कोरबा@M4S:सिटी डेवलपमेंट प्लान के तहत आने वाले समय में शहर का तेजी से विकास होगा। इसके लिए 1000 करोड़ के भारी भरकम फंड का आबंटन सरकार की ओर से जिले को किया जाएगा। हाल ही में मेयर इन काउंसिल के बैठक में सिटी डेवलपमेंट प्लान के तहत होने वाले विकास कार्यों का अनुमोदन लिया गया है। इसके लिए डीपीआर तैयार करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। इसके अंतर्गत गौरव सर्किट सबसे प्रमुख और महत्वाकांक्षी योजना है। शहर के विकास से जुड़े अनेक कार्य होंगे। इसमें बहुप्रतीक्षित जैन चौक से वीआईपी रोड होते हुए कोसाबाड़ी तक गौरव पथ निर्माण प्रमुख है। शहर के बड़े तालाबों को रायपुर के मरीन ड्राइव के तौर पर विकसित किया जाएगा। सडक़ों का विस्तार होगा, जिससे शहर की सूरत बदलेगी।
सिटी डेवलपमेंट प्लान के तहत जहां कुछ कार्यों को हरी झंडी मिल चुकी है, तो वहीं जरूरत के अनुसार शहर के विकास के लिए एक डीटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर इसे शासन को प्रेषित किया जाएगा। जिससे बड़े कार्यो को स्वीकृति मिल सके। अशोक वाटिका जैसे बड़े मनोरंजक स्थल को पीपीपी मॉडल के तहत भी संचालित किए जाने की योजना है। इसके अलावा और भी ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिन्हें प्राइवेटाइजेशन करके डेवलेप किया जाएगा ताकि लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके। हालांकि एक पक्ष निगम की संपत्तियों के प्राइवेटाइजेशन के विरोध में भी है। नगर पालिक निगम की पिछली बार 2011 में जनगणना हुई थी। जिसके अनुसार नगर निगम कोरबा क्षेत्र की आबादी 3 लाख 60,000 है। यह आंकड़े 12 साल पुराने हैं। इस अंतराल में शहर का लगातार विस्तार हुआ है। सडक़ों पर वाहनों का दबाव भी लगातार बढ़ा है, लेकिन सडक़ों की क्षमता 12 साल पुरानी है। अब सिटी डेवलपमेंट प्लान से ऐसी 25 सडक़ों का चिन्हांकन किया गया है, जो कोरबा शहर की लाइफ लाइन हैं। इन सडक़ों पर लगभग 600 करोड़ रुपए खर्च किए जाने की योजना बनाई गई है.इन सभी सडक़ों के पुनरुद्धार से शहर के लोगों को सार्वजनिक आवागमन के लिए एक बेहतर साधन मिलेगा।
1 हजार करोड़ से अधिक के होंगे काम
राज्य सरकार ने हमे आदेश दिया है कि नगर उत्थान योजना के तहत शहर का विकास किया जाना है। सिटी डेवलपमेंट प्लान का अनुमोदन कर लिया है, डीपीआर भी तैयार किया जा रहा है। इसके तहत सबसे महत्वपूर्ण काम गौरव सर्किट का है। गौरव पथ निर्माण के साथ ही अन्य काम भी होंगे। सडक़ों का निर्माण होगा, उद्यानों की सूरत बदलेगी और ऐसे स्थल जो नगर निगम के परिसंपत्तियां हैं, जिन्हें पीपीपी मॉडल के तौर पर संचालित किया जा सकता है। उसे भी इस मॉडल के तहत संचालित किया जाएगा। जल्द ही इस योजना के तहत कार्य शुरू होंगे।