कोरबा@M4S:किंग कोबरा के लिए मशहूर कोरबा के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। कोरबा में ईरान, अफगानिस्तान में मिलने वाली दुर्लभ लेपर्ड गीको छिपकली मिली है। किंग कोबरा के रिसर्च के दौरान वन विभाग के ट्रैप कैमरा में लेपर्ड गेको छिपकली की तस्वीर कैद हुई है।
जिले के जंगल में दुर्लभ प्रजाति की लेपर्ड गीको छिपकली मिली है। सामान्य तौर पर यह छिपकली भारत-पाकिस्तान की सीमा ईरान, अफगानिस्तान में पाई जाती है। यह पहाड़ी इलाकों में मिलते हैं और गुफाओं में रहना पसंद करते हैं। कोरबा जिले में किंग कोबरा के ऊपर चल रहे रिसर्च के दौरान यह दुर्लभ छिपकली की अजगरबहार के पास देखी गयी है। जो वन विभाग के कैमरे में कैद हो गई। यह छिपकली देखने में बेहद खूबसूरत होती है। छिपकली को खतरा महसूस होता है, तो तेज रफ्तार में भागती है। यह सांपों की तरह तेज आवाज भी निकालती है। इसकी लंबाई करीब 20 सेंटीमीटर तक हो सकती है। इसके अंदर विष नहीं होता। जिले के वनांचल क्षेत्र में किंग कोबरा का भी रहवास है। छत्तीसगढ़ में कोरबा इकलौता ऐसा जिला है। जहां किंग कोबरा की मौजूदगी है। 12 से लेकर 17 फीट तक के किंग कोबरा यहां पाए जा चुके हैं। किंग कोबरा के रहवास लिए वन विभाग रिसर्च कर रहा है। जहां किंग कोबरा पाए गए हैं। वहां रिसर्च किया जा रहा है, इनके संरक्षण की दिशा में काम चल रहा है। इसी दौरान वन विभाग के ट्रैप कैमरा में लेपर्ड गेको छिपकली की तस्वीर कैद हुई। अजगरबहार के पास हमें दुर्लभ लेपर्ड गेको छिपकली मिली है। किंग कोबरा के रहवास क्षेत्र में रिसर्च के दौरान हमें यह छिपकली मिली है। कोरबा के लिए यह बेहद खुशी की बात है। जब हम किंग कोबरा के रहवास को विकसित कर रहे हैं। तब अन्य जीव भी इसमे शामिल हो जाते हैं।
70 फीसदी हिस्सा घने वन वाला क्षेत्र
कोरबा जिले का 70 फीसदी हिस्सा घने वन वाला क्षेत्र है। कई बार जंगल से भटककर जंगली जीव आबादी क्षेत्र में पहुंच जाते हैं। कोरबा के वनों मे कई बार दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव देखे जा चुके हैं। कोरबा जिले के जैव विविधता की अक्सर तारीफ भी की जाती है। यहां तेंदुआ, भालू, हाथी, किंग कोबरा सहित ऑटर भी पाया जाता है। जिनके संरक्षण की दिशा में वन विभाग के अधिकारी काम भी करते हैं। हालांकि दुर्लभ जीवों को संरक्षण देना उनके लिए बड़ी चुनौती भी है