लंदन(एजेंसी):अक्सर ही आपने देखा होगा कि जब छोटे बच्चे बोलना शुरू करते हैं तो वह शुरुआती दिनों में थोड़ा तुतलाकर बोलते हैं। हालांकि, उनकी यह तुतलाहट कोई खराब बात नहीं है। एक अध्ययन का कहना है कि बच्चे की तुतलाहट से यह अनुमान लगाने में मदद मिल सकती है कि भविष्य में उसका बातचीत करने का तरीका कैसा होगा।
नए अध्ययन के मुताबिक, देखभाल करने वालों के साथ आंखें मिलाते समय बच्चा कई बार तुतलाकर बोलता है, जिससे उसके भविष्य के भाषा कौशल का अनुमान लगाया जा सकता है।
बातचीत से विकसित होती है शब्दों की समझ : ब्रिटेन में शेफील्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि अपने देखभाल करने वालों के चेहरे को देखकर 11 से 12 महीने के बच्चे लगातार कुछ बोलने की कोशिश करने लगते हैं। इससे बाद में बच्चे की शब्दावली कैसी होगी, के बारे में पता चलता है। बच्चे की देखभाल करने वाले भी जान-बूझकर बच्चे के साथ बातचीत करते हैं ताकि उसमें शब्दों की समझ विकसित की जा सके।
यह अध्ययन डेवलपमेंट साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें यह भी देखा गया कि देखभाल करने वाले लोगों ने बच्चों के स्वरों, हावभावों और उनके एकटक देखने पर किस तरह जल्दी प्रतिक्रिया दी। शोधकर्ताओं ने यह भी परीक्षण किया कि कौन-सी क्रियाएं बच्चे की भाषा के विकास के लिए सबसे अच्छी हैं। इसमें उन्होंने पाया कि जब बच्चे आंखों से संपर्क करते हैं और बात करने का प्रयास करते हैं, तो उनकी इन चीजों पर प्रतिक्रिया देने से उनके भाषा विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
बच्चों के हाव-भाव को समझें और प्रतिक्रिया दें : शोध के प्रमुख लेखक एड डोनेलन ने कहा, अध्ययन के निष्कर्ष से यह पता चलता है कि देखभाल कर्ता महंगे खिलौने लाए बिना ही बच्चों के हाव-भाव का जवाब देकर उनकी भाषा और शब्दावली में सुधार करने में मदद कर सकते हैं, जो कि आसान तरीका है।