पत्रकार और शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश को पूरे देश में किया था गौरवान्वित
बिलासपुर@पद्मश्री पंडित श्याम लाल चतुर्वेदी का आज सुबह निधन हो गया। बिलासपुर के निजी अस्पताल में आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। पंडित श्यामलाल लंबे समय से बीमार चल रहे थे। पिछले दिनों रायपुर के भी निजी अस्पताल में उनका इलाज चला था। जिसके बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी थी।श्यामलाल चतुर्वेदी छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पहले चेयरमैन थे। उनकी उम्र 93 साल की थी।श्यामलाल चतुर्वेदी का जन्म 1926 में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कोटमी गाँव में हुआ था। पिछले साल ही उन्हें उत्कृष्ट नागरिक समान पद्मश्री से नवाजा गया था। बिलासपुर के श्यामलाल चतुर्वेदी को साहित्य, शिक्षा व पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया था ।अपने वक़्त में वे रायपुर-बिलासपुर करीब 114 किलोमीटर साइकिल से आना-जना करते थे। ये उनकी सादगी थी। वे जनसत्ता और नवभारत टाइम्स के प्रतिनिधि रहे। 1940-41 से लेखन आरंभ किया। शुरूआत हिन्दी में की लेकिन ‘विप्र’ जी की प्रेरणा से छत्तीसगढ़ी में लेखन शुरू किया। चतुर्वेदी शिक्षक भी थे।उनका कहानी संग्रह ‘भोलवा भोलाराम’ भी प्रकाशित हुआ। वे छत्तीसगढ़ी के गीतकार भी हैं। उनकी रचनाओं में ‘बेटी के बिदा’ प्रसिद्ध रचना है। उन्हें ‘बेटी के बिदा’ के कवि के रुप में लोग पहचानते हैं। बचपन में मां के कारण उनका रुझान लेखन में हुआ। उनकी मां ने उन्हें सुन्दरलाल शर्मा की ‘दानलीला’ रटा दी थी।
पं. श्यामलाल चतुर्वेदी को डॉ. महंत की भावपूर्ण श्रद्धांजलि
पद्मश्री पं.श्यामलाल चतुर्वेदी का शुक्रवार की सुबह निधन की खबर मिलने पर छत्तीसगढ़ प्रदेष कांग्रेस इलेक्षन कैम्पेन कमेटी के चेयरमेन डॉ. चरण दास महंत ने अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की है। डॉ. महंत ने कहा कि पद्मश्री पं. श्यामलाल अपने सादगी भरे जीवन व उत्कृष्ट पत्रकारिता के साथ-साथ साहित्य व षिक्षा के क्षेत्र मंे किए गए उल्लेखनीय योगदान के लिए सदैव जाने जाएंगे। 93 वर्षीय पं. श्यामलाल छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पहले चेयरमेन रहे व बीते वर्षों में उत्कृष्ट नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा गया था।