एसईसीएल सीएमडी कार्यालय के सामने 23 दिसंबर को भू विस्थापित अर्धनग्न प्रदर्शन कर करेंगे घेराव

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लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण,बसावट,जमीन वापसी की मांग

कोरबा@M4S:छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ द्वारा एसईसीएल के कुसमुंडा,गेवरा,दीपका,कोरबा
के खदानों से प्रभावित भू विस्थापित किसानों की लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण,बसावट, खमहरिया की जमीन किसानों को वापस करने एवं प्रभावित गांव में मूलभुत सुविधा उपलब्ध कराने के साथ 4 सूत्रीय मांग को लेकर 23 दिसंबर को एसईसीएल सीएमडी कार्यालय के सामने अर्धनग्न प्रदर्शन करते हुए घेराव करने की घोषणा की है।

प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए गांव गांव में बैठक आयोजित की जा रही है जिसे ग्रामीणों का व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है।
किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने कहा की भू विस्थापित रोजगार के लंबित प्रकरणों का निराकरण की मांग करते हुए थक गए हैं। विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दीये गए विस्थापित परिवारों की जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है। विकास की जो नींव रखी गई है उसमें प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। लगातार संघर्ष के बाद खानापूर्ति के नाम पर कुछ लोगों को रोजगार और बसावट दिया गया जमीन किसानों का स्थाई रोजगार का जरिया होता है। सरकार ने जमीन लेकर किसानों की जिंदगी के एक हिस्सा को छीन लिया है। इसलिए जमीन के बदले सभी खातेदारों को स्थाई रोजगार देना होगा। भू विस्थापित किसानों के पास अब संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है। सरकार की कॉरपोरेटपरस्त नीतियां गरीबों की आजीविका और प्राकृतिक संसाधनों को उनसे छीन रही है।यही कारण है कि कुछ लोग मालामाल हो रहे है और अधिकांश जिंदा रहने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि 31अक्टूबर 2021 को लंबित प्रकरणों पर रोजगार देने की मांग को लेकर कुसमुंडा क्षेत्र में 12 घंटे खदान जाम करने के बाद एसईसीएल के महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष दस से ज्यादा गांवों के किसान 1147 दिनों से अनिश्चित कालीन धरना पर बैठे हैं। इस आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ किसान सभा शुरू से ही उनके साथ खड़ी है। संघर्ष के कारण नियमों में सुधार कर बीस से अधिक भू विस्थापितों को रोजगार देना पड़ा है अभी भी सैकड़ों भू विस्थापित रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार, को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है। खमहरिया के किसान जिस जमीन पर कई पीढ़ियों से खेती किसानी कर रहे है उसे प्रबंधन प्रशासन का सहारा लेकर किसानों से जबरन छीनना चाह रही है जिसका किसान सभा विरोध करती है और उन जमीनों को किसानों को वापस करने की मांग करती है।

किसान सभा भू विस्थापितों की समस्याओं को लेकर 1 जनवरी 2025 को जब पूरी दुनिया नए साल का जस्न बनाएगा तब कुसमुंडा के भू विस्थापित कुसमुंडा खदान बंद करते हुए विस्थापन के बाद अपनी दुर्दशा को बताने के लिए उग्र आंदोलन की तैयारी कर रही है।

भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम, रेशम यादव,सुमेन्द्र सिंह कंवर ठकराल ने कहा कि भू विस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा और वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे और भू विस्थापित संघ से जुड़े भू विस्थापितों ने कहा कि सरकार को विस्थापितों को ऐसा जीवन प्रदान करना चाहिए जिससे उनको लगे की उन्होंने अपनी जमीन नहीं खोया है लेकिन सरकार गरीबों को जमीन पर लाकर खड़ा कर देती है। गरीबों के पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए गांव गांव में प्रमुख रूप से दीना नाथ,हरिहर,अनिल बिंझवार,कृष्णा,मानिक दास,फणींद्र,चंद्रशेखर,होरी,रघुनंदन, परस,गणेश,रमेश,विजय कंवर,के साथ प्रभावित भू विस्थापित बैठक कर हड़ताल को सफल बनाने के लिए समर्थन मांग रहे हैं।

मांगे
1) भू विस्थापित जिनकी जमीन सन 1978 से 2004 तक अर्जन की गई उन प्रत्येक खातेदार को रोजगार संबंधित प्रक्रिया पूरी कर जल्द रोजगार प्रदान किया जाए।
2) जिन भू विस्थापितों का फाइल बिलासपुर मुख्यालय में है उन्हे तत्काल रोजगार प्रदान किया जाए।
3) पूर्व में अधिग्रहित खमहरिया की जमीन मूल किसानों को वापस की जाए।
4) भैसमाखार के विस्थापित को बसावट प्रदान किया जाए।

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