DIWALI PUJA SHUBH MUHURAT2024: घरों में दीपावली की पूजा के लिए क्या है मुहूर्त? ज्योतिषाचार्यों ने बताया… ऐसे करें लक्ष्मी पूजन

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आगरा(एजेंसी): खुशियों और रोशनी के पर्व दीपोत्सव की खुशियां चारों और छाई हैं। तीसरे दिन महापर्व दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा। इसको लेकर घर-घर में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। 

गुरुवार को सभी लोग अपने घरों को पुष्पों और रंग-बिरंगी विद्युत रश्मियों से सुसज्जित करेंगे और दिन में अपने प्रतिष्ठानों व शाम से अपने घरों पर दीप प्रज्वलित कर मां लक्ष्मी और भगवान गणेशजी को विराजमान कर उनकी आराधना करेंगे। घरों में लक्ष्मी-गणेशजी के पूजन के लिए शाम 6:27 बजे से लेकर 8:23 बजे तक का मुहूर्त शुभ है। 

सभी घर रंग-बिरंगी रोशनियों से जगमगा रहे हैं। गुरुवार को सुबह घरों और मंदिरों को पुष्प मालाओं से सुसज्जित किया जाएगा। इसके बाद लकड़ी की चौकी सजाकर लक्ष्मी और गणेशजी की मूर्ति स्थापित कर उनकी आराधना की जाएगी। महिलाएं तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी हैं। 

बाजार से मूर्तियों, खील-बताशों, खिलौनों, पूजा सामग्री आदि की खरीदारी हो चुकी है। बच्चों के साथ बड़ों ने भी नए वस्त्र खरीदे हैं, जिन्हें गुरुवार को पहनकर दीपावली पर पूजन किया जाएगा। घरों में भगवान को अर्पित करने के लिए विशेष मिष्ठान्न तैयार किए जाते रहे।
दीपावली पूजन 31 अक्टूबर की रात करना शुभ

ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रेश कौशिक ने बताया कि दीपावली पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। इस वर्ष अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3:12 बजे प्रारंभ हो रही है। दीपावली पर रात्रि में दीपदान किया जाता है।

अमावस्या तिथि की रात्रि 31 अक्टूबर को पड़ेगी, इसलिए दीपावली पर्व मनाना शुभ होगा। अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3:12 बजे प्रारंभ होगी और एक नवंबर को शाम 5:32 बजे संपन्न होगी।

अमावस्या तिथि में एक नवंबर को सूर्यास्त शाम 5:32 बजे हो रहा है, जबकि अमावस्या तिथि सूर्यास्त से पूर्व 5:13 पर संपन्न होगी और 5:13 बजे से प्रतिपदा लग जाएगी इसलिए रात्रि में विद्यमान होने के आधार पर दीपावली पूजन 31 अक्टूबर की रात करना शुभ होगा।

ऐसे करें दीपावली पर लक्ष्मी पूजन

ज्योतिषाचार्य यशोवर्धन पाठक ने बताया कि दीपावली की शाम लक्ष्मी पूजन के लिए ईशान कोण या उत्तर दिशा सर्वोत्तम मानी जाती है। पूजा के स्थान की साफ-सफाई कर स्वास्तिक बनाएं। एक कटोरी में चावल रखें। लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।

साथ में गणेशजी, कुबेरजी को भी विराजमान करें। मूर्ति पर गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। उन्हें पुष्प, धूप, दीप, अक्षत और दक्षिणा चढ़ाएं और हल्दी और रोली से तिलक कर चावल अर्पित करें। पूजा के बाद भोग और प्रसाद चढ़ाएं। अंत में लक्ष्मीजी को छोड़कर सभी देवताओं की आरती उतारें। इसके बाद पूरे घर और मुख्य द्वार पर दीप प्रज्वलित करें।

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