रायपुर@M4S:छत्तीसगढ़ के पांचवें मुख्यमंत्री के रूप में कांग्रेस के पाटन सीट से विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल के नाम पर राहुल गांधी ने मुहर लगा दी है, कल साइंस कॉलेज मैदान में 4:30 शपथ लेंगे।आज विधायक दल की बैठक में भूपेश बघेल का औपचारिक ऐलान कर दिया गया है।जिसमें सर्वसम्मति से सभी वरिष्ठ कांग्रेसियों ने अपना समर्थन दिया है।अजीत जोगी और अमित जोगी को पार्टी से बाहर करने का श्रेय भूपेश बघेल को ही जाता है। बैठक में पर्यवेक्षक मलिकार्जुन खड़गे और पीएल पुनिया मुख्य रूप से शामिल हुए हैं।
भूपेश बघेल किसान परिवार से संबंध रखते हैं।वह अपने आक्रामक तेवर के लिए जाने जाते हैं।छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत का सबसे ज्यादा श्रेय बघेल के सिर ही बंधा है।उन्होंने नगरीय निकाय से लेकर विधानसभा चुनाव तक जिस तरह रणनीति बनाने का काम किया। उसका फायदा कांग्रेस को प्रचंड जीत के रूप में मिला।
जानिए कौन है भूपेश बघेल….
1:- 23 अगस्त 1961 को दुर्ग में जन्मे भूपेश बघेल ने 80 के दशक में कांग्रेस के साथ अपनी सियासी पारी शुरू की थी। शुरुआत हुई यूथ कांग्रेस के साथ। 1990 से 94 तक वह जिला युवक कांग्रेस कमेटी दुर्ग (ग्रामीण) के अध्यक्ष रहे। 1993 से 2001 तक मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड के निदेशक रहे। 2000 में छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना, तब उन्होंने पाटन विधानसभा सीट से जीत हासिल की। इसके बाद वह कैबिनेट मंत्री भी बने। 2003 में कांग्रेस की सरकार गई तो उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।
कैबिनेट में राज्य मंत्री 1998
मध्यप्रदेश परिवहन मंत्री 1999
2:- 2004 लोकसभा चुनाव में भूपेश को दुर्ग से उम्मीदवार बनाया गया था। अक्टूबर 2014 में उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया और तब से इस पद पर हैं। उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते ही कांग्रेस को इस बार प्रचंड जीत मिली है। जीत का सबसे ज्यादा श्रेय बघेल को ही दिया जा रहा है।
3:- बघेल की असली ताकत विपक्षी दलों के खिलाफ मोर्चा खोलना रहा है। प्रदेश में कई मुद्दों को लेकर वह सड़क पर उतरे। नसबंदी कांड, आंख फोड़वा कांड, भूमि अधिग्रहण को लेकर हुए विवाद पर उन्होंने पदयात्राएं कीं और भाजपा सरकार को घेरा। 2018 विधानसभा चुनाव से पहले भी उन्होंने प्रदेश के कई हिस्सों में पदयात्रा कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरा। इसका नतीजा जीत के रूप में सामने आया।
4:- सख्त फैसले लेने से भी बघेल नहीं चूकते। यह बघेल ही थे जिन्होंने अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को पार्टी से बाहर करने का साहस दिखाया था। इसके बाद अजीत जोगी ने भी कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बना ली। लग रहा था कि जोगी फैक्टर के चलते भाजपा फिर सरकार बना लेगी, लेकिन बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने जबरदस्त जीत हासिल कर सियासी पंडितों को हैरान कर दिया।