मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव के नतीजे रविवार को जारी कर दिए गए। वहीं मिजोरम के चुनाव परिणाम आज यानी सोमवार को आ गए हैं। तीन राज्यों- मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा को बंपर जीत मिली है, जबकि तेलंगाना में कांग्रेस तो मिजोरम में जेडपीएम को बहुमत मिला है।
देश के पांच राज्यों में हुए चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने कौन-सी रणनीति अपनाई? कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा फिर भी पार्टी क्यों हार गई चुनाव? कांग्रेस और भाजपा के कितने बागियों को मिली जीत? यहां पढ़िए ऐसे ही 10 चौंका देने वाले फैक्ट …
राजस्थान: चुनावी मैदान में इन सात सांसदों को उतारा
- दीया कुमारी: भाजपा ने जयपुर की राजकुमारी और राजसमंद सीट से सांसद दीया कुमारी को विद्याधर नगर विधानसभा सीट से मैदान में उतारा था। दीया कुमारी 71368 वोटों से चुनाव जीती हैं। दीया इससे पहले सवाई माधोपुर विधानसभा सीट विधायक भी रह चुकी हैं। बता दें कि दीया ने साल 2013 में भाजपा से ही अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी।
- राज्यवर्धन सिंह राठौड़: भाजपा ने जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को झोटवाड़ा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था। राज्यवर्धन इस सीट से 50167 वोट से चुनाव जीते हैं। राठौड़ पूर्व निशानेबाज रहे हैं और केंद्र सरकार मंत्री भी।
- बाबा बालकनाथ: भाजपा ने अलवर से सांसद बाबा बालकनाथ को तिजारा विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। बालकनाथ ने कांग्रेस प्रत्याशी इमरान खान को 6173 वोटों से हराया है। बता दें कि बाबा बालकनाथ नाथ संप्रदाय के आठवें प्रमुख महंत हैं और मस्तनाथ विश्वविद्यालय के चांसलर भी।
- डॉ. किरोड़ी लाल मीणा: बीजेपी ने राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को सवाई माधोपुर सीट से टिकट दिया था। मीणा ने 22510 वोटों से कांग्रेस के दानिश अबरार को हराया है। बता दें कि मीणा की छवि किसान नेता की है और वह भाजपा के टिकट पर कई बार विधायक और सांसद चुने जा चुके हैं।
- भागीरथ चौधरी: भाजपा ने अजमेर सीट से सांसद भागीरथ चौधरी को किशनगढ़ विधानसभा सीट से मैदान में उतारा था। यह विधानसभा सीट अजमेर जिले में ही आती है। साल 2013 में भागीरथ किशनगढ़ सीट से विधायक रह चुके हैं, लेकिन इस बार वह 46111 वोटों से मात खा गए।
- देवजी पटेल: भाजपा ने जालोर सिरोही के सांसद देवजी पटेल को सांचौर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वह 64983 से हार गए। बता दें कि देवजी पटेल जालोर सिरोही लोकसभा सीट से साल 2009, 2014 और 2019 में लगातार सांसद चुने जा चुके हैं।
- नरेंद्र कुमार: भाजपा ने झुंझुनूं के सांसद नरेंद्र कुमार खीचड़ को मंडावा विधानसभा सीट से चुनावी जंग में उतारा था, लेकिन उन्हें 18717 वोटों से शिकस्त मिली है। बता दें कि मंडावा सीट झुंझुनूं जिले में आती है। वह अपने क्षेत्र में ‘प्रधान जी’ के नाम से लोकप्रिय हैं। वह साल 2013 और 2018 में विधानसभा चुनाव जीते, लेकिन इस बार हार गए।मध्यप्रदेश में: इन सांसदों पर लगाया था दांव
- नरेंद्र सिंह तोमर: भाजपा ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी विधानसभा सीट से चुनाव खड़ा किया था। नरेंद्र सिंह तोमर ने 24461 वोटों से दिमनी के विधायक रविंद्र सिंह तोमर को हराकर चुनावी जंग जीत ली।
- प्रहलाद पटेल: बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल महाकोशल की सीट नरसिंहपुर से चुनाव मैदान में उतारा था। प्रहलाद पटेल ने 31310 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी लखन सिंह पटेल को हराया है।
- राकेश सिंह: भाजपा ने जबलपुर से सांसद राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। राकेश सिंह ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री तरुण भनोट को 30134 वोटों से हराकर चुनावी जंग जीत ली है।
- उदय प्रताप सिंह: भारतीय जनता पार्टी ने सांसद उदय प्रताप सिंह को नरसिंहपुर की गाडरवाड़ा विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। उन्होंने 56529 से कांग्रेस की सुनीता पटेल को मात दी है।
- रीती पाठक: बीजेपी ने सांसद रीती पाठक को सीधी विधानसभा सीट से चुनावी जंग में उतारा था। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला था। कांग्रेस ने ज्ञान सिंह को टिकट दिया था तो भाजपा के बागी केदार शुक्ल भी मैदान में थे। हालांकि, रीती पाठक ने 35418 वोटों से जीत दर्ज की है।
- फग्गन सिंह कुलस्ते : भाजपा ने केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को निवास विधानसभा सीट से टिकट दिया था, लेकिन फग्गन सिंह कांग्रेसी प्रत्याशी चैन सिंह से 9723 वोटों से हार गए।
- गणेश सिंह: भाजपा ने सांसद गणेश सिंह को सतना विधानसभा से चुनावी मैदान में उतारा था। गणेश सिंह की टक्कर कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाहा से थी। इस सीट पर गणेश सिंह 4041 वोटों से सिद्धार्थ कुशवाहा से हार गए।
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छत्तीसगढ़: चाचा-भतीजे के मुकाबले में हार गए विजय बघेल
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तेलंगाना: एक भी सांसद नहीं जीता
तीन राज्यों में नहीं खुला BSP का खाता, राजस्थान में मिली दो सीटें
मायावती का पार्टी बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में अपने उम्मीदवार उतारे। घोषणापत्र में मोबाइल फोन और वॉशिंग मशीन देने समेत कई बड़े-बड़े वादे भी किए। इसके बावजूद तीन राज्यों – मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में खाता भी नहीं खोल पाई। राजस्थान में महज दो सीटें – सादुलपुर और बारी जीत सकी।
बसपा को मध्यप्रदेश में 3.32%, छत्तीसगढ़ में 2.09%, राजस्थान में 1.82% और तेलंगाना में 1.38% वोट मिले, जोकि साल 2018 के चुनाव की तुलना में बहुत कम है। बता दें कि बसपा को मध्यप्रदेश में 5.01%, छत्तीसगढ़ में 3.87% और राजस्थान में 4.03% वोट मिले थे। 2018 में राजस्थान में छह, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दो-दो सीटों पर जीत दर्ज की थी।
मप्र में सपा को नोटा से भी कम वोट मिले
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में हैरान करने वाली बात यह है कि अखिलेश यादव की पार्टी सपा 69 सीटों पर चुनाव लड़ी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुद प्रचार करने पहुंचे थे। इसके बावजूद जीत तो दूर सपा को नोटा से भी कम यानी 0.43 प्रतिशत वोट मिले हैं।
कांग्रेस-भाजपा के बागियों को मिली जीत
राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा से बगावत करके कई उम्मीदवारों ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। इनमें से भारतीय जनता पार्टी के छह बागी चुनाव जीत गए। इनमें चित्तौड़गढ़ से चंद्रभान सिंह आक्या, बयाना से डॉ. ऋतु बनावत, सांचौर से जीवाराम चौधरी, बाड़मेर से डॉ. प्रियंका चौधरी, डीडवाना से यूनुस खान और शिव रविन्द्र सिंह भाटी जीते हैं। वहीं कांग्रेस बगावत कर हनुमानगढ़ से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले गणेशराज बंसल को भी जीत मिली है।
चार राज्यों में एक भी निर्दलीय नहीं जीता
राजस्थान विधानसभा चुनाव में आठ निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है, जबकि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में एक भी निर्दलीय प्रत्याशी नहीं जीता है।
कांग्रेस हारी, लेकिन वोट शेयर बरकरार
राज्य वोट प्रतिशत
- राजस्थान – 39.53% (0.2% बढ़ा)
- तेलंगाना – 39.40% (11% बढ़ा)
- छत्तीसगढ़ – 42.23% (0.8% कम हुआ)
- मध्यप्रदेश – 40.40% (0.5% कम हुआ)
- मिजोरम – 20.82% (9.48% कम हुआ)
मप्र में BJP के 27 और कांग्रेस के 60 विधायक हारे
मध्यप्रदेश चुनाव में बेशक लाड़ली बहना की लहर और मोदी प्रभाव नजर आया। इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी के 99 विधायकों में 27 विधायक और 31 मंत्रियों में से 12 मंत्री अपनी सीट नहीं बचा पाए। वहीं कांग्रेस के 85 विधायकों में से 60 विधायक हार गए।