हरा सोना, धान के बढ़े समर्थन मूल्य से हुआ किसान का सपना पूरा
कोरबा@M4S:पहाड़ों और घने जंगलों से घिरे ग्राम ठाकुरखेता की जनसंख्या भले ही बहुत कम है लेकिन यहा प्रकृति ने ग्रामीणों को तेदूपत्ता अर्थात हरे सोने का ऐसा उपहार दिया है कि यहंा रहने वाले अनेक ग्रामीणों को गर्मी के दिनों में अधिक से अधिक रूपया कमाने का मौका मिलता है। यहा संग्रहित होने वाला तेंदूपत्ता सबसे अधिक कीमत में खरीदी जाती है। ठाकुरखेता के तेंदूपत्ता की डिमांड अधिक होने की वजह से यहा के ग्रामीण हरासोना संग्रहण कार्य में रूचि दिखाते है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों को प्रति मानक बोरा चार हजार रूपये दिये जाने के पश्चात वनांचल के संग्राहकों को दुगना आर्थिक लाभ हो रहा है। यहा रहने वाले ग्रामीण राजकुमार राठिया भी ऐसे संग्राहक है जिसके खाते में 40 हजार की राशि पहुंच गई है। लगभग 10 बोरा तेंदूपत्ता संग्रहित करने के बाद खाते में मेहनत की राशि मिलने पर खुशी जाहिर करते हुये राजकुमार ने पहले तो प्रदेश के मुख्यमंत्री को तेंदूपत्ता संग्रहण प्रति मानक बोरा राशि और धान का समर्थन मूल्य बढ़ाने पर धन्यवाद दिया फिर उसने बताया कि पिछले कुछ साल से बचत कर वह एक अच्छा घर बनाने का स्वप्न देख रहा था। इस बार तेंदूपत्ता संग्रहण से मिली राशि से उसका घर का सपना पूरा होने वाला है।
कोरबा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले पतरापाली ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम ठाकुरखेता में लगभग 136 तेंदूपत्ता संग्राहक परिवार है। यहा रहने वाले संग्राहक राजकुमार ने बताया कि वह और उसकी पत्नी अशोकी बाई गर्मी के दिनों में तेंदूपत्ता तोड़ने का काम करते है। पहले बहुत ज्यादा मेहनत करने पर भी राशि कम मिलती थी क्योकि मानक बोरा की राशि भी कम थी। अब दर बढ़ने से राशि भी अधिक मिलने की बात कहते हुये राजकुमार ने बताया कि वह पिछले कई साल से तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य करता आ रहा है। इससे मिलने वाले रूपये के अलावा धान, सब्जी बेचने से मिली राशि को बचत करता आ रहा है। पिछले साल 19 बोरा से अधिक संग्रहण किया था। इसके एवज में 68 हजार 385 रूपये बोनस के रूप में उसके खाते में प्रदान की गई थी। राजकुमार ने बताया कि गांव में ही उसे अपना एक अलग से घर बनाना है। अपने पसंद का घर बनाने के लिये बचत की राशि को व्यर्थ खर्च नही करता। जो राशि जमा है उसमें तेंदूपत्ता संग्रहण से मिली राशि को मिलाकर घर बनाने का काम प्रारंभ करेगा। उसने बताया कि अपनी बड़ी बेटी दिलेश्वरी को अच्छे से पढ़ाने के लिये उसने कोरबा शहर के शासकीय आश्रम में दाखिल कराया है। राजकुमार का मानना है कि पढ़ाई से ही उसकी बेटियों का बेहतर भविष्य बन सकता है। राजकुमार की पत्नी अशोकी बाई का कहना है गर्मी के दिनों में ग्रामीणों के पास कुछ काम नही होता है। ऐसे में तेंदूपत्ता संग्रहण से खाली समय में आमदनी हो जाती है। उसने राज्य शासन द्वारा 4000 प्रति मानक बोरा में तेंदूपत्ता क्रय करने का निर्णय को वनांचल के ग्रामीणों के लिये वरदान बताते हुये कहा कि ग्रामीणों के लिये तेंदूपत्ता हरा सोना ही है। जो जितना अधिक संग्रहण कर पायेगा उसको उतना ही ज्यादा संग्रहण एवं बोनस राशि मिलने की गांरटी बढ जायेगी।
तेंदूपत्ता का रूपया मिला चालीस हजार, अब पंसद का घर बनायेगा राजकुमार
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