नई दिल्ली(एजेंसी):भाद्र शुक्ल तृतीया युक्त चतुर्थी सोमवार दो सितंबर को सुहागन महिलाएं हरितालिका तीज पूजा करेंगी। सुहागन महिलाएं अपने सुहाग के दीर्घायु की कामना के साथ निराहार और निर्जला रहकर चौबीस घंटे का व्रत रखकर शिव-पार्वती की पूजा करेंगी। कुंवारी लड़कियां भी सुंदर पति की चाह के साथ यह व्रत रखती हैं। दो सितंबर को ही गणेश चतुर्थी और चौठचंदा(चउरचन) भी मनायी जाएगी।
सोमवार को ही हरितालिका तीज व्रत : ज्योतिषाचार्य प्रियेंदू प्रियदर्शी के मुताबिक शास्त्रों में भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी व्यापिनी तृतीया को ही हरितालिका तीज का व्रत रखने और पूजन की बात कही गयी है। यह अति फलदायी है। सुख, सौभाग्य और पुत्रादि बढ़ाने वाली है। शास्त्रों में द्वितीया युक्त तृतीया को हरितालिका तीज का व्रत-पूजन निषेध बताया गया है। उनके अनुसार रविवार एक सितंबर की सुबह 11.02 बजे से तृतीया तिथि है जो दो सितंबर की सुबह 8.42 बजे तक है। हस्त नक्षत्र दो सितंबर को सुबह 7.15 बजे तक है। ज्योतिषाचार्य धीरेंद्र कुमार तिवारी के मुताबिक सोमवार 2 सितंबर को सूर्योदय के समय तृतीया तिथि है। सुबह लगभग 9 बजे के बाद चतुर्थी हो जा रही है तो यह तृतीया- चतुर्थी युक्त 2 सितंबर को ही व्रत रखना उत्तम है।
क्योंकि चतुर्थी सहिताया तु सा तृतीया फलप्रदा,यानी चतुर्थी सहित तृतीया तिथि का और भी महत्व है इस व्रत के लिए। 3 सितंबर को चित्रा नक्षत्र पारण के लिए भी उत्तम है।
करेंगी पूजन
दो सितंबर को ही गणेश चतुर्थी और चौठचंदा (चउरचन) भी
तृतीया-चतुर्थी युक्त 2 सितंबर को ही व्रत रखना उत्तम
हस्त, चित्रा व पद्मयोग का दुर्लभ संयोग बना
आचार्य प्रियदर्शी के मुताबिक सोमवार को हस्त व चित्रा नक्षत्र, पद्मयोग का दुर्लभ संयोग बना है। ऐसा संयोग14 वर्षों पर बना है।
नहाय-खाय आज
तीज से एक दिन पहले रविवार को व्रती महिलाएं नहाय-खाय करेंगी। गंगास्नान करके अरवा चावल ,सब्जी आदि सेवन करेंगी। सोमवार को चौबीस घंटे तक निर्जला और निराहार व्रत रखेंगी। भगवान शंकर और पार्वती की रेत की मूर्ति बनाकर उसे फूलों से सजाएंगी।
तृतीया तिथि को ही पार्वती को मिला था वरदान
ज्योतिषाचार्य पीके युग ने बताया कि भाद्र शुक्ल तृतीया तिथि को ही माता पार्वती का जन्म और उन्हें स्त्रियों को सौभाग्य प्रदान करने का वरदान महादेव से मिला था। तृतीया तिथि को इस बार हस्त नक्षत्र व सोमवार को संयोग भी है।
जागरण भी करेंगी
शास्त्रों के मुताबिक इसी भादव शुक्ल तृतीया-चतुर्थी के दिन भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर मां पार्वती को यह वरदान दिया था कि इस तिथि को जो भी सुहागिन अपने पति के दीघार्यु की कामना के साथ पूजन व व्रत और जागरण भी रखेंगी।
दो को ही फल-दही के साथ चंद्रदर्शन करेंगे श्रद्धालु
सोमवार को ही श्रद्धालु चौठचंदा यानी चउरचन भी मनाएंगे। चंद्रदर्शन फल, दही के साथ करेंगे श्रद्धालु। ज्योतिषी राजनाथ झा के अनुसार इस शाम चंद्रमा को बिना किसी फल के नहीं देखना चाहिए। इसलिए महिलाएं आंचल में फल लेकर और पुरुष पान के पत्ते में फल रखकर चंद्रमा का दर्शन करेंगे। उन्हें कच्चे दूध में शक्कर मिलाकर अघ्र्य दिया जाएगा। इसी दिन गणेश जी ने चंद्रमा को शापमुक्त किया था।