हाथी से छुटकारा पाने बनी योजनाएं रही बेनतीजा जतन नहीं आए काम, फंड बस  हुए खर्च

- Advertisement -

कोरबा@M4S:हाथी- मानवद्वंद को कम करने के लिए बीते 20 साल में कई योजना बनी, काम भी हुए, लेकिन योजना का लाभी नहीं मिला। सरकारें आतीं रहीं, जातें रहीं। हर बार नई योजना पर काम हुआ, पैसे भी खर्च हो गए। इतने वर्षों में हाथियों से नुकसान कम होने के के बजाए बढ़ते चले गए। बाद में अफसरों ने उन्हीं योजनाओं को कमजोर बताकर नई प्लानिंग कर ली। लेकिन इन सबके पीछे ना हाथी सुरक्षित है, ना ही आम आदमी। दोनों के रहवास की ना सही तरीके से प्लानिंग हुई ना ही काम।
लेमरू ऐलीफेंट कॉरिडोर को कांग्रेस सरकार में अमल में लाया जरुर, लेकिन इसमें एक बड़ी विसंगति भी सामने आई। दरअसल कटघोरा वनमंडल के केंदई, जटगा व पसान रेंज को शामिल नहीं किया गया। सबसे अधिक हाथी प्रभावित क्षेत्रों को शामिल नहीं करने के अलावा क्षेत्र में काम नहीं किया गया। पुराने ढर्रे पर हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने के प्रयास से ही लगातार हमले और नुकसान हो रहा है। इधर पांच साल में 90 करोड़ के इस प्रोजेक्ट के काम को पूरा हो जाना था। कुदमुरा व करतला क्षेत्र में हाथी प्रभावित गांवों को सोलर पॉवर फेंसिंग से सुरक्षित करने तार बिछाएं गए थे। लेकिन ये जिनते गांव में काम होना था, वहां पूरा नहीं हो सका है। खासकर हाथियों के रूट में फेंसिग काम नहीं किया गया है। लेकिन जहां लगाएं भी गए वहां ये इतने 10 फीसदी भी कारगार साबित नहीं हुए। हाथियों को इससे कोई असर नहीं पड़ा। इधर हाथियों को भगाने के लिए हुल्ला पार्टी भी कामगार साबित नहीं हो सके हैं। हर साल इन दल के माध्यम से ग्रामीणों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है। हाथियों के उत्पात की सूचना मिलने पर इन्हें मौके पर भेजा जाता है उसके बाद भी हाथी एक ही क्षेत्र में जमे हुए होते है। खासकर जब हाथियों की संख्या 50 से अधिक हो जाती है तब ये अमला बेबस नजर आता है। जंगल में बसे लोग परेशान होते हैं।

कोरबा वनमंडल के ये गांव सबसे अधिक प्रभावित
मातमार, गेरांव, कोरकोमा, चिर्रा, बैगामार, तौलीपाली, कुदमुरा, जिल्गा, कटकोना, बरपाली, कलमीटिकरा, गिरारी, कलगमार, तराईमार, सोलवा, बासीन, धौराभाटा, सलिहाभाठा, बोतली, बासिन, मदनपुर, कोरकोमा, बुंदेली, आमाडांड, चचिया, सुखरीकला समेत – 34 गांव।

कटघोरा वनमंडल के ये गांव सबसे अधिक प्रभावित
सिरमिना, बगाहीपारा, लमना, चोटिया, जटगा, पसान, एतमानगर, केंदई, बांगो, लँगा, लैंगी, आमाटिकरा, फुलसरी, पतुरियाडांड, मदनपुर, कुम्हारीदर्री, पिपरिया, कोडगार, अमझर, दुल्लापुर, सिमगा, पोंड़ीखुर्द, मड़ई, मानिकपुर, गुरसिया, परला, जलके, बीजाडांड, बासिन समेत 50 गांव।

एनाइडर डिवाइस का भी नहीं मिल रहा फायदा
एनाइडर डिवाइस हाथी प्रभावित क्षेत्रों में लगाया गया है। हाथियों के करीब आते ही ग्रामीणों को अलर्ट करने के उद्देश्य से इस डिवाइस को गांव-गांव में लगाया गया है। ऑनलाइन तरीके से यह काम करता है। वन विभाग हाथियों के लोकेशन के हिसाब से अलर्ट जारी करता है। इस योजना का भी लाभ सौ फीसदी नहीं मिल पा रहा है। हाथी गांव में घुस जाते हैं, विभाग को भनक तक नहीं लगती।

Related Articles

http://media4support.com/wp-content/uploads/2020/07/images-9.jpg
error: Content is protected !!