भू विस्थापित गोपाल-फिरतू दास के शहादत दिवस पर कुसमुंडा कार्यालय का घेराव और खदान बंद करेगी किसान सभा

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लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण,बसावट,जमीन वापसी की मांगो के साथ भू विस्थापितों के संघर्ष को तेज करने का लेंगे संकल्प

कोरबा@M4S:छत्तीसगढ़ किसान सभा द्वारा नरईबोध गोलीकांड की 26 वीं बरसी के अवसर पर 11 अगस्त को भूविस्थापितों पर गोली चलवाने वाले एसईसीएल प्रबंधन के कुसमुंडा कार्यालय के महाघेराव खदान बंद करते हुए कुसमुंडा मुख्यालय के सामने गोपाल एवं फिरतु दास को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण,बसावट,प्रत्येक खातेदारों को रोजगार एवं भू विस्थापितों की अन्य मूलभुत मांगो को लेकर संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया जाएगा।

छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ द्वारा एसईसीएल के खदानों से प्रभावित भू विस्थापित किसानों की लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण,बसावट, खमहरिया की जमीन किसानों को वापस करने,बसावट एवं प्रभावित गांव में मूलभुत सुविधा उपलब्ध कराने के साथ 11 सूत्रीय मांग को लेकर बिलासपुर के अधिकारियों को 29 जुलाई को गेवरा बैठक में सीएमडी के नाम ज्ञापन सौंप कर 10 दिनों में सकारात्मक पहल करने की मांग की गई थी लेकिन सीएमडी द्वारा कोई पहल अभी तक नहीं होने से भू विस्थापितों में एसईसीएल के प्रति काफी आक्रोश है।
कुसमुंडा कार्यालय घेराव खदान बंद करने एवं गोपाल एवं फिरतु दास को श्रद्धांजलि अर्पित करने के संबंध में कुसमुंडा में चल रहे अनिश्चित कालीन धरना स्थल में बैठक हुई। बैठक को संबोधित करते हुए
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि 11अगस्त 1997 में एसईसीएल कुसमुंडा खदान के लक्ष्मण परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण का ग्रामीणों द्वारा शांति पूर्ण विरोध किया जा रहा था। विरोध कर रहे ग्रामीणों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच शांतिपूर्ण वार्तालाप के दौरान चुपचाप और निहत्थे बैठे किसानों के उपर दमनात्मक कार्यवाही करते हुए एसईसीएल को जमीन सौंपने के लिए पुलिस ने गोली चलवा दी थी जिसमें दो भूविस्थापित गोपाल एवं फिरतु दास की मौत हो गयी और दर्जनों गंभीर रूप से घायल हो गए थे। शासक वर्ग की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों पर कार्यवाही के बदले गांव के ही निर्दोष 29 लोगों के उपर कार्यवाही कर दीं थी। गोलीकांड में एसईसीएल प्रबंधन,प्रशासन और तत्कालीन कांग्रेस सरकार का हाथ था। गोपाल एवं फिरतु दास को श्रद्धांजलि उसी कुसमुंडा मुख्यालय के कार्यालय और खदान को बंद कर दिया जायेगा। इस श्रद्धांजलि अर्पित कार्यक्रम और खदान बंद एवं कार्यालय घेराव में 50 से अधिक गांव के भू विस्थापित किसान शामिल होंगे।

किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि भू विस्थापित रोजगार के लंबित प्रकरणों का निराकरण की मांग करते हुए थक गए हैं अब अपने अधिकार को छिन कर लेने का समय आ गया है। विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दीये गए विस्थापित परिवारों की जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है। 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन करने के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था।कोयला खदानों के अस्तित्व में आ जाने के बाद विस्थापित किसानों और उनके परिवारों की सुध लेने की किसी सरकार और खुद एसईसीएल के पास समय ही नहीं है।विकास की जो नींव रखी गई है उसमें प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। खानापूर्ति के नाम पर कुछ लोगों को रोजगार और बसावट दिया गया जमीन किसानों का स्थाई रोजगार का जरिया होता है। सरकार ने जमीन लेकर किसानों की जिंदगी के एक हिस्सा को छीन लिया है। इसलिए जमीन के बदले सभी खातेदारों को स्थाई रोजगार देना होगा।भू विस्थापित किसानों के पास अब संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।

उल्लेखनीय है कि 31अक्टूबर 2021 को लंबित प्रकरणों पर रोजगार देने की मांग को लेकर कुसमुंडा क्षेत्र में 12 घंटे खदान जाम करने के बाद एसईसीएल के महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष दस से ज्यादा गांवों के किसान 647 दिनों से अनिश्चित कालीन धरना पर बैठे हैं। इस आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ किसान सभा शुरू से ही उनके साथ खड़ी है।

किसान सभा के नेता दीपक साहू, जय कौशिक ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार, को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है। खमहरिया के किसान 40 वर्षों से जिस जमीन पर खेती किसानी कर रहे है उसे प्रबंधन प्रशासन का सहारा लेकर किसानों से जबरन छीनना चाह रही है जिसका किसान सभा विरोध करती है और उन जमीनों को किसानों को वापस करने की मांग करती है। किसान सभा भू विस्थापितों की समस्याओं को लेकर उग्र आंदोलन की तैयारी कर रही है। जल्द जिले के सभी उद्योगों से प्रभावित भू विस्थापित किसानों को एकजुट कर सम्मेलन आयोजित की जाएगी जिसमें आगे आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।

भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम, रेशम यादव,रघु यादव, सुमेन्द्र सिंह कंवर ठकराल ने कहा कि भू विस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा और वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे।

बैठक में प्रमुख रूप से मोहनलाल यादव,बसंत चौहान,मंगल,हरिहर,बृजमोहन,हेमलाल,जितेंद्र,अनिल बिंझवार, कृष्णा,मानिक दास,फणींद्र,नरेंद्र,आनंद,चंद्रशेखर, उत्तम,गोरेलाल,हरिशरण,अशोक,के साथ प्रभावित भू विस्थापित उपस्थित थे।

किसान सभा की प्रमुख मांग है
* वन टाइम सेटलमेंट कर रोजगार के पुराने लंबित मामलो का जल्द से जल्द निराकरण किया जाये और अर्जन के बाद जन्म वाले प्रकरण का निराकरण कर जिनकी भी जमीन अधिग्रहण की गई है उन्हे बिना शर्त रोजगार प्रदान किया जाए
*खदान बंद हो जाने अथवा अनुपयोगी होने पर पुराने अर्जित भूमि को मूल खातेदारों को वापसी करायी जाये | कोरबा एवं कुसमुंडा क्षेत्र में अर्जित जमीन मूल खातेदारों को वापस किया जाए और जरूरत होने पर पुन: अर्जन की प्रक्रिया पूरा कर पुनर्वास नीति के अनुसार भू विस्थापितों को लाभ दिलाया जाए।
* अर्जित गाँव से विस्थापन से पूर्व उनके पुनर्वास स्थल की सर्वसुविधायुक्त व्यवस्था किया जाये |
*आउट सोर्सिंग कार्यों में भू विस्थापितों एवं प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराया जाए
*महिलाओं को स्व रोजगार योजना के तहत रोजगार उपलब्ध कराया जाए
*पुनर्वास गांव में काबिज भू विस्थापितों को पूर्ण काबिज भूमि का पट्टा दिया जाए
*पुनर्वास गांव में काबिज भू विस्थापित परिवार को पूर्ण काबिज भूमि का पट्टा दिया जाए।
* विजयनगर, नेहरु नगर,गंगानगर,भैसमाखार,वैशाली नगर, समेत सभी पुनर्वास गांव को पूर्ण विकसित माडल गांव बनाने और सभी मूलभूत सुविधाएं पानी बिजली निःशुल्क उपलब्ध कराया जाये।

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