बिलासपुर@M4S:लुतरा शरीफ शंहेशाहे छत्तीसगढ़ के नाम से मशहूर सुफी बाबा हज़रत सैय्यद इंसान अली शाह का पांच दिवसीय ६१वां सालाना उर्स मुबारक पर सुबह १० बजे इंतेजामिया कमेटी दरगाह,ग्राम पंचायत,मुस्लिम जमात,चादर शिरनी दुकान ग्रामवासियों के द्वारा भाईचारे के साथ मिलकर बाबा सैय्यद इंसान अली के दरबार में सदभावना का प्रतीक चादर पेश कर देश प्रदेश के खुशहाली अमन चैन की दुआ मांगी गई, परचम कुशाई के साथ उर्स का आगाज़ किया गया, साथ ही इंतेजामिया कमेटी दरगाह लुतरा शरीफ के चेयरमैन हाजी सैय्यद अकबर बक्शी ने बताया कि कमेटी सदस्यों के साथ मिलकर हजरत बाबा सैय्यद इंसान अली शाह के १४ दिसम्बर से १८ दिसम्बर २०१९ के सालाना उर्स का आगाज परचम कुशाई से किया गया जंहा आगे बढ़ते हुए कार्यक्रमों की तैयारियों को लेकर पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि हमारे सालाना उर्स के तैयारी में सबसे बड़ा योगदान जिला एवं स्थानीय प्रशासन का रहा साथ ही आज १५ दिसम्बर को १२;४० बजे गुस्ल म़जारे पाक बाबा हुजूर दोपहर २;०० से ४;०० बजे तक महफिले समा सरवर हुसैन साबरी एंड पार्टी रायगढ़ शाम ४;०० बजे शाही संदल व चादर पोशी रात्रि ९;००बजे महफिले समा कव्वाली का शानदार प्रोग्राम अनीस नवाब एंड पार्टी अहमदाबाद का होगा साथ ही उर्स की मुबारक बाद दिया गया इस मौके पर कमेटी के सभी मेम्बर मोहम्मद खां दरोगा गौठिया, मोहम्मद इस्माइल साहब, हाजी आदम मोहम्मद, मो रफीक मेमन,मुस्लिम जमात के सदर सज्जाद खान, हाजी अनवारूल हक,हाजी सैय्यद हुसैन सहजादा ताजी,शेख हमीद,विश्राम सिंह मेरावी सरपंच प्रतिनिधि दुर्गा साहू, संतोष गंधर्व, हाजी मोहम्मद शरीफ साबरी, शेख निजामुद्दीन,मोहम्मद नजीर हुसैन, कासीम अंसारी,हाजी करीम बेग,अब्दुल वहाब खान,हाजी अहमद अली,ताज सिद्दीकी,मोहम्मद शहीद, इम्तियाज अली राजू, शेख जकीउद्दीन ,डा़,उस्मान गनी, शहमत खान,युनूस रजा, मुस्तफा खान,सिराज मेमन,आदि मौजूद रहेसालाना उर्स में दूर दूर से आऐ जायरिनों के लिए २४ घंटे शुद्ध शाकाहारी शाही लंगरलंगर तक्शीम करने वाले रायगढ़ धरमजयगढ नूनबिर्रा आदि जगहों से पांच दिनों तक घर बार छोड़ कर बाबा साहब के खिदमत सेवा करने के लिए हर साल आते हैं जंहा दिन रात लंगर भोजन तक्शीम किया जाता है जंहा बाबा सैय्यद इंसान अली शाह के जायरिनों की सेवा करते हैं और इस सेवा में ही इनको खुशी मिलता हैबिलासपुर सीएसपी पहुचे चादर पोशी करने मांगी दुआएंबिलासपुर सी एस पी निमेष बरैय्या जी ने बाबा सैय्यद इंसान अली शाह के दरगाह में चादर चढ़ाई मत्था टेका देश दुनिया परिवार के लिए दुआ मांगी गई और कहा कि बाबा साहब के दरबार में कोई खाली हाथ नहीं लौटते हर किसी का अपनी मुराद पूरी होती है साथ में सी एस पी बरैय्या के माता पिता भी साथ रहे जिन्होंने दरगाह में चादर पोशी कर अमन के लिए दुआ मांगी।
प्रसिद्ध :लुतरा शरीफ बाबा के दरगाह से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता, ऐसी मान्यता है कि बाबा के मजार में मत्था टेकने वालो की मनौतिया अवश्य पूरी होती है। सभी धर्मो के अनुयायी यहाँ आकर अपनी मनौतिया के लिए चादर चढ़ाते है । इस कारण यह लुतरा शरीफ अंचल में आस्था के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है ।
ऐतिहासिक :बिलासपुर से सीपत बलौदा मार्ग पर ग्राम – लुतरा स्थित है । कहा जाता है हजरत शाह बाबा सैय्यद इंसान अली अलैह रहमतुल्ला का जन्म सन 1845 में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था । इनके पिता का नाम सैय्यद मरदान अली था, वंशावली के अनुसार बाबा इंसान अली के दादा का नाम जौहर अली था तथा इनके परदादा सैय्यद हैदर अली साहब हुए । बाबा इंसान अली की माँ का नाम बेगमजान और उनके नाना के नाम ताहिर अली साहब था । बाबा इंसान अली के नाना ताहिर अली धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे । वे धर्म के प्रति गहरी आस्था रखते थे । उन्हें जीवन में पैदल हज यात्रा करने का गौरव प्राप्त हुआ था । सैय्यद इंसान अली पर उनके नाना के विचारधारा का पड़ना स्वाभाविक था क्योंकि इनका ज्यादा समय ननिहाल में ही बिता था और यही बालक आगे चल के हजरत बाबा सैय्यद इंसान अली के नाम से लुतरा शरीफ में प्रसिद्ध हुए ।
हजरत शाह बाबा सैय्यद इंसान अली अलैह रहमतुल्ला के पूर्वज छत्तीसगढ़ में कब आये इसी कोई एतिहासिक जानकारी सही रूप से प्राप्त नहीं हुई है । लेकिन इस सम्बन्ध में कहा जाता है कि सबसे पहले खानदान का काफिला (सैय्यद हैदर अली) दिल्ली से भोपाल होते हुए सरगुजा आये और यहाँ से बिलासपुर के रतनपुर गांव, पहुंचे फिर रतनपुर छोड़ के बछौद गांव को अपनी कर्मस्थली बनाया । कुछ लोगो का कहना है कि हजरत बाबा इंसान के दादा सय्यद जौहर अली साहब पुरे खानदान के साथ बिलासपुर में रहते थे । कुछ लोगों के मुताबिक रतनपुर में कुछ अर्सा बिलासपुर पूरी तरह बछौद गांव में बस गए जहां आपके पिता माजिद सैय्यद मरदान अली साहब और खुद आपका भी इसी स्थान में जन्म हुआ था, यहाँ यह उल्लेखनीय है की खमरिया गाँव के गौटिया खानदान में जनाब माहिउनुद्ददीन साहब की बेटी उमेद बी से हजरत शाह बाबा सैय्यद इंसान अली अल्लैह रहमतुल्ला का निकाह हुआ था, जहा जमींदारी से बहुत सारी जमीन उन्हें लुतरा गाँव में मिली थी और यही स्थल बाबा की कर्मस्थली थी।
कहा जाता है की हजरत इंसान अली का पारिवारिक जीवन सुखमय नहीं रहा, उनके घर में बेटी पैदा हुई एवं कम उम्र में ही उनका इंतकाल हो गया बेटी का गम माँ बर्दाश्त नहीं कर पाई और वह भी अल्लाह को प्यारी हो गई। किन्तु बाबा इंसान अली के जीवन में दुखो का पहाड़ टूट पड़ा, किन्तु बाबा विचलित नही हुए। शांत स्वाभाव होने के कारण पुरे ग़म हो हृदय में समा लिए। इन विषम परिस्थितियों में उनके जीवन में बदलाव आ गया। हजरत शाह बाबा सैय्यद इंसान अली अल्लैह रहमतुल्ला अपनी हयात में एकदम में ही फक्कड़ मिजाज के थे। उन्हें खानपान की कोई सुध-बुध नहीं रहती थी । कपड़ो का कोई ख्याल नहीं रहता था । अजब कैफियत, अजब ही रंग-ढंग । कभी-कभी तो बाते एकदम बेतुका करते जो आम आदमी के समझ से परे होती है और वे दीन दुनिया से दूर रहकर अपने को अकेले में रहना पसंद करने लगे । परिणामस्वरुप धीरे-धीरे उन्हें धर्म से लगाव हो गया । कभी-कभी रात की तन्हाई में, किसी उंची पहाड़ी पर, तो कभी जंगलो के सन्नाटे में या कभी तलाब के समीप पहुचकर खुदा के इबाबत में मग्न हो जाते थे । धीरे-धीरे उन्हें सिद्धि प्राप्त हो गई और पीर (संत) कहलाने लगे ।
इसी बीच आपको नागपुर के बाबा ताजुद्विन का आशीर्वाद प्राप्त हुआ । उनके निरंतर संपर्क में आने पर आपका नागपुर उनके दरबार में आने जाने लगा रहा । इस प्रकार रूहानियत दौलत आपको हासिल हुई । नागपुर से प्रकाशित धर्म ग्रंथो में बाबा इंसान अली का जिक्र सबसे पहले आता है । हजरत बाबा सय्यद अली हमेशा छत्तीसगढ़ी बोली में बात किया करते थे । उनका छत्तीसगढ़ी प्रेम अंचल में ज्यादा प्रसिद्धि का कारण बना । लोग दूर-दूर से आते, बाबा उनसे भी छत्तीसगढ़ी में बाते करते थे । हजारो लोग उनके मुराद हो गये । बाबा के दरबार में दूर-दूर से दीन –दुखियारे अपनी समस्याएं लेकर आते है और बाबा से आशीर्वाद लेकर ख़ुशी-ख़ुशी लौट जाते । बाबा एक चमत्कारिक पुरुष भी थे । उन्होंने कई अवसर पर चमत्कार कर लोक कल्याणकारी कार्य किये जिनका बखान आज भी लोग करते है। बाबा के चमत्कारी कार्य ने उन्हें इंसान अली से एक रूहानियत ताकत में तब्दील के दिया था । बाबा की शोहरत धीरे –धीरे दूर-दूर तक फ़ैल गई ।
एक समय की बात है कि एक जगह कुछ लोग खाना खा रहे थे बाबा भी वहा मोजूद थे । बाबा एकाएक बोल उठे ‘ओमन बच गइन रे …. ओमन बच गइन’ बाबा के इस कथन से खाना खा रहे लोग चौक उठे, तभी एक जीप सामने आकर एकाएक रुकी, कुछ लोग उतरकर हजरत के कदमो में गिर पड़े ।
वाक्या की जानकारी मिली की वे लोग तेजी से जीप से जा रहे थे की अचानक एक चक्के का टायर फट गया और लहराती हुई गाड़ी खाई में गिरने की स्थिति में आगे बढ़ी थी की एकाएक बाबा सामने आकर जीप को थाम लिए । जीप के रुकते ही वे सब लोग कूदकर बहार निकले तो देखते है की बचाने वाला गायब है , अगर बाबा समय पर नहीं आते तो वे सब कब्रिस्तान पहुच जाते । ऐसे थे ,चमत्कारिक बाबा ।
बाबा के कई चमत्कारिक किस्से लुतरा शरीफ में चर्चित है । बाबा ने हमेशा जन कल्याणकारी कार्य के लिए चमत्कार किये थे । इस कारण बाबा अंचल में प्रसिद्ध हुए शतायु जीवन जीने वाले यह बाबा एकाएक अस्वस्थ हो गये , उनके बीमार रहने से श्रद्धालुओं की चिंता बढ़ गई । काफी समय बीमार रहने के बाद इतवार के दीन 28 दिसम्बर 1960 को हजरत बाबा के होठो में अजीब सी मुस्कराहट थी। बाबा के चेहरे में उस दीन अजीब सा नूर टपक रहा था । बाबा कभी हँसते , कभी मुस्कुराते और खुद अपने आप में मग्न हो जाते । लोग इस वयव्हार को देखकर उनके भले चंगे होने की उम्मीद करने लगे ।किन्तु किसी को क्या मालूम था की यह बुझते दीपक की अंतिम चमक थी, या बाबा की अंतिम मुस्कराहट थी । धीरे –धीरे शाम का सूरज ढला और पूरा आसमान सुर्खी में डूबा, स्याह हो गया , देखते ही देखते बाबा सबको अलविदा कह गये । 29 दिसम्बर 1960 को हजारो लोगो की गमगीन आँखों ने सुबकते हुए अपने प्रिय बाबा को सुपुर्दे खाक कर दिया ।आज भी बाबा के दरगाह में अनेक दीन –दुखियारे दूर-दूर से आते है । उनकी मन्नते पूरी होती है । वे खली हाथ कभी नहीं लौटते । हजरत बाबा का पवित्र स्थल लुतरा शरीफ छत्तीसगढ़ में एक पवित्र और चमत्कारिक दरगाह के रूप में विख्यात है । यहाँ दूर-दूर से श्रद्धालुगण अपनी मनौतिया लेकर आते है ।यही कारण है की लुतरा शरीफ दरगाह आज भी आस्था का केंद्र है।
इसी दरगाह की विशेषता है की सभी धर्म के लोग आस्था पूर्वक यहाँ आ कर माथा टेकते है मनौतियो के लिए चादर चढाते है ।और बाबा उनकी मनौतियां पूर्ण करते है ।इसी प्रसिद्धी के कारण दरगाह में वर्ष भर मनौतियां मानने वालो का मेला लगा रहता है ।छत्तीसगढ़ राज्य में यह एक ऐसा दरगाह है जिसकी आस्था सभी धर्मो के लोगो में है ।यह दरगाह एक धर्म विशेष से ऊपर उठकर कल्याणकारी होने का जीवंत उदहारण है।यह पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थल के रूप में प्रसिद्ध है ।
श्रद्धालु, पर्यटकों के लिए यह पवित्र दर्शनीय स्थल है । बिलासपुर क्षेत्र में धार्मिक आस्था केंद्र के रूप में विख्यात लुतरा शरीफ दरगाह में माथा टेकने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पर्यटक आते है।
आइये हम आपको बताते है कि छ.ग की सूफी हजरत बाबा सैय्यद इंसान अली शाह के बारे में बताते है…बताया जाता है कि छ.ग शहंशाह कहे जाने वाले सूफी बाबा सय्यद इंसान अली शाह के वालिद मरदान अली अरब से सीपत क्षेत्र के ग्राम बछौद पहुंचे थे….बाबा साहब के वालिद की शादी खम्हरिया के मालगुजार ताहेर अली की लड़की के साथ हुई..बाबा साहब का जन्म खमरिया में हुआ बचपन से ही उनमें संत के लक्षण आने लगे थे उनके जीवनकाल की चमत्कार से पूरे प्रदेश में ख्याति फैल गई और लोग दुवाओं के लिए लोग उनके पिछे भागने लगे..दुनिया से पर्दा होने के बाद बाबा साहब के खिदमतगारों ने ग्राम लुतरा में दरगाह की स्थापना आज से पचास वर्ष पहले की..जहां हर साल उर्स का आयोजन रबी उल्ल अव्वल माह में होता है..इस दरगाह पर हर कौम व जाति के लोग मत्था टेकने पहुंचते है…यहां इस वर्ष देश में माहौल अनुकुल न होने के कारण पाकिस्तान और ढाका से चादरें नहीं पहुंच सकी है…ये है लुतरा शरीफ से कुछ दूरी पर बाबा साहब के अम्मा साहिबा की दरगाह जिन्हे लोग दादी अम्मा कहते है..इस मजार में खास कर महिलाएं हाजरी देने जरुर जाती है…