कोरबा@M4S:जिले की चारों विधानसभा सीटों पर हार-जीत का फैसला हो चुका है। चुनावी रण में 51 प्रत्याशी मैदान में थे। 8 हजार 488 मतदाता ऐसे थे जिन्हें ये प्रत्याशी पसंद नहीं आए। उन्होंने प्रत्याशियों को वोट करने के बजाए नोटा मेें बटन दबाया है। चारों विधानसभा में नोटा को खूब वोट मिले हैं। मजे की बात तो यह है कि कई निर्दलीय प्रत्याशी वोटों के मामले में नोटा से भी हार गए हैं। उन्हें उतने वोट भी नहीं मिले हैं जितने नोटा को मिले हैं।
मतदाताओं को अपना नेता चुनने का मताधिकार दिया गया है। मतदाता अपने पसंद के प्रत्याशी को वोट कर सकते हैं, लेकिन अगर चुनाव में चुनाव में उतरे प्रत्याशियों में से मतदाता को कोई भी पसंद नहीं है तो भी वे वोट कर सकते हैं। इसके लिए निर्वाचन आयोग ने नोटा का विकल्प भी दिया है। ईवीएम मशीनों में नोटा का विकल्प मौजूद रहा। चारों विधानसभा की बात की जाए तो सबसे ज्यादा पालीतानाखार में 3 हजार 557 मतदाताओं ने यह विकल्प चुना है। रामपुर में 2 हजार 497 मतदाताओं ने नोटा विकल्प का उपयोग किया। कटघोरा में 1 हजार 462 मतदाताओं ने इनमें से कोई पसंद नहीं का विकल्प चुनते हुए नोटा को वोट दिया। नोटा का सबसे कम वोट हाईप्रोफाइल कोरबा सीट पर वोट मिले हैं। यहां 972 मतदाता ही ऐसे थे जिन्होंने नोटा का विकल्प चुना। नोटा के विकल्प के कारण ईवीएम मशीनों में एक अतिरिक्त स्लॉट रखा गया था। कोरबा विधानसभा सीट में 19 प्रत्याशी मैदान में थे। 20वां विकल्प नोटा का था। वहीं कटघोरा में 14 और पालीतानाखार, रामपुर में 9-9 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। खास बात है कि नोटा को इस बार भी काफी वोट मिले हैं। वोटों की संख्या तो निर्दलियों से कहीं ज्यादा थी। जहां कई निर्दलीय तिहाई अंक में रहे। वहीं नोटा का आंकड़ा चार अंकों तक पहुंचा। हालांकि हार-जीत का आंकड़ा नोटा से अधिक प्रभावित नहीं हुआ, लेकिन पाली-तानाखार में जरूर नोटा का फैक्टर रहा। यहां हार-जीत का आंकड़ा काफी कम था और नोटा के वोट काफी ज्यादा था। अगर नोटा के वोट प्रत्याशियों को पड़ते को चुनावी नतीजा भी बदल सकता था।
जिले का बदला सियासी समीकरण
पिछले तीन विधानसभा चुनाव की बात करें तो जिले की चारों सीटों में भाजपा एक सीट ही जीतने में कामयाब रही थी। इस बार सियासी समीकरण बदला है। भाजपा की तरह इस बार कांग्रेस को एक सीट से संतोष करना पड़ा है, जबकि भाजपा ने अपने एक सीट में इजाफा करते हुए आंकड़ा दो तक पहुंचा लिया है। कोरबा विधानसभा सीट पर पहली बार 2008 में पहला चुनाव हुआ था। तब से लेकर 2018 के चुनाव तक जिले में भाजपा 1-3 के आंकड़े से ही संतोष कर रही थी। इस बार जहां यह सियासी समीकरण बदला है। वहीं कांग्रेस के अभेद किले कोरबा सीट पर भी सेंध लगाने में भाजपा कामयाब रही है।
पिछले तीन विधानसभा चुनाव के परिणाम
विधानसभा कोरबा
वर्ष विजयी प्राप्त मत निकटतम प्राप्त मत अंतर
2008 जयसिंह अग्रवल 48277 बनवारी अग्रवाल 47690 587
2013 जयसिंह अग्रवाल 72386 जोगेश लाम्बा 57937 14449
2018 जयसिंह अग्रवाल 70119 विकास महतो 58313 11806
विधानसभा रामपुर
वर्ष विजयी प्राप्त मत निकटतम प्राप्त मत अंतर
2008 ननकीराम कंवर 58415 प्यारेलाल कंवर 50094 8321
2013 श्यामलाल कंवर 67868 ननकीराम कंवर 57953 9915
2018 ननकीराम कंवर 65048 फूलसिंह राठिया 46873 18175
विधानसभा कटघोरा
वर्ष विजयी प्राप्त मत निकटतम प्राप्त मत अंतर
2008 बोधराम कंवर 38929 ज्योतिनंद दुबे 31963 6966
2013 लखन देवांगन 61646 बोधराम कंवर 48516 13130
2018 पुरुषोत्तम कंवर 59227 लखन देवांगन 47716 11511
विधानसभा पाली-तानाखार
वर्ष विजयी प्राप्त मत निकटतम प्राप्त मत अंतर
2008 रामदयाल उइके 48844 हीरासिंह मरकाम 28531 20313
2013 रामदयाल उइके 69450 हीरासिंह मरकाम 40637 28813
2018 मोहितराम केरकेट्टा 66971 हीरासिंह मरकाम 57315 9656