एसईसीएल से मुआवजा और रोजगार की मांग, परिवार रायपुर में कर रहा आमरण अनशन
कोरबा@M4S: एक परिवार ने खदान प्रभावित क्षेत्र में पोल्ट्री फार्म संचालन के लिए जमीन खरीदी। इसके लिए लाखों का लोन लिया। जमीन से सैकड़ों मीटर बोर खुदाई की बाद भी पानी नहीं निकला। ऐसे में परिवार अब कर्ज तले दब गया है। पीडि़त ने एसईसीएल रजगामार में उसकी भूमि को अधिग्रहित कर उचित मुआवजा व नौकरी की मांग शासन प्रशासन से की है। मांग पर सुनवाई नहीं होने से पीडि़त परिवार सहित रायपुर में पिछले कई दिनों से आमरण अनशन पर बैठा हुआ है।
पीडि़त पुनीदास महंत पिता छतदास महंत आरामशीन निवासी ने सौंपे गए ज्ञापन में बताया है कि उसने अपने दामाद दिलीप कुमार के साथ मिलकर ग्राम रजगामार स्थित खदान के पीछे स्थित भूमि को पोल्ट्री फॉर्म संचालन के लिए लगभग 9 लाख रूपये में भूमि स्वामी परदेशी व अन्य से क्रय किया था। जिस पर पोल्ट्री फॉर्म संचालन के बैंक से लगभग 20 लाख रूपये कर्ज लिया था। उसके द्वारा क्रय किये गये उक्त भूमि पर बोर खोदाई का कार्य कराया जा रहा था। जिस पर उसी ज्ञात हुआ कि भूमि के नीचे स्थल को एसईसीएल रजगामार खदान द्वारा खोखला कर दिया गया है। जिस कारणवश उसके द्वारा लगभग 3 बोर खोदाई का कार्य कराया गया। जिस पर लगभग साढ़े 3 लाख रूपये खर्च भी हुआ। किंतु पानी प्राप्त नहीं हुआ। जिस कारणवश उक्त भूमि पर पोल्ट्री फॉर्म संचालन किया जाना संभव नहीं है। उक्त भूमि के निचले स्थल को खोखला कर देने की वजह से लगभग 800 फीट तक पानी भी उपलब्ध नहीं है। अब स्थिति यह है मुख्य उक्त भूमि पर किसी भी प्रकार का कोई कार्य, धंधा, कृषि कराया जांना संभव नहीं है। 20 लाख कर्ज का मासिक किश्त 26 हजार रूपये प्रतिमाह उसी भुगतान किया जाना है। उसे लोन भुगतान करने अनेकों परेशानियों का सामना करना पड रहा है। पीडि़त ने शासन प्रशासन से मांग की है कि एसईसीएल रजगामार को निर्देशित किया जाए कि उक्त भूमि को अधिग्रहित कर मुआवजा राशि तथा नौकरी प्रदान किया जाए। पीडि़त का कहना है कि मांग पूरी नहीं होने से परिवार सहित आत्मदाह की चेतावनी दो गई है। अपनी मांग को लेकर परिवार पिछले कुछ दिनों से रायपुर में अनशन पर बैठा हुआ है।
खोखली जमीन से नहीं निकला पानी, व्यवसाय के सपने पर फिरा पानी, कर्ज में डूबा परिवार
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