कानपुर(एजेंसी): रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। यह घड़ी 23 अगस्त को है। ज्योतिष के अनुसार इस बार अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र के साथ सूर्य और चंद्रमा के उच्च भाव में है। मान्यता है कि इस संयोग में पूजाअर्चना से मनोकामना पूरी होगी। आचार्य पं.प्रीति तिवारी का कहना है कि कृष्ण की पूजा से विशेष फल मिलता है। इस बार के विशेष योग को पुराणों में तीन जन्मों के पापों से मुक्ति वाला बताया गया है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था। भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र का संयोग होना शुभ माना गया है। रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि के साथ सूर्य और चन्द्रमा ग्रह भी उच्च राशि में है।
रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी के साथ सूर्य और चंद्रमा उच्च भाव में होगा। द्वापर काल के अद्भुत संयोग में इस बार कान्हा जन्म लेंगे। घर-घर उत्सव होगा। लड्डू गोपाल की छठी तक धूम रहेगी। इस योग पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। पर्व को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं।
भादौ मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। आचार्य पं.पवन तिवारी का कहना है कि ज्योतिष गणना के आधार पर इस साल जन्माष्टमी युगों बाद अद्भुत संयोग लेकर आ रही है। द्वापर युग में अष्टमी तिथि को सूर्य और चंद्रमा उच्च भाव में विराजमान थे। इस वर्ष भी जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र में अद्भुत संयोग बना है।
अष्टमी 23 अगस्त 2019 शुक्रवार को सुबह 8:09 बजे लगेगी।
अगस्त 24, 2019 को 08:32 बजे अष्टमी समाप्त होगी। जन्मोत्सव तीसरे दिन तक मनाया जाएगा।
रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त 2019 को दोपहर 12:55 बजे लगेगा। रोहिणी नक्षत्र 25 अगस्त 2019 को रात 12:17 बजे तक रहेगा।
जन्माष्टमी 23 अगस्त और 24 अगस्त दोनों दिन मनाई जाएगी। उदया तिथि में त्योहार मनाने वाले 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे।
एक दिन पहले केवल एक समय का भोजन करना चाहिए।
जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के खत्म होने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।