कोरबा@M4S:वर्ष 1985 में कटघोरा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम डगनियाखार की सैकड़ों किसानों की निजी भूमि अपने राखड़ डेम बनाने के लिए तत्कालीन मध्य प्रदेश विद्युत मंडल के द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया था। उस समय गांव के कुछ किसानों अथवा उसके परिवार के सदस्यों को अपने छोटे-मोटे कर्मचारी के रूप में नौकरी दिया गया किंतु बिना पढ़े लिखे होने का हवाला देकर 54 किसानों को नौकरी के लिए अपात्र करार दे दिया गया जिसके बाद यहां के किसानों ने अपने जमीन के एवज में परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी की मांग पर मुआवजा लेने से ही इंकार कर दिया किंतु 3 दशक बीत जाने के बावजूद भी उक्त किसानों की सुध नहीं ली गई और वह सभी 54 खातेदारों को आज तलक जमीन के एवज में मुआवजा तक प्रदान नहीं किया गया है और सभी किसान अपने जमीन खोने के बावजूद मुआवजा और रोजगार के लिए भटक रहे हैं इस संबंध में छत्तीसगढ़ अलग राज्य बन जाने के बाद भी नई सरकार ने भी सुध नहीं लिया है ।
ऊर्जाधानी भू विस्थापित संगठन न्याय दिलाने के लिए आगे आयी
ग्राम डगनियाखार के भू विस्थापितों को हर खाते में एक रोजगार और 1985 से अब तक ब्याज सहित मुआवजा एवं 2013 के तहत सारी सुविधाएं मुहैया कराने की मांग उर्जा धानी भूवि- स्थापित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने की है। उन्होंने बताया कि 35 सालों के लंबे अंतराल के बाद भी तथा सरकार बदलने के बावजूद किसानों को सुध लेने के लिए शासन और प्रशासन सामने नहीं आई है इसके खिलाफ आगे की लड़ाई लड़ी जाएगी और किसानों को उनका अधिकार दिलाया जाएगा उन्होंने बताया कि किसानों की इस मांग पर गांव में एक मीटिंग किया गया और आगे की रणनीति तैयार की गई है जिसके तहत मांग पत्र तैयार कर सीएसईबी के आला अधिकारियों से मिलकर मांग पत्र दी जाएगी ।
बैठक के दौरानमहेंद्र भवन सिंह संपत सिंह कंवर मानसिंह छेदीलाल शंकर सिंह लोकनाथ भंवर सिंह अमर सिंह देशराज हुलास सिंह सुभाष सिंह कलम सिंह हरिश्चंद्र गोपाल सिंह त्रिभुवन सिंह ठाकुर राम यादव रघुवर सिंह दादू लाल सोनी दिलबाग सिंह कैलाश सिंह साधारण सिंह राजू सिंह तुलसा यादव केशव सिंह संभल यादव बूंद राम यादव अनूप सिंह संतलाल मनप्रीत सिंह सहित सभी प्रभावित किसान शामिल हुए थे।