बारिश से पहले नहीं बनी कोयलांचल की सडक़ तो होगी परेशानी  कुसमुंडा फोरलेन सडक़ और सर्वमंगला चौक से तरदा के बीच चल रहा है कार्य

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कोरबा@M4S:एसईसीएल के सहयोग से पीडब्ल्यूडी द्वारा कुसमुंडा के इमलीछापर चौक से सर्वमंगला चौक तक फोरलेन सडक़ और सर्वमंगला चौक से तरदा की ओर नहर किनारे टू-लेन बायपास सडक़ निर्माण कार्य चल रहा है।देखते-देखते मानसून करीब आता जा रहा है। अब गर्मी के डेढ़ माह बच गए हैं, 15 जून के बाद मानसून के दस्तक के साथ ही बारिश के सीजन में निर्माण कार्य रुक जाएगा। ऐसे में वर्तमान में निर्माण कार्य की गति ऐसी ही रही तो बारिश में फिर से बारिश के दौरान राहगीरों के लिए सर्वमंगला चौक से कुसमुंडा व तरदा-कनकी की ओर आवाजाही मुश्किल हो जाएगी।
निर्माण कार्य को 6 साल पहले जब मंजूरी मिली, तब शहर से कुसमुंडा के बीच सडक़ टू-लेन और भारी वाहनों का दबाव ज्यादा होने से आवाजाही परेशानी भरी थी। ऐसी ही स्थिति सर्वमंगला चौक से तरदा-कनकी की ओर जाने वाले नहर मार्ग की थी, जो सिंगल सडक़ थी। निर्माण कार्य शुरू होने पर उम्मीद थी कि सडक़ों का निर्माण तेज गति से होगा और राहगीरों को परेशानी से जल्द राहत मिल जाएगी। शुरुआत तो तेज हुई, लेकिन फिर कभी फंड जारी होने में देरी तो कभी अन्य वजह से निर्माण कार्य रूकता रहा। अब सर्वमंगला चौक से इमलीछापर व तरदा की ओर निर्माणाधीन सडक़ का 80 फीसदी काम हो चुका है, लेकिन 20 फीसदी काम लंबे समय से अटका पड़ा है जिसमें फोरलेन पर बरमपुर मोड़ के पास नहर पर ब्रिज निर्माण तो नहर बायपास पर सर्वमंगला चौक की ओर अंतिम हिस्से में यू-टर्न सडक़ का निर्माण शामिल है।सर्वमंगला चौक से इमलीछापर चौक तक फोरलेन निर्माण के शुरू होने के बाद कुसमुंडा थाना की ओर के हिस्से में आवाजाही सुगम हो, इसके लिए एसईसीएल व प्रशासन ने इमलीछापर रेलवे फाटक के पास वाई शेप ब्रिज के निर्माण का प्रस्ताव बनाया। एसईसीएल से करीब 56 करोड़ रुपए की लागत से राइटर्स के सुपरविजन में रेलवे ब्रिज का निर्माण चल रहा है, लेकिन गति धीमी होने से शिवमंदिर चौक की ओर से इमलीछापर व कुचैना की ओर आवाजाही में राहगीरों को परेशानी हो रही है।कोरबा से कुसमुंडा जाने वाले फोरलेन पर बरमपुर मोड़ के पास करीब 3 सौ मीटर की दूर में नहर के ऊपर ब्रिज व फोरलेन से जोडऩे एप्रोच सडक़ का निर्माण कार्य अटका हुआ है। नहर के ऊपर पाइलिंग व छड़ लगने के बाद आगे का कार्य कई माह से रुका है। बारिश के दिनों में बरमपुर मोड़ के पास ही आवाजाही मुश्किल हो जाती है। नीचे दलदली मिट्टी होने व कोयला परिवहन में लगे भारी वाहनों के दबाव से गड्ढे हो जाते हैं। चलना दूभर हो जाएगा।

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