विस्थापित किसानो की बैठक आयोजित
कोरबा@M4S:26 फरवरी को छत्तीसगढ़ किसान सभा ,जनवादी नौजवान सभा और महिला समिति की सयुंक्त पदयात्रा के बाद प्रतिनिधिमंडल को जिला प्रशासन ने 1 सप्ताह में विस्थापित और किसानों की मांगो पर विस्तृत चर्चा और निराकरण के लिए बैठक आयोजित करने का आश्वासन दिया था किंतु 10 दिन बीत जाने के बाद भी सकारात्मक कार्यवाही नहीं होने पर विस्थापितों ने नाराजगी जाहिर किया है और अपने 8 सूत्रीय मांगों पर आज कटघोरा विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम मड़वाढोढा में छत्तीसगढ़ किसान सभा की विस्तारित बैठक आयोजित किया गया जिसमें विस्तार देते हुए दो चरण में आंदोलन की रूपरेखा तैयार किया है जिसमे पहले 18 मार्च को गंगा नगर से गेवरा स्टेशन के बीच रेल और सड़क मार्ग से उद्योग संस्थानों के लिए होने वाली कोयला परिवहन को रोकने तथा दूसरे चरण में 14 अप्रेल से दीपका से रायपुर तक पदयात्रा शुरू करने और मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने का निर्णय लिया गया है ।
आज हुयी बैठक में छत्तीसगढ़ किसान सभा , जनवादी नौजवान सभा ,जनवादी महिला समिति के पदाधिकारियों ने एक स्वर में कहा है कि 50 सालो से अधिग्रहण के नाम पर जिले के किसानों की जमीन का लूट खसोट की गयी है और कहा गया था कि देश का विकास किया जा रहा है। किंतु पूर्व में जिनकी जमीन छीनी गयी है और आने वाले समय में और भी छीनी जायेगी उनकी रोजगार ,मुआवजा, पुनर्वास सहित शिक्षा, चिकित्सा और समस्त बुनियादी समस्याओ का निराकरण नहीं किया गया है । किसानों से जल, जंगल ,जमीन का अधिकार को छीना जा रहा है पिछली भाजपा सरकार तो पूरी तरह से किसान विरोधी थी और वर्तमान सरकार ने नरवा, घुरवा, गरवा , बारी का नारा दिया है किंतु कोरबा जिला के विस्थापितों के साथ हुए अन्याय को निराकृत करने के लिए कोई पहल नहीं कर पायी है और न ही अपने बजट में भी इस दिशा में ध्यान नहीं दिया गया है । जिससे कोरबा वासी अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं । इसलिए यहां के किसानों और भुविस्थापितो को अपनी मांगों को लेकर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ रहा है ।
गौर तलब है कि आद्योगिक संस्थानों के लिए अधिग्रहित किन्तु अनुपयोगी जमीन की वापसी, नए और पुराने अधिग्रहण के मामले में रोजगार, मुआवजा और रोजगार, पुनर्वास गाँवों की समुचित विकास कार्य और सुविधा, काबिज और आबंटित भूमि का मालिकाना हक , पुनर्वास गाँव में तोड़फोड़ बंद करने , भुविस्थापितो परिवारों को निःशुल्क शिक्षा और चिकित्सा उपलब्ध कराने तथा प्राथमिकता देने , भुविस्थापितो को प्रमाण पत्र देने, वनाधिकार मान्यता कानून के तहत ग्रामीण और नगरीय निकायों में काबिजो को पट्टे देने , जिला खनिज न्यास निधि का खान एवं खनन क्षेत्र के प्रत्यक्ष प्रभावित गाँवों में ही विकास कार्य करने जैसी मांगो को लेकर 25 किमी की लंबी पद यात्रा कर कोरबा कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन दिया गया था और कलेक्टर द्वारा 1 सप्ताह में चर्चा के लिए मीटिंग बुलाने का आश्वासन दिया गया था किंतु सकारात्मक प्रतियुत्तर नहीं मिलने पर प्रभावितों ने आंदोलन को उग्र करने की रणनीति बनाई है । इस आंदोलन में कोरबा जिले के सभी कोयला खदान ,बिजली संयंत्र, बाँध परियोजना, बालको सहित अन्य आद्योगिक संस्थानों के प्रभावितों को शामिल किया गया है । बैठक में प्रमुख रूप से माकपा नेता सपुरन कुलदीप, नौजवान सभा के प्रशांत झा , जनवादी महिला समिति के धनबाई कुलदीप , किसान सभा के नन्दलाल कंवर , विजय पाल सिंह तंवर , रूद्र दास महंत , धरम सिंह कंवर , जवाहर कंवर , भानुप्रतापसिंह कंवर , देव कुमारी , शुकवारा बाई, तेरस बाई , समार साय , बुधवार सिंह, बाबू सिंह कंवर , करण दास , जयपाल सिंह , मुकेश सिंह , रामदास , राजेश यादव , माहेश्वरी सिंह , विनीता कंवर, गीता महंत, रामप्रसाद , हरिसिंह , मुन्ना बाई, सन्तोष महिलांगे , सुरेश महिलांगे , राजेंद्र गुप्ता , सम्पत सिंह , सहस राम यादव , शंकर सिंह कंवर , सहित बड़ी संख्या में प्रभावित् क्षेत्र के किसान और भुविस्थापित मौजूद थे ।