कोरबा@M4S:एसईसीएल में नियोजित आउटसोर्सिंग कंपनियों में स्थानीय बेरोजगारों के बजाय अन्यत्र के लोंगो की भर्ती पर रोक लगाते हुये खदान प्रभावितों को रोजगार की मांग करते हुए आज एसईसीएल की गेवरा महाप्रबंधक के कार्यालय में छत्तीसगढ़ की महापर्व छेरछेरा के अवसर पर बाजेगाजे के साथ घण्टो तक बैठे रहे और रोजगार दिलाने की मांग की । सीजीएम मोहंती ने रोजगार उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है वहीं भूविस्थापित बेरोजगारों ने कहा है कि जब तक रोजगार नहीं मिलता है आंदोलन बन्द नही होगा ।
विगत 19 दिसम्बर को खदान में प्रदर्शन के बाद सूची मंगाई गई थी पर अभी तक कंपनियों में रोजगार देना आरम्भ नही हुआ है और आउटसोर्सिंग कंपनियां बहाने बाजी कर रहे हैं जिससे नाराज बेरोजगारों ने आज ऊर्जाधानी संगठन के नेता रुद्र दास मंहत और सन्तोष चौहान की अगुआई में सीजीएम के कक्ष में पहुंचकर छेरछेरा में रोजगार की मांग किया ।
रुद्र दास महंत ने बताया कि प्रबधन के साथ वार्ता हुआ था जिसमे एक सप्ताह में बेरोजगारों की भर्ती शुरू करने का आश्वसन दिया गया था किंतु भर्ती शुरू नही होने से नाराज बेरोजगारों ने आज छत्तीसगढ़ की पारंपरिक त्यौहार में यह शांतिपूर्ण आंदोलन का रास्ता अपनाया है ।
उपरोक्त बातों की जानकारी ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के सन्तोष चौहान , कुश बंजारा ने कहा कि कोयला खदान विस्तार के लिए झूठा आश्वसन देकर किसानों की जमीन हथिया लिया जाता है और रोजगार , मुआवजा और बसाहट की समस्या का निराकरण नही किया जाता । वहीं रोजगार की आस में भटकते भूविस्थापित और प्रभावित बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए बहानेबाजी किया जाता है । किंतु अब युवा बेरोजगारों को उनका हक दिलाने के लिए सन्गठन अपना आंदोलन किया गया है । बेरोजगारों ने एसईसीएल प्रबधन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि ग्रामीणों को गुमराह करके मकानों का नापी के लिए बाध्य किया जा रहा है बसाहट के लिए ठोस योजना नही बनाई गई है । जमीन के एवज में रोजगार का मामला लटका कर रखा गया है और रोजगार के लिए वैकल्पिक व्यवस्था भी मुहैय्या नही कराया जा रहा है जबकि प्रभावित क्षेत्र से बाहर के लोंगो की भर्ती जारी है । इस तरह के सभी मामलों को जोड़कर आगे की आंदोलन की तैयारी है ।
उल्लखनीय है कि पूर्व में हुए आंदोलन के बाद प्रबधन के माध्यम से बेरोजगारों के द्वारा व्यक्तिगत निवेदन जमा कराया गया था किन्तु हर बार प्रबधन और नियोजित कम्पनियां क्षेत्र के बेरोजगारों की मांग की अनदेखी कर रहे हैं तथा दूसरे रास्ते से भर्ती कर लेते हैं जिससे लगातार उपेक्षा झेल रहे स्थानीय बेरोजगार कभी भी हिंसात्मक रास्ता अख्तियार कर सकते हैं