नई दिल्ली:रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था की धीमी पड़ती चाल को गति देने के लिए बुधवार को ब्याज दर में 0.35 फीसदी की अप्रत्याशित कटौती की। लगातार चौथी बार रेपो रेट में राहत देने के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि इससे कर्ज सस्ता होने के साथ निवेश और उपभोग तेजी से बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा। अगर, महंगाई काबू में रही तो एक और राहत अगली मौद्रिक समीक्षा में मिल सकती है। .
SBI ने घटाई ब्याज दरें
एसबीआई ने बुधवार को आरबीआई के निर्णय के बाद कर्ज की दरें 0.15 फीसदी कम की हैं, जो दस अगस्त से प्रभावी होंगी। उसने फरवरी से 0.35 फीसदी की कमी ब्याज दरों में की है, जो अन्य बैंकों से ज्यादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि एसबीआई के फैसले के बाद निजी और सरकारी क्षेत्रों के बड़े बैंकों के लिए कर्ज सस्ता करना मजबूरी होगी, क्योंकि उन्हें भी प्रतिस्पर्धा में बने रहना है।
मौद्रिक नीति में नरम रुख जारी
आरबीआई ने मौद्रिक नीति का नरम रुख बरकरार रखा है। इससे संकेत मिलता है कि आने वाले समय में जरूरत पड़ने पर और कटौती हो सकती है। महंगाई फिलहाल अगले 12 महीनों तक लक्ष्य के दायरे में रहने का अनुमान है और जून में भी घरेलू आर्थिक गतिविधियां नरम बनी हुई है। वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में कमी और कारोबारी जंग से वैश्विक विकास दर और नीचे जाने का जोखिम बरकरार है।
सेंट्रल रजिस्ट्री बनाने का फैसला
आरबीआई ने डिजिटल लेनदेन में बढ़ती धोखाधड़ी पर अंकुश के लिए सेंट्रल पेमेंट फ्रॉड रजिस्ट्री बनाने का फैसला किया है। इसके जरिये पेमेंट सिस्टम में धोखाधड़ी की रियल टाइम निगरानी हो सकेगी। अभी बैंक किसी धोखाधड़ी की सूचना आरबीआई की सेंट्रल फ्रॉड मॉनीटरिंग सेल को देते हैं। इसकी रूपरेखा अक्तूबर तक तैयार होगी। आरबीआई ने कहा कि डिजिटल लेनदेन बढ़ाने के लिए यह जरूरी है।
एक मंच से सभी बिलों का भुगतान
रिजर्व बैंक ने आवर्ती बिल यानी हर माह के भुगतान वाली सभी इकाइयों को भारतीय बिल-भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के मंच से जुड़ने की छूट देने का निर्णय किया है। इसके लिए सितंबर तक दिशानिर्देश जारी कर दिए जाएंगे। बीबीपीएस एक ऐसा मंच है, जिससे अभी डीटीएच, बिजली, गैस, टेलीफोन और पानी -पांच क्षेत्रों की कंपनियों इकाइयों के बिल जमा कराए जा सकते है।
एनबीएफसी को ज्यादा कर्ज
आरबीआई ने कहा कि बैंक अब किसी एक एनबीएफसी को 20 फीसदी तक कर्ज दे सकेंगे, पहले यह 15 प्रतिशत था। प्राथमिक क्षेत्रों को कर्ज बढ़ाने के इरादे से पंजीकृत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बैंकों द्वारा कर्ज देने की अनुमति दी गई है। बैंक एनबीएफसी को 10 लाख रुपये तक कृषि, लघु उद्यमों को 20 लाख रुपये और आवास के लिए 20 लाख रुपये तक के कर्ज के लिए ऋण दे सकेंगे।
विकास दर का अनुमान 6.9 प्रतिशत किया
रिजर्व बैंक ने कमजोर घरेलू एवं वैश्विक मांग के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष का विकास अनुमान सात प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने साफ किया कि वृद्धि दर का अनुमान कम किया गया है लेकिन यह गिरावट के जोखिम के साथ नहीं है। उन्होंने कहा कि आरबीआई की समझ है कि वृद्धि दर में नरमी इसके चक्रीय प्रभाव की वजह से है। उन्होंने दूसरी छमाही में वृद्धि में तेजी की उम्मीद जताई। केंद्रीय बैंक ने जून में हुई पिछली बैठक में वित्त वर्ष 2019-20 में विकास दर सात प्रतिशत रहने का पूवार्नुमान व्यक्त किया था, लेकिन पिछले दो महीने में घरेलू तथा वैश्विक मांग में कमजोरी के संकेत मिले हैं।
आने वाले समय में अर्थव्यवस्था में तेजी लौटेगी
दास ने कहा, मौद्रिक नीति को नरम बनाने से आने वाले समय में आर्थिक गतिविधियों को गति मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सरकार और आरबीआई वृद्धि प्रक्रिया को गति देने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। केंद्रीय बैंक वृद्धि को आगे बढ़ाने के लिये यह सुनिश्चित करेगा कि अर्थव्यवस्था में पर्याप्त नकदी उपलब्ध हो। उन्होंने नकद आरक्षित अनुपात में फिलहाल कटौती से इनकार किया। दास ने सरकारी बांड जारी करने के बारे में आरबीआई की राय बताने से इनकार कर दिया।
पर्सनल लोन भी सस्ता
आरबीआई ने क्रेडिट कार्ड को छोड़कर उपभोक्ताओं से जुड़े सभी अन्य असुरक्षित कर्ज पर जोखिम दर 125 से घटाकर 100 फीसदी कर दी है। इससे पर्सनल लोन भी सस्ता होगा और आसानी से मिलेगा। डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन ने कहा कि 125 प्रतिशक की दर बैंकों के लिए तय बासेल मानकों से काफी ज्यादा है। यह उस वक्त तय की गई थी जब कर्ज का वितरण काफी ऊंचा था। इसके लिए अगस्त अंत तक दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
आप पर पड़ेगा ये असर
धोखाधड़ी के मामले में तुरंत जांच-पड़ताल शुरू हो सकेगी। संदिग्ध व्यक्तियों और खातों की तुरंत पहचान हो सकेगी। धोखाधड़ी के नए पैटर्न की सूचना से ग्राहक जागरूक होंगे। होम लोन और पर्सनल लोन भी सस्ते होंगे।
ब्याज दरें इस तरह घटीं
05 दिसंबर 2018 6.50
07 फरवरी 2019 6.25
04 अप्रैल 2019 6.00
06 जून 2019 5.75
07 अगस्त 2019 5.40 (आंकड़े प्रतिशत में)
2012-13 में ज्यादा कटौती
– 1.25 फीसदी घटाई गई ब्याज दर अप्रैल 2012 से मई 2013 के बीच
– 50% की अधिकतम कमी 17 अप्रैल 2012 को पहली कटौती में
– 8.50% से 7.25 फीसदी पर आई रेपो दर इन चार कटौतियों से
– अप्रैल 2010 के बाद सबसे कम ब्याज दर देश में अभी