UIDAI ने राज्यों को दिए दिशा- निर्देश
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआई) ने भी इस संबंध में राज्यों को दिशा- निर्देश दिए है। जिसमें साफ तौर यह कहा गया है कि आधार संख्या के अभाव में किसी बच्चे को उनके लाभों या अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है।
सांसदों ने इस मुद्दे पर सरकार से पूछा था सवाल
लोकसभा में कांग्रेस सांसद शशि थरूर सहित दूसरे सांसदों ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से पूछा था कि क्या राज्यों में सरकारी स्कूलों में प्रवेश के लिए आधार संख्या को अनिवार्य कर दिया गया है, क्योंकि प्रत्येक राज्य अब अनिवार्य रूप से इसकी मांग कर रहे है। उनका सवाल था कि राज्य यह कैसे कर सकते है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इसकी अनिवार्यता पर रोक लगा रखी है।
क्या है मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में ?
इसके जवाब में शिक्षा मंत्रालय ने कहा था कि शिक्षा वैसे समवर्ती सूची की विषय है। बावजूद इसके राज्यों को निर्देश दिया है कि वह स्कूलों में प्रवेश के लिए इसे अनिवार्य नहीं कर सकते है। इस संबंध में मंत्रालय ने एक अधिसूचना भी जारी कर रखी है।
जिसमें साफ कहा है कि स्कूलों में प्रवेश या फिर केंद्र संचालित ऐसी भी योजना के लाभ से ऐसे किसी भी बच्चे को वंचित नहीं कर सकते है,जिसके पास आधार नहीं है। यदि किसी बच्चे के पास आधार नहीं है तो प्रमाणीकरण के लिए दूसरे दस्तावेज को इस्तेमाल में लिया जा सकता है। इसके लिए बच्चों को बाध्य नहीं किया जा सकता है।
बड़े स्तर पर पकड़ में आयी गड़बड़ियां
स्कूलों में आधार की अनिवार्यता को लेकर यह सवाल ऐसे समय उठे है, जब छात्रवृत्ति सहित दूसरी योजनाओं की गड़बड़ियां को रोकने और छात्रों तक सीधे उसका लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें आधार से जोड़ा जा रहा है। इन सभी योजनाओं को आधार से लिंक करने के बाद बड़े स्तर पर गड़बड़ियां पकड़ में भी आयी है। गौरतलब है कि स्कूलों में आधार की अनिवार्यता का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है। जिसके बाद ही कोर्ट ने इसे अनिवार्य बनाए जाने पर रोक लगा दी थी।