नई दिल्ली(एजेंसी):मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ-साथ केंद्रीय या राज्यों के विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले की प्रक्रिया चल रही है। आर्थिक रूप से सम्पन्न और सक्षम परिवारों से आने वाले छात्र-छात्राओं को प्रोफेशनल यूजी-पीजी कोर्सेस की महँगी फीस भरने में कोई समस्या नहीं आती है। दूसरी तरफ, कई स्टूडेंट्स जो अपनी मेहनत से एडमिशन के लिए सीट तो पा लेते हैं, लेकिन गरीब परिवारों से होने कारण हाई फीस भरने असमर्थ होते हैं। इन स्टूडेंट्स व पैरेंट्स के लिए एक ही ऑप्शन होता है शिक्षा ऋण (Education Loan)। जैसे ही एजुकेशन लोन लेने की बात आती है तो सबसे पहला प्रश्न दिमाग में आता है कि लोन सरकारी बैंक से लें या प्राइवेट बैंक से। आइए इस सवाल का जवाब ढूढने में हम आपकी मदद करते हैं।
शिक्षा ऋण सरकारी बैंक से लें या प्राइवेट बैंक से? ऐसे करें डिसाइड
एजुकेशन लोन सरकारी बैंक से लेना चाहिए या प्राइवेट बैंक से, इसके लिए स्टूडेंट्स या पैरेंट्स को डिसाइड करने के लिए कुछ फैक्टर्स को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए:-
आपके कोर्स के लिए लोन
सरकारी हो या प्राइवेट, ज्यादातर बैंक एजुकेशन लोन देने के लिए प्रोफेशनल और लॉन्ग-टर्म कोर्सेस को वरीयता देते हैं ताकि उन्हें मिलने वाला ब्याज अधिक हो। विशेषतौर पर प्राइवेट बैंक उन्हीं कोर्सेस के लिए फंडिंग देते हैं जो कि जॉब ओरिएंटेड हो या टेक्निकल या मेडिकल, आदि से सम्बन्धित हों। ऐसे स्टूडेंट्स को यह चेक करना जरूरी है कि जिस कोर्स के लिए लोन लेना चाहते हैं, उसके लिए सरकारी बैंक या प्राइवेट बैंक लोन दे रहा है।
लगने वाला ब्याज और अन्य शुल्क
आमतौर पर सभी बैंकों के एजुकेशन लोन पर लिया जाने वाले ब्याज अलग-अलग होता है। सरकारी और प्राइवेट सभी बैंक मार्केट में कॉम्पीटिशन के चलते कमतर ब्याज का ऑफर देते हैं। साथ ही, बैंकों द्वारा कई प्रकार के शुल्क लिए जाते हैं, जैसे- प्रॉसेसिंग फीस, ईएमआइ बाउंस फीस, प्री-क्लोजर चार्ज, पार्ट-पेमेंट चार्ज, आदि। ऐसे में स्टूडेंट्स को ब्याज (RoI) और इन सभी चार्जेंस को अपने डिसिजन में जरूरी फैक्टर्स के तौर पर शामिल करना चाहिए।
मार्जिन मनी
लगभग सभी बैंकों के एजुकेशन लोन में कोर्स की कुल फीस का कुछ हिस्सा स्टूडेंट्स (या पैरेंट्स) को स्वयं भरना होता है। यदि किसी छात्र या छात्रा के पास पैसे की अत्यधिक कमी है तो उसे कम मार्जिन मनी वाला लोन लेना चाहिए। हालांकि, यदि संभव हो तो मार्जिन मनी अधिक रखनी चाहिए ताकि लोन भरने में आसानी हो और कम ब्याज भरना पड़े।
ईएमआइ हॉलीडे व अन्य ऑफर
करीब-करीब सभी सरकारी और प्राइवेट बैंक ज्यादा से ज्यादा कस्टमर बनाने के लिए तरह-तरह के ऑफर देते हैं। इनमें कम ब्याज दर, प्रॉसेसिंग फीस पर छूट, Moratorium Period के साथ-साथ ग्रेड पीरिएड और ईएमआइ हॉलीडे। बता दें Moratorium Period वह अवधि होती है जिसके दौरान बैंक आपको भुगतान न करने की छूट देता है। इसी प्रकार कोर्स कंपलीट होने के बाद ईएमआइ शुरू होने के पहले ग्रेस पीरियड भी मिलता है। साथ ही, कुछ बैंक इनके अतिरिक्त ईएमआइ हॉलीडे भी ऑफर करते हैं।
उपरोक्त फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए स्टूडेंट्स या पैरेंट्स डिसाइड कर सकते हैं कि एजुकेशन लोन सरकारी बैंक लें या प्राइवेट बैंक से।