कोरबा@M4S:स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना चैतमा छेत्रीय निर्देशालय भोपाल ,राज्य एन एस एस अधिकारी डॉ नीता बाजपेयी, अटल बिहारी वाजपेयी विश्विद्यालय बिलासपुर डॉ मनोज सिन्हा समन्वयक,लोकमाता समिति कोरबा, जिला संगठक प्रो वाय के तिवारी, प्राचार्य संरक्षक चंद्राणी सोम के निर्देश पर वीरेंद्र कुमार बंजारे कार्यक्रम अधिकारी रासेयो के मार्गदर्शन में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर को याद किया गया।
प्राचार्य चंद्राणी सोम ने बताया कि
अहिल्याबाई होलकर एक महान भारतीय शासिका थीं, जो अपने न्यायप्रिय, धार्मिक और प्रजावत्सल शासन के लिए प्रसिद्ध हैं। अहिल्याबाई होलकर जन्म 31 मई 1725 चौड़ी गाँव जमनापुर निधन 13 अगस्त 1795 महेश्वर अहिल्याबाई का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम माणकोजी शिंदे था। वीरेंद्र कुमार बंजारे कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि बचपन से ही वह धर्मपरायण और कुशाग्र बुद्धि की थीं। मालवा के शासक मल्हारराव होलकर ने उनके गुणों को देखकर अपने पुत्र खंडेराव होलकर से उनका विवाह कराया।विवाह और संघर्ष खंडेराव होलकर की कम उम्र में ही युद्ध के दौरान मृत्यु हो गई। इसके बाद, उनके ससुर मल्हारराव ने उनका मार्गदर्शन किया। 1766 में मल्हारराव के निधन के बाद अहिल्याबाई ने स्वयं शासन का भार संभाला।
शासनकाल अहिल्याबाई ने महेश्वर को अपनी राजधानी बनाया।
उन्होंने न्यायपूर्ण और धर्मनिष्ठ शासन किया।
सड़कों, कुओं, मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया।काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर समेत भारत के कई तीर्थ स्थलों का पुनर्निर्माण कराया।
गरीबों, किसानों और व्यापारियों के हित में कई योजनाएँ चलाईं।
सैनिक और प्रशासनिक सुधार किए और अपने राज्य को समृद्ध बनाया।
वे स्वयं न्यायालय में बैठती थीं और जनता की समस्याएँ सुनती थीं।
उनका शासनकाल “सुशासन” का आदर्श उदाहरण माना जाता है।
उन्होंने महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण के लिए भी कार्य किया।
13 अगस्त 1795 को महेश्वर में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के बाद भी उनकी छवि एक आदर्श शासक के रूप में बनी रही। सहयोगी शिक्षक धनराज सिंह, प्रज्ञा दास, विंध्यराज, नबीउल्ला सिद्दिकी, आशीष उपाध्याय,मुरारी लाल धीवर, चंद्रमुखी साहू, पूनम जायसवाल, निष्ठा जायसवाल एवं स्वंय सेवक विनय दास, थानेश्वर पटेल, पीयूष तंवर, अश्वनी कैवर्त्य , पंकज, श्वेता, सानिया, ज्योति, विमलेश्वरी, ज्योति, सिमाक्षी, तमन्ना, रोशनी, हिमानी, संध्याने अहिल्याबाई होलकर की जीवन गाथा को जाना।