पोलावरम परियोजना के दुष्प्रभावों से छत्तीसगढ़ को बचाने अजीत जोगी ने  राहुल गांधी को सौंपा ज्ञापन

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 रायपुर@M4S: छत्तीसगढ़ के संक्षिप्त दौरे पर आज गिरौदपुरी धाम आये कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री माननीय श्री अजीत जोगी जी ने भेंट कर आँध्रप्रदेश में प्रस्तावित इंदिरा सागर (पोलावरम) परियोजना के दुष्प्रभावों से छत्तीसगढ़ को होने वाले नुक्सान से अवगत कराया। श्री जोगी ने परियोजना से सम्बंधित पूर्व में हुए अंतरराज्यीय अनुबंधों का केंद्र की भाजपा सरकार के कार्यकाल में पालन न होने के विषयपर राहुल जी का ध्यानाकर्षित किया।

 

श्री जोगी ने छत्तीसगढ़ के लगभग 40 गाँव और 40 हज़ार परिवारों के हितों की रक्षा के लिए राहुल जी को एक ज्ञापन सौंपकर पोलावरम परियोजना को रोकने में उनके हस्तक्षेप और सहयोग की मांग की।

 

श्री अजीत जोगी जी द्वारा श्री राहुल गांधी को सौंपा गया ज्ञापन:

 

श्री राहुल गांधी जी

उपाध्यक्ष

राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी

  

माननीय राहुल जी,

 

आपको ज्ञात होगा कि आंध्राप्रदेश में प्रस्तावित इंदिरा सागर (पोलवरम) परियोजना को तत्कालीन यूपीए सरकार ने मंजूरी दी थी। 17 मार्च 2015 को लोकसभा में अपने भाषण में कांग्रेस अध्यक्ष माननीय सोनिया गांधी जी ने कहा था कि “पोलवरम परियोजना में पर्यावरण संरक्षण पर पूरा ध्यान देते हुए एवं इससे प्रभावित होने वाले सभी परिवारों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन पर पूरी संवेदनशीलता के साथ लागू किया जाना चाहिए”। ठीक इसके तीन महीने बाद 23 जुलाई 2015 को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर जी ने बिना छत्तीसगढ़ और ओडिशा में जन सुनवाई हुए, बिना ग्रामसभाओं को विश्वास में लिए पोलावरम बाँध के निर्माण की अनुमति एक वर्ष के लिए आँध्रप्रदेश सरकार को दे दी।  ये अनुमति भी ओडिशा और छत्तीसगढ़ सरकार को बिना बताये दी गयी। यही नहीं जिन शर्तों और अंतरराज्यीय अनुबंधों के साथ अविभाजित आँध्रप्रदेश को पोलवरम परियोजना की मंजूरी दी गयी थी उसका खुले आम उल्लंघन हो रहा है।

 

उल्लेखनीय है कि केंद्र की एनडीए सरकार ने पोलवरम परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने के साथ साथ इस परियोजना को पूरा करने 90% वित्तीय भार उठाने का भी जिम्मा लिया है। लेकिन मोदी सरकार अपनी राजनितिक मजबूरियों के चलते इस परियोजना से छत्तीसगढ़ को होने वाले नुक्सान की अनदेखी कर रही है।छत्तीसगढ़ में बिना कोई जन सुनवाई हुए , बिना ग्राम सभा की अनुमति लिए, पर्यावरण नियमों को अनदेखा करते हुए , बिना रिकॉर्ड, बिना डुबान क्षेत्र का सर्वे किये  खुले आम नियमों को तोड़ कर, छत्तीसगढ़ के हितों और गरीब आदिवासियों के भविष्य को दरकिनार कर केंद्र सरकार, आँध्रप्रदेश सरकार के साथ मिलकर पोलवरम परियोजना को जोरशोर से पूरा करने में लगी है। ऐसा करके केंद्र सरकार न सिर्फ परियोजना से प्रभावित होने वाले गरीब आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही है बल्कि 7-8-1978 को आँध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश शासन (वर्तमान छत्तीसगढ़) और महाराष्ट्र सरकार तथा दिनांक  2-4-1980 को ओडिशा, आँध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश शासन (वर्तमान छत्तीसगढ़) के बीच हुए अनुबंध का भी उल्लंघन कर रही है ।

 

  • आंध्राप्रदेश में प्रस्तावित इंदिरा सागर (पोलवरम) परियोजना से छत्तीसगढ़ के लगभग 40 गाँवों और 40 हजार आदिवासी व गैर-आदिवासी परिवारों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ेगा।
  • अकेले सुकमा जिले के पोलावरम बांध से प्रत्यक्ष रुप से 17 गांव के 85 पारा-टोला डूबान में आएंगे। इसके अलावा कई तरह के ख़नीज व वन सम्‍पदा की भी जल-समाधि बन जाएगी।
  • पूरे विश्व में केवल दक्षिण बस्तर में पाये जाने वाली दोरला व कोया जाति की बसाहट वाले इलाके डूबान में आने से संरक्षित दोरला जाति के लोगों को भी पलायन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। ऐसे में दोरला जाति की संस्कृति व सभ्‍यता भी ख़तरे में पड़ जाएगी। शबरी नदी के बैक वाटर की चपेट में पूरा सुकमा जिला होगा। शबरी का बैक वाटर जिले के तीनों विकासखण्‍ड सुकमा, कोंटा व छिंदगढ़ में तबाही लाएगा।
  • एर्राबोर व कोंटा के बीच पड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग का 13 किमी हिस्सा भी बारिश में डूबने का अन्देशा है। इससे बरसात में बस्तर को सीमान्ध्र से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क सम्पर्क भी टूट जाएगा। यही नहीं परियोजना से बैक स्ट्रोक का पानी बढ़ने की सम्भावना है। इससे कोंटा तहसील के करीब डेढ़ दर्जन गाँव डूबने की संकट में पड़ जाएँगे। साथ ही सात हजार हेक्टेयर खेतीहर ज़मीन को भी नुकसान होगा।
  • इसी इलाके के भूगर्भ में बहुमूल्य खनिज जैसे ग्रेनाइट, क्वार्टज, कोंडरम और लौह अयस्क भी सदा के लिये बाँध के नीचे दब जाएँगे।इतने नुकसान के एवज में छत्तीसगढ़ को न बिजली मिलेगी न पानी।

 

सबका साथ सबका विकास की बातें करने वाली केंद्र की भाजपा सरकार, केवल एक राज्य और उसके लोगों के विकास के लिए दूसरे राज्यों और उनके लाखों लोगों के साथ खिलवाड़ कर रही है। ये विकास का ऐसा मॉडल है जिसमे लाखों गरीब और दुर्लभ आदिवासियों का अस्तित्व मिट जाएगा और छत्तीसगढ़ डूब जाएगा। दोरला जनजाति और छत्तीसगढ़ के कई गाँवों में पोलवरम परियोजना को लेकर भय का माहौल बना हुआ है। पिछले लगभग तीन वर्षों से हम निरंतर इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के वर्तमान बजट सत्र में भी विधायक अमित जोगी ने इस मुद्दे पर “स्थगन प्रस्ताव” और “ध्यानाकर्षण प्रस्ताव” के माध्यम से राज्य और केंद्र की भाजपा सरकार को घेरा है। जिसका उल्लेख आपको राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सभी प्रमुख समाचार पत्रों में मिलेगा।

 

इंदिरा सागर (पोलावरम) परियोजना से छत्तीसगढ़ राज्य को होने वाले नुकसान और तबाही को देखते हुए, हमारी आप से विनती है कि आप इस मुद्दे पर हस्तक्षेप कर केंद्र सरकार पर दबाव बनाकर पोलवरम परियोजना से सम्बंधित सारे अनुबंधों और नियमों का पालन करने का आग्रह करें एवं 40 हज़ार आदिवासी परिवारों के भविष्य को सुरक्षित करने उनके हितों की रक्षा करें।

 

सधन्यवाद !

 

शुभकामनायों सहित,

 

भवदीय

अजीत जोगी

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