कोरबा: कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में माकपा की प्रभावशाली उपस्थिति ने चुनाव संघर्ष को त्रिकोणीय और दिलचस्प बना दिया है। भाजपा और कांग्रेस द्वारा दी जा रही ‘गारंटियों’ पर माकपा नेताओं द्वारा अपने संघर्ष के रिकॉर्ड के बल पर रोजगार और पुनर्वास से जुड़ी स्थानीय समस्याओं को हल करने का वादा भारी पड़ रहा है।
माकपा प्रत्याशी जवाहर सिंह कंवर आदिवासी समुदाय से जुड़े हैं। उनकी पत्नी राजकुमारी कंवर कोरबा नगर निगम के मोंगरा वार्ड से पार्षद हैं, जिनकी साफ-सुथरी और संघर्षशील छवि है। कोरोना संकट में उनकी पहलकदमी को जनता भूली नहीं है। अपने वार्ड की समस्याओं को सुलझाने में और भूविस्थापितों के आंदोलन में वे हमेशा आगे रही है। इस छवि का फायदा जवाहर को मिलने जा रहा है। वे घर-घर जाकर संपर्क कर रहे हैं और 50 से अधिक गांवों का दौरा कर चुके हैं।
इधर माकपा के कार्यकर्ता जन संपर्क के साथ ही गांवों की सामूहिक बैठकें ले रहे हैं और जन समस्याओं के प्रति स्थानीय कांग्रेस विधायक और सांसद की निष्क्रियता को आड़े हाथों ले रहे हैं। वे निगम क्षेत्र में गरीबों का संपत्ति कर और जलकर, बिजली बिल माफ कराने, गेवरा रोड से यात्री ट्रेनें शुरू कराने, सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार करने, भूविस्थापितों को रोजगार और पुनर्वास देने और अधिग्रहित जमीन किसानों को वापस दिलाने, माइनिंग कॉलेज और अस्पताल की स्थापना कराने, बांकी मोंगरा को तहसील का दर्जा दिलाने, वनभूमि पर काबिजों को पट्टा दिलाने, सर्वे सूची की पाबंदी हटाकर सबको पेंशन का लाभ दिलाने और लावारिस पशुओं से बचाव का उचित समाधान खोजने का वादा कर रहे हैं। अपनी परेशानियों से तंग जनता पर इसका प्रभाव भी पड़ रहा है।
इसी सिलसिले में कल रात मड़वाढोढा में माकपा की एक बड़ी बैठक हुई, जिसमें गंगानगर, ढोंगरी, हर्राभाटा, बढाई नगर, विजय नगर, झिंगरपुर, बेलटिकरी, ढिंढोलभाटा, बांकी मोंगरा, शांति नगर, अवध नगर, कुचैना, मनगांव, भैसमाखार, बरपाली, रैनपुर, चाकाधमना, खोड़री, कुसमुंडा, चुरैल, गेवरा, कसरेंगा, नरईबोध, बरभाटा और भिलाई बाजार सहित 40 से अधिक गांवों के प्रमुख शामिल हुए। सभी ने भूविस्थापितों और आदिवासियों के लिए लड़ने वाली पार्टी माकपा को वोट देने और जवाहरसिंह कंवर को जीताने की शपथ ली।