कोरबा@M4S: जिले के कई गैस एजेंसियों के उपभोक्ता बिना तौल के सिलेंडर लेने को मजबूर हैं। सिलेंडर डिलिवरी करने वालों के पास नापने की मशीन नहीं होती। उपभोक्ताओं कम गैस होने की शिकायत करते हैं तो डिलिवरी करने वालों का जवाब होता है कि एजेंसी जाकर खुद ले आएं या तौला लें। जबकि नियम मुताबिक सिलेंडर डिलिवरी करते समय ग्राहकों के सामने तौल कर देने का है। होम डिलिवरी के साथ-साथ एजेंसी में तौल कराके सिलेंडर नहीं दिए जा रहे है।
जिले में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में अलग-अलग कंपनी के करीब 18 गैस एजेंसी संचालित हैं। कई बार ये शिकायत आ चुकी है कि हर महीने की खपत एक जैसे होने के बाद भी सिलेंडर जल्दी खत्म हो जाता है।शहर की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में एजेंसी संचालकों की मनमानी सबसे अधिक सामने आ रही है। दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों में एजेंसी गिनती के हैं। उपभोक्ता अधिक हैं। इसलिए सिलेंडर के लिए मारामारी रहती है। इसी हड़बड़ी में उपभोक्ता सिलेंडर ले लेते हैं। दरअसल सिलेंडर में एक-दो किलो कम गैस होने की वजह से इस तरह की समस्या आती है। इससे पहले भी एजेंसी के स्टॉफ द्वारा खाली सिलेंडर को भरकर बेचने के मामले सामने आ चुके हैं। एजेंसी संचालकों को जानकारी नहीं होती और होम डिलीवरी करने वाले स्टॉफ द्वारा गड़बड़ी की जाती है। लोग जल्दबाजी में सिलेंडर तो ले लेते हैं, लेकिन बाद में ठगा हुआ महसूस करते हैं। होम डिलिवरी कर एक सिलेंडर की कीमत एक हजार रुपए लिया जा रहा है।अगर गैस एजेंसी संचालक कोई समस्या न सुने या उसके निराकरण में आनाकनी करें तो उपभोक्ता संबंधित गैस एजेंसी के क्षेत्रीय अधिकारी से शिकायत कर सकते हैं। उनका पता व टेलीफोन नंबर गैस बुक में दिया रहता है। कंपनी की वेबसाइट पर भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जाती है। अपने क्षेत्र के फूड विभाग को भी सूचित कर सकते हैं। किसी भी सामान को मापने के लिए माप-तौल विभाग से प्रमाणित मशीन का उपयोग किया जाना चाहिए। हर साल मशीन की जांच कराना अनिवार्य है, लेकिन अधिकांश एजेंसी संचालक नियमों का पालन नहीं करते।