नई दिल्ली:कोरोना के संक्रमण की वजह से इन दिनों दो शब्द क्वारंटीन व आइसोलेशन स्वास्थ्य कर्मियों से लेकर आम लोगों तक की जुबान पर हैं। इन दोनों के अलग मायने हैं। चिकित्सकीय भाषा में कोरोना संदिग्ध मरीज के लिए क्वारंटीन शब्द का प्रयोग किया जाता है, जबकि पॉजिटिव मिले मरीजों के लिए आइसोलेशन शब्द का प्रयोग हो रहा है। आप भी जानिये दोनों में बुनियादी तौर पर क्या अंतर है।
क्या है आइसोलेशन इसमें संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखा जाता है और दूसरे लोगों से दूरी बनी रहती है। जब तक बहुत जरूरी न हो कोई भी उस कमरे में नहीं जाता है।
संक्रमण का शक हो तो आइसोलेशन के दौरान हवादार कमरे में रहें। अलग बाथरूम का इस्तेमाल करें। हॉस्पिटल न जाएं। जांच करानी हो तो फोन से सूचना दें, जिससे स्वास्थ्य विभाग की टीम सुरक्षित तरीके से सैंपल ले सके। जांच के लिए लार देते समय सावधानी बरतें। सांस लेने में परेशानी हो तो तत्काल डॉक्टर से बात करें। जरूरत के हिसाब से अस्पताल में रहें। अपने आप से दवा न लें। सार्वजनिक यातायात, कैब, टैक्सी आदि से भी बचें।
क्वारंटीन का मतलब आपके लिए क्या है
इसमें घर के एक कमरे में अलग रहना होता है। परिवार के सदस्य या किसी बाहरी से सीधा संपर्क नहीं रखा जाता है। संदिग्ध के कमरे में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं जाए। बाथरूम नियमित तौर पर साफ हो। दूसरा व्यक्ति इसे इस्तेमाल न करे। संदिग्ध से छह फीट दूर रहना चाहिए। बाहर निकलें तो मास्क पहन लें । घर में अकेले हैं तो अपना जरूरी सामान किसी से मंगवाए। एक ही किचन है तो एक ही व्यक्ति वहां जाए। खुद किचन में जाने से बचें। बार-बार साबुन से हाथ धुलते रहें। अपना कचरा इधर-उधर न फेंके।
कोरोनावायरस के खौफ के बीच क्वारेंटाइन शब्द को केंद्र सरकार ने अपनी एडवाइजरी में शामिल किया है। क्वारेंटाइन का मतलब घर, अस्पताल, फार्म हाउस, होटल, जैसी जगहों पर व्यक्ति को आइसोलेट कर देना होता है। जिससे शख्स लोगों के संपर्क में न आए। इस दौरान मरीज को १४ दिनों तक आने जाने या फिर किसी और से संपर्क करने से रोका जाता है। यह कोरोनावायरस से बचाव का एक तरीका भी है। इससे जुड़े कई सवालों के जवाब भोपाल के स्टेट कोरोना कोऑर्डिनेटर डॉ. लोकेंद्र दवे ने दिए हैं। जानिए क्वारेंटाइन में क्या करें और क्या न करें…
#क्वारेंटाइन होम आइसोलेशन किनके लिए जरूरी है?
ऐसे लोग, जो कोरोना संक्रमित देश, प्रदेश अथवा शहर से आए हैं। यह लोग भले ही स्वस्थ हों, लेकिन कोरोना वायरस के कॅरियर अथवा मरीज हो सकते है। इन्हें नजदीकी अस्पताल में जांच कराना चाहिए। इसका वायरस १४ दिन तक ग्रो कर सकता है, इसलिए इन लोगों को घर में एक आइसोलेट होने की जरूरत है। अगर संबंधित व्यक्ति के पास घर में आइसोलेशन के लिए स्थान नहीं है। वह क्वारेंटाइन सेंटर में रह सकता है।
# होम आइसोलेट होने पर क्या करें?
१४ दिन की अवधि उसी कमरे में बिताना है।
परिवार के लोग यदि मिलना चाहें तो दो मीटर की दूरी से मिली। क्वारेंटाइन पेशेंट मास्क या रुमाल मुंह पर लगाएं।
हाथों को बार-बार साबुन पानी से धोते रहें।
खुद में कोरोना के लक्षणों को देखें, कहीं कोई लक्षण डेवलप तो नहीं हो रहा। अगर गले में खराश हो, सर्दी-खांसी हो, बुखार जैसा लगे तो तत्काल अस्पताल में जांच कराने जाएं।
होम आइसोलेशन अथवा क्वारेंटाइन में रखने का मतलब यह नहीं है कि संबंधित व्यक्ति कोरोना का पॉजिटिव अथवा संदिग्ध मरीज है। इसलिए घबराएं नहीं। बेझिझक बताएं कि मैं क्वारेंटाइन पीरियड में हूं। मुझसे आप दूर रहें।
# होम आईसोलेशन से होता क्या है?
कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है अथवा वायरस की कॅरियर स्टेज में है। ऐसे व्यक्ति का होम आइसोलेशन करने पर वायरस की संक्रमण की कड़ी ब्रेक होती है।
#परिवार व आस पड़ोस के लोग क्या करें?
जिस व्यक्ति को क्वारेंटाइन में रखा गया है। उसके प्रति दुर्भावना न रखें। वह हमारी बेहतरी के लिए है।
संबंधित व्यक्ति को मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित न करें। यह बहुत आपत्तिजनक है।
जिस व्यक्ति के घर के बाहर होम क्वारेंटाइन का बोर्ड लगा हो, उसका फोटो खींचकर, सोशल मीडिया पर पोस्ट न करें। क्योंकि संबंधित मकान में रह रहा व्यक्ति केवल निगरानी में है। वह बीमार नहीं है।
# इस दौरान क्या कतई न करें?
क्वारेंटाइन में रह रहे व्यक्ति से सहानुभूति रखें । लेकिन, उत्साह में उससे गले न मिलें। हाथ न मिलाएं।
जो संदिग्ध मरीज किराए गए मकान में रह रहे हैं और उन्हें क्वारेंटाइन में रहने कहा गया है तो संबंधित से मकान खाली करने को न कहें। वह किसी एसी बीमारी का मरीज नहीं है, जो हवा से फैलती हो।
#हॉस्पिटल में क्यों क्वारेंटाइन में रखा जाता है?
जिन लोगों को घर में आइसोलेशन में रहने की सुविधा ना हो या संबंधित की विश्वसनीयता पर संदेह हो कि वह होम आइसोलेशन के नियमों का पालन नहीं करेगा। ऐसे व्यक्तियों को
कर्टसी:हेल्थ डेस्क(दैनिक भास्कर)/अमर उजाला