//लोक अदालत का सार ना जीत ना हार//
कोरबा@M4S:दिनांक 09 मार्च 2024 को हुआ वर्ष 2024 का प्रथम हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत का आयोजन 4314 प्रकरणों का हुआ निराकरण
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा द्वारा जिला एवं तहसील स्तर पर दिनांक 09 मार्च 2024 को सभी मामलों से संबंधित नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। सत्येंद्र कुमार साहू, जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के आतिथ्य में एवं विशिष्ठ अतिथि अपर सत्र न्यायाधीश कु. संघपुष्पा भतपहरी,, तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश अश्वनी कुमार चतुर्वेदी, अपर सत्र न्यायाधीश (एफ.टी.सी.) कोरबा ज्योति अग्रवाल, द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश कृष्ण कुमार सूर्यवंशी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोरबा कु0 सीमा चंद्रा, तृतीय व्यवहार न्यायाधीश, बृजेश राय, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग एक कोरबा के अतिरिक्त व्यवहार न्यायाधीश, प्रतिक्षा अग्रवाल, व्यवहार न्यायाधीश वर्ग दो रिचा यादव, संजय जायसवाल, अध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ, कोरबा, नूतन सिंह ठाकुर, सचिव, जिला अधिवक्ता संघ कोरबा, बी.के. शुक्ला, सदस्य, छ0ग0 राज्य विधिज्ञ परिषद बिलासपुर, मानसिंह यादव, चीफ लीगल एड डिफेंस कौंसिल सिस्टम कोरबा दीप प्रज्जवलन कार्यक्रम में उपस्थित थे। नालसा थीम सांग न्याय सबके लिये के साथ नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया गया। जिसमें न्यायालय में कुल 10782 प्रकरण रखे गये थे, जिसमें न्यायालयों में लंबित प्रकरण 3117 एवं प्री-लिटिगेशन के 7665 प्रकरण थे। जिसमें राजस्व मामलों के प्रकरण, प्री-लिटिगेशन प्रकरण तथा न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के कुल प्रकरणों सहित 4314 प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत मंे समझौते के आधार पर हुआ।
सक्सेस स्टोरीः
बेसहारा परिवार को मिला न्याय, लोक अदालत बना सहारा
घटना दिनांक 17.01.2022 को आवेदिका का पति फूलचंद देवांगन अपना वाहन से बालको जाने को निकाला था। शाम के करीब 06 बजेे परसाभांठा के पास मुख्य मार्ग में अनावेदक ने टेªलर लापरवाही पूर्वक चलाकर आवेदक के जवान युवक को ठोकर मारकर दुर्घटना में घायल कर दिया जिसका ईलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। आवेदिका का पति घर का एकलौता कमाने वाला था। जिसकी मृत्यु हो जाने से आवेदिका एवं उसके नाबालिग बच्चे एवं उनकी बेसहारा हो गए थे, अब उनका लालन-पालन करने वाला कोई सहारा नहीं रहा। जिस कारण आवेदकगणों के द्वारा क्षति रकम प्राप्त करने हेतु, अनावेदक के विरूद्ध मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 166 के अंतर्गत मान. न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया गया था। प्रकरण में आवेदकगण एवं अनावेदक (बीमा कंपनी) ने हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में संयुक्त रूप से समझौता कर आवेदन पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें हाइब्रीड नेशनल लोक अदालत का लाभ लेते हुए आवेदकगणों ने 24,00,000/- रूपये (चैबिस लाख रूपये) बिना किसी डर-दबाव के राजीनामा किया जिसे आज दिनांक से 30 दिवस के भीतर अदा किए जाने का निर्देश दिया गया इस प्रकार बेसहारा परिवारजनों को जीवन जीने का एक सहारा नेशनल लोक अदालत ने प्रदान किया।
लोक अदालत ने पति-पत्नी विवाद को किया समाप्त किया सफल कुटुम्ब के निर्माण में दिया अपना बहुमूल्य योगदान
आज के वर्तमान परिवेश में दाम्पत्य जीवन की डोर कमजोर हो चली है, आपसी विवाद घरेलू हिंसा तथा एक दूसरे पर विश्वास की कमी कमजोर दाम्पत्य जीवन का आधार बन रही है। ऐसे ही घटना मान कुटुंब न्यायालय में विचाराधीन था, आवेदक एवं अनावेदक का आज से लगभग 12 वर्ष पूर्व हिन्दू रिति-रिवाज से विवाह संपन्न हुआ था। दंपति को विवाह से एक पुत्र की प्राप्ति हुई। शादी में आवेदिका के द्वारा भरपूर दहेज लाया गया था परंतु दहेज लोभी परिवार दहेज में मोटर सायकल नहीें मिला कहकर हर रोज प्रताडित करने लगे। अनावेदक आवेदिका पर अकारण इस बात पर ताना मारने लगा तथा मारपीट कर कई बार घर से बाहर निकाल दिया गया। घर गांव में शराब पीकर गंदी गंदी गाली देकर आवेदिका को लज्जित करने लगा तथा क्रूरता का व्यवहार करते हुए अनावेदक आए दिन शराब के नशे में गाली-गलौच कर शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रताडित करने लगा। विवाद इतना बढ गया की अनावेदक के द्वारा आवेदिका को अन्य ग्राम में जबरन छोड कर चला आया एवं भरण-पोषण की व्यवस्था करना बंद कर दिया। ऐसे में विपरित परिस्थितियों से तंग आकर आवेदिका ने मान. न्यायालय के समक्ष भरण पोषण राशि दिलाए जाने बाबत् आवेदन प्रस्तुत किया गया। आज दिनांक 09.03.2024 को आयोजित हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में मान. खंडपीठ ने आवेदक को समझाईश दी जिसके फलस्वरूप अनावेदक अपनी आवेदिका पत्नी एवं नाबालिग पुत्र को साथ रखे तथा एक खुशहाल वैवाहिक जीवन व्यतीत करे। जिससे आवेदक एंव अनावेदिका ने समझाईश को स्वीकार कर अपने एवं अपने कुटुम्ब के भविष्य हेतु राजीनामा के आधार पर सुखपूर्वक एवं खुशहाल जीवन यापन हेतु बिना डर एवं दबाव के समझौता किया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत ने बेसहारा आवेदिका के प्रकरण में राजीनामा करा कर सफल कुटम्ब निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान दिया।
पुरूष कर्मचारी को भी मिला लोक अदालत का लाभ
आवेदक भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड कोरबा में कार्यरत लिजिमोन्टेजेंस प्रा. लि. विभाग में जी.ए.पी. में मास्टर टेक्नीशियन के रूप में वर्ष 2007 से कार्यरत था। वर्ष 2020 में साथी कर्मचारी के शिकायत के आधार निलंबित कर दिया गया। वर्ष 2020 में ही वरिष्ठ अधिवक्ता को जांच अधिकारी नियुक्त कर आवेदक के खिलाफ विभागीय जांच कराई गई जिसमें जांच अधिकारी द्वारा आवेदक पर लगाए गए आरोप सिद्ध नहीं होना पाया गया परंतु आवेदक को पुनः दिनांक 06.10.2020 को पुनः कार्यस्थल पर यौन शोषण अधिनियम के तहत आई.सी.सी. कमेटी के जांच अधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया गया। जिसमें आई.सी.सी. कमेटी के द्वारा आवेदक को जांच प्रतिवेदन की प्रति प्रदाय किए बिना आवेदक को वर्तमान ग्रेड से पदावनत किए जाने का निर्णय दिया गया। उपरोक्त सजा के विरूद्ध आवेदक के द्वारा श्रम न्यायालय के समक्ष प्रकरण को दर्ज किया गया जिसमें आज दिनांक 09 मार्च 2024 को हाइब्रीड नेशनल लोक अदालत का लाभ लेते हुए आवेदक को उनके पुराने मूल वेतन के भुगतान पर माह मार्च 2024 से नियुक्त किए जाने हेतु बिना किसी डर-दबाव के राजीनामा किया।