कोरबा@M4S:ड्रायव्हरी सीखने के साथ किराये का वाहन चलाते-चलाते खुद का अपना वाहन होने का सपना संजोये चंद्रभान सिंह अब सचमुच वाहन का मालिक बन गया है। लगभग तीन माह पहले एक कार्यक्रम में जैसे ही उसके हाथ में वाहन की चाबी सौपी गई उसकी खुशियों का ठिकाना नही था। पहले किराये का वाहन चलाकर परिवार का भरण पोषण करते आये ड्रायव्हर चंद्रभान सिंह को दिन भर घर से बाहर रहना पड़ता था। किराये के वाहन से रोज का किराया वाहन मालिक के लिये निकालना फिर कुछ बचत के लिये दिन रात जूझना रोज के लिये जैसे मुसीबत सी बन गई थी। देर तक वाहन चलाकर पहले किराये की राशि निकालना फिर परिवार वालों से लगातार दूरी से वह तनाव में रहने लगा था। अब जब जिला अंत्यावसायी विभाग के माध्यम से आसान ब्याज पर यात्री वाहन के रूप में टाटा मैजिक स्वीकृत होकर चाबी हाथ में आई तो उसकी सभी चिंताये भी दूर हो गई।
पाली विकासखंड के अंतर्गत आने वाला ग्राम पोलमी के तिलइहां के रहने वाले चंद्रभान सिंह ने बताया कि वह लंबे अर्से से किराये का वाहन चला रहा था। रोजाना सड़क पर वाहन दौड़ाने के बाद भी इतनी आमदनी नही हो पाती थी जिससे घर परिवार ठीक से चल सके। कई बार किराया निकालने के चक्कर में ज्यादा देर तक वाहन भी चलाना पड़ता था। इस दौरान अपने परिवार से दिन रात दूर होने की वजह से कई बार ड्रायव्हरी का काम छोड़ने का मन भी बना लिया था लेकिन आमदनी का कोई जरिया नही होने और ड्रायव्हरी की आदत हो जाने से दूसरे अन्य काम करने की इच्छा भी नही होती थी। चंद्रभान सिंह का कहना है कि ड्रायव्हरी का काम होने की वजह से घर परिवार को भी मेरी ंिचंता सताती थी। मुझे भी दिन रात जागना पड़ता था। एक दिन गांव के एक व्यक्ति के माध्यम से जानकारी मिली की अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये छत्तीसगढ सरकार द्वारा जिला अंत्यावसायी के माध्यम से वाहन ऋण आकर्षक छूट के साथ प्रदान किया जाता है।
चंद्रभान सिंह ने बताया कि वाहन लेने का सपना तो शुरू से ही था लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से उसे लगता था कि उसका सपना कभी पूरा नही होगा। गांव के व्यक्ति से अंत्यावसायी की गुडस कैरियर योजना के बारे में जानकारी मिलते ही उसने आवेदन तो कर दिया लेकिन उसे यकीन नही था कि सचमुच वाहन मिल जायेगा। आवेदन देने के कुछ दिन आगे की प्रक्रिया शुरू हुई। चंद्रभान सिंह का चयन कर लिया गया। सभी प्रकार की कार्यवाही होने के बाद सवारी आटो टाटा मैजिक प्रदान कर दिया गया। वाहन के लिये कुल 4 लाख 80 हजार रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई। चंद्रभान सिंह ने बताया कि वह अपने वाहन का परिचालन अपने गांव से लगे ग्राम पोलमी से रतनपुर, पाली के बीच करता है। इससे माह में 10 से 12 हजार रूपये की कमाई हो जाती है। उसने बताया कि उसके दो बच्चे है। वाहन की किश्त जमा करने के बाद जो बचत होती है उससे घर परिवार बेहतर ढंग से चल जाता है।
चंद्रभान बन गया है वाहन का मालिक, रोज की कमाई से आर्थिक स्थिति भी हो गई है ठीक
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