, उन्हें भी यह समस्या हो सकती है। तनाव की यह स्थित किसी भी कारण से हो सकती है, जैसे किसी प्रियजन का निधन, नौकरी छूट जाना, तलाक या परिवार में कोई परेशानी, ट्रांसफर या शोक आदि।