रिश्वत की आय का ब्यौरा खंगाल रही एसीबी की टीम  एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम दोनों अधिकारियों के पहुंची घर

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कोरबा@M4S: एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) बिलासपुर की टीम ने मंगलवार को नगर पालिक निगम के दो बड़े अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की थी। जांच आगे बढ़ाते हुए भ्रष्ट अधिकारियों घर तक टीम जा पहुंची है। नगर निगम जोन दफ्तर से रंगे हाथ पकडऩे के बाद दोनों अधिकारियों को सीधे एसीबी की टीम उनके उनके घर लेकर पहुंची। अफसरों ने बताया कि जहां पहले से एसीबी के जवानों की तैनाती की गई थी। इस कार्रवाई से अन्य अफसरों में हडक़ंप मच गया है।
मामला नगर पालिक निगम कोरबा के अधीनस्थ दर्री जोन कार्यालय का है। निगम अधिकारी (एसडीओ) डी.सी. सोनकर ने प्रार्थी मानक राम साहू (ठेकेदार) से निर्माण कार्य सम्बंधित उपयोग भुगतान किए गए,रनिंग बिल व फाइनल बिल की राशि लगभग 21 लाख रुपये में से 2 प्रतिशत कमीशन की मांग की गई थी। जो कि कुल 42 हजार रुपये हो रही थी। लेकिन प्रार्थी द्वारा रिश्वत नहीं देने का मन बनाकर इसकी शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो बिलासपुर में की थी। वही शिकायत का सत्यापन कराए जाने पर आरोपी सोनकर द्वारा 42 हजार की जगह 35000 रुपये लेने हेतु सहमती दी गई। जिसके बाद एंटी करप्शन ब्यूरो के उप पुलिस अधीक्षक अजितेश सिंह की अगुआई में 9 सदस्यों टीम ने निगम के दर्री जोन कार्यालय में दबिश देकर दोनों अधिकारियों को रंगे हाथ धर दबोचा। वही एसीबी टीम की योजना अनुसार आरोपी सोनकर को 35 हजार रुपये देने गया तो सोनकर ने अपने सब इंजीनियर देवेंद्र स्वर्णकार को देने हेतु प्रार्थी मानक राम साहू (ठेकेदार) को कहा। जिस पर प्रार्थी द्वारा आरोपी देवेंद्र को रिश्वत की रकम दर्री जोन कार्यालय में दिया। दोनों अधिकारी रिश्वत लेते रकम के साथ रंगे हाथ पकड़ा गया है। वही दोनों अधिकारियों के घर की भी तलाशी ली गई है। जिसमें एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारियों को अहम दस्तावेज के साथ कोई बड़ा सुराग हाथ लगने की जानकारी मिल रही है। आने वाले दिनों में इसका बड़ा खुलासा होने की संभावना है। आरोपी दोनों अधिकारियों को अभिरक्षा में लेकर उनके विरुद्ध धारा 7,12 पीसी एक्ट 1988 के तहत कार्यवाही की गई है। इस पूरे मामले में निगम अधिकारियों के मध्य हडक़ंप मचा हुआ है और यही भय सता रहा है की अगला नंबर किसका होगा। वही नगर पालिका निगम के दोनों अधिकारियों को पुलिस न्यायालय में प्रस्तुत कर रिमांड में लेने की कोशिश करेगी। ताकि उनसे पूछताछ कर सके। संबंधित अधिकारियों के भ्रष्टाचार का कनेक्शन कहां तक जुड़ा है जिसका खुलासा हो सके। इन दोनों अधिकारियों के साथ और किनकी भागीदारी है इसकी भी तह तक पहुंचने की कोशिश एसीबी की टीम कर रही है। रिश्वत की आय से कितनी संपत्ति बनाई है इसका ब्यौरा खंगाला जा रहा है। पड़ताल की जा रही है कि उनकी जितनी सरकारी वेतन है उनके मुताबिक उन्होंने किस पैमाने पर सुख सुविधाओं का आयोजन किया है। अमूमन देखा जाता है कि रिश्वत लेते पकड़े गए आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल दाखिल कर दिया जाता है, लेकिन इस बार न्यायालय से सर्च वारंट की अनुमति लेकर संपत्ति की भी जांच की जा रही है। दोनों घुसखोर अधिकारियों की संपत्ति की जांच उपरांत आय से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज हो सकता है।

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