गांव में नहीं पहुंचती थी एंबुलेंस, मरीज की हो जाती थी मौत  प्रशासन की अनदेखी से त्रस्त मुढ़धोवा के ग्रामीणों ने बनाया लकड़ी का पुल

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कोरबा@M4S:औद्योगिक नगरी कोरबा में विकास कार्यों के लिए फंड की कोई कमी नहीं है। इसके बाद भी दूरस्थ क्षेत्रों में विकास की रोशनी नहीं पहुंची है। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें प्रशासन की अनदेखी से त्रस्त ग्रामीणों ने लकड़ी का पुल बनाया है।
प्रशासन की लगातार अनदेखी के शिकार गांव के लोगों ने अपनी समस्या का खुद समाधान कर लिया। नाले पर पुल नहीं होने से परेशान ग्रामीणों ने जिम्मेदार अधिकारियों को कई बार इससे अवगत कराया, लेकिन उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब ग्रामीणों ने खुद मिलकर पुल बना दिया है। बांस-बल्ली से बने इस पुल से ग्रामीण आवागमन कर रहे हैं। मामला जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर चुइया पंचायत का मुढ़धोवा गांव का है, जो बारिश में टापू बन जाता है। चारों तरफ से नालों से घिरे इस गांव में आज तक पुल नही बना। सिस्टम की बेरूखी के कारण कुछ दिन पहले एक महिला को अपनी जान गवानी पड़ गई। बताया जा रहा है कि नाला उफान पर था। जिसके कारण गांव में ना एंबुलेंस आ पाया और ना लोग गांव से बाहर निकल पाए। बीमार महिला तड़पती रही। ना एंबुलेंस पहुंचा और ना ही डॉक्टर। इलाज के अभाव में महिला की मौत हो। बारिश के कारण कोई और बेमौत ना मरे इसके लिए लोगों ने लकड़ी का पुलिया बना डाला।ग्रामीणों ने बताया कि इलाज नहीं मिलने की वजह से पिछले कई सालो में गांव में कई मौतें हो चुकी है। मगर इस बात से ना प्रशासनिक अफसरों को फर्क पड़ा और ना ही गांव को गोद लेने वाले बालको मैनेजमेंट ने कोई पहल की। सरकारी उपेक्षा से निराश लोगो ने नाले पर खुद ही पुलिया बनाने की ठानी और श्रमदान कर चट्टानों के बीच लकड़ी का पुल बना डाला। कम से कम इस बारिश में अब किसी की जान नही जाएगी। बच्चे स्कूल जा सकेंगे।गांव से ही लगा परसाखोला वाटर फॉल है, जिसका लुत्फ उठाने राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी और बालको मैनेजमेंट के अधिकारी पहुंचते है। मगर उनके पास इसी नाले के उस पार रहने वाले लाचार आदिवासियों की पीड़ा जानने का वक्त नहीं है। लोगों ने भी मदद के लिए अब सरकार का मुंह ताकना बंद कर दिया है। अपनों को किसी अप्रिय घटना से बचाने के लिए लोगों ने लकड़ी का पुलिया बना डाला। आदिवासियों की ये पहल सरकार और प्रशासनिक अफसरों के मुंह में तमाचा से कम नहीं है।

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