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कोरबा@M4S:जिले में खनिज न्यास मद का जमकर भ्रष्टाचार किया गया है, जहां राशि खर्च करनी थी उससे दीगर कार्यों में अनाप-शनाप खर्च किया गया। पर्यटन स्थल सतरेंगा को विकसित करने डीएमएफ से करोड़ों रूपये खर्च किए गए हैं, जबकि सतरंगा अप्रत्यक्ष रूप से भी प्रभावित नहीं है। मामले में इंवायरमेंट एक्टिविटिस्ट लक्ष्मी चौहान ने केन्द्रीय खान मंत्रालय से मामले की शिकायत की थी। जिस पर केन्द्रीय खान मंत्रालय के अवर सचिव ने प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।
लक्ष्मी चौहान द्वारा किए गए शिकायत में उल्लेख किया गया था कि प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्र दिशा निर्देशों और 2015 में बनाए गए राज्य नियमों में प्रभावित क्षेत्रों की स्पष्ट परिभाषाएं थी, लेकिन संचालन में आसानी और मनमाने खर्च के लिए डीएमएफटी ने ऐसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्रों को चिन्हित नहीं किया। पूरे जिले को ही प्रभावित माना गया इससे उन क्षेत्रों में अनियमित निधि खर्च हुई जो न तो प्रत्यक्ष और न तो अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हैं। सतरेंगा एक पर्यटन स्थल है जिसे संवारने के नाम पर भारी भरकम राशि डीएमएफ से खर्च की गई। सतरेंगा प्रभावित क्षेत्र नहीं है। इसके अलावा सतरेंगा पर्यटन बोर्ड के अधीन है जो स्वयं राजस्व उत्पन्न करने वाली इकाई है। पर्यटक होटल, रिसार्ट, बोटिंग आदि का वाणिज्यिक संचालन करती है। वहीं दूसरी ओर प्रभावित क्षेत्रों की घोर उपेक्षा की गई है। कोयला क्षेत्र में लगभग 43 प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित गांव है लेकिन उन्हें आदर्श ग्राम बनाने के लिए 6 साल किए गए वादों के अलावा कुछ नहीं किया गया। बड़ी संख्या में गांवों में प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। शिकायत में कहा गया है कि 2015 और अब 2024 के पीएमकेकेवाई दिशा निर्देशों में कुछ भी उल्लेख न होने के कारण राज्य सरकार ने कोरबा डीएमएफ के डीएमएफटी फंड को बिना किसी जरूरी कारण के जांजगीर-चांपा, बिलासपुर जैसे निकटवर्ती जिलों में वितरित कर दिया। यदि कोरबा जिले में फंड को खर्च किया जाता तो प्रभावित लोगों व समुदाय का उत्थान होता। मामले में मंत्रालय अवर सचिव ने मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ को पत्र का हवाला देते हुए मामले में पीएमकेकेवाई दिशा निर्देशों के अनुसार उचित कार्रवाई करने कहा है।
लक्ष्मी चौहान द्वारा किए गए शिकायत में उल्लेख किया गया था कि प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्र दिशा निर्देशों और 2015 में बनाए गए राज्य नियमों में प्रभावित क्षेत्रों की स्पष्ट परिभाषाएं थी, लेकिन संचालन में आसानी और मनमाने खर्च के लिए डीएमएफटी ने ऐसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्रों को चिन्हित नहीं किया। पूरे जिले को ही प्रभावित माना गया इससे उन क्षेत्रों में अनियमित निधि खर्च हुई जो न तो प्रत्यक्ष और न तो अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हैं। सतरेंगा एक पर्यटन स्थल है जिसे संवारने के नाम पर भारी भरकम राशि डीएमएफ से खर्च की गई। सतरेंगा प्रभावित क्षेत्र नहीं है। इसके अलावा सतरेंगा पर्यटन बोर्ड के अधीन है जो स्वयं राजस्व उत्पन्न करने वाली इकाई है। पर्यटक होटल, रिसार्ट, बोटिंग आदि का वाणिज्यिक संचालन करती है। वहीं दूसरी ओर प्रभावित क्षेत्रों की घोर उपेक्षा की गई है। कोयला क्षेत्र में लगभग 43 प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित गांव है लेकिन उन्हें आदर्श ग्राम बनाने के लिए 6 साल किए गए वादों के अलावा कुछ नहीं किया गया। बड़ी संख्या में गांवों में प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। शिकायत में कहा गया है कि 2015 और अब 2024 के पीएमकेकेवाई दिशा निर्देशों में कुछ भी उल्लेख न होने के कारण राज्य सरकार ने कोरबा डीएमएफ के डीएमएफटी फंड को बिना किसी जरूरी कारण के जांजगीर-चांपा, बिलासपुर जैसे निकटवर्ती जिलों में वितरित कर दिया। यदि कोरबा जिले में फंड को खर्च किया जाता तो प्रभावित लोगों व समुदाय का उत्थान होता। मामले में मंत्रालय अवर सचिव ने मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ को पत्र का हवाला देते हुए मामले में पीएमकेकेवाई दिशा निर्देशों के अनुसार उचित कार्रवाई करने कहा है।