छत्तीसगढ़ में एसईसीएल अगले पाँच सालों में लगाएगी 26 लाख पौधे वित्तीय वर्ष ‘23-28 के बीच राज्य में वृक्षारोपण पर करेगी 131 करोड़ रुपये खर्च

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वृक्षारोपण कार्य के लिए छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के साथ किया समझौता

बिलासपुर@M4S:एसईसीएल अगले पांच वर्षों के दौरान छत्तीसगढ़ में 26 लाख से अधिक पौधे लगाएगी जिस पर कंपनी लगभग 131 करोड़ रुपये खर्च करेगी। कंपनी ने हाल ही में राज्य में वृक्षारोपण कार्य के लिए छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के साथ समझौता किया है। वृक्षारोपण 2023-24 से 2027-28 तक पाँच वर्षों की अवधि के लिए किया जाएगा और इसके बाद वृक्षारोपण के प्रत्येक वर्ष के लिए 4 वर्षों का रखरखाव किया जाएगा।

यह कंपनी का तीसरा ऐसा समझौता है। इससे पहले पिछले दो समझौतों के माध्यम से कंपनी ने 2013-14 और 2022-23 के बीच 133 करोड़ रुपये से अधिक की कुल लागत से छत्तीसगढ़ में 46 लाख से अधिक पौधे लगाए हैं।
समझौते के अनुसार राज्य के वन विकास निगम द्वारा कंपनी की किसी भी प्रकार की अधिग्रहित/पट्टे/खरीदी हुई/हस्तांतरित भूमि जैसे किरायेदारी, सरकारी, राजस्व और वन भूमि पर उचित विशेषज्ञता और पर्यवेक्षण के साथ वृक्षारोपण का कार्य किया जाएगा।

वृक्षारोपण कार्य में छह से बारह माह के (पॉलीपोट) पौधों का उपयोग किया जाएगा। वृक्षारोपण के लिए विभिन्न प्रजातियों के फल देने वाले पेड़ जैसे जामुन, इमली, बेल, आम, सीताफल आदि और औषधीय/हर्बल पौधे जैसे नीम, आंवला, करंज आदि शामिल हैं।

इनके अलावा, सागौन, साल, बांस, बबूल, सिस्सू, सफेद शिरीष जैसे मूल्यवान लकड़ी के पेड़ और गुलमोहर, कचनार, अमलतास, पीपल, झारुल आदि सजावटी/एवेन्यू पौधे भी लगाए जाएंगे। स्थानीय समुदायों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, एमओयू में यह भी प्रस्तावित है कि पौधों की प्रजातियों का चयन स्थानीय ग्रामीणों की राय से भी किया जाएगा।

हरित क्षेत्र को बढ़ावा देने और जैव विविधता के विकास और संरक्षण के लिए, एसईसीएल अपने खनन क्षेत्रों में और उसके आसपास व्यापक वृक्षारोपण कर रहा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में कंपनी ने 365 हेक्टेयर क्षेत्र में 8 लाख से अधिक पौधे लगाकर अपने इतिहास का सबसे अधिक वृक्षारोपण किया है। सैटेलाइट तस्वीरों ने उन क्षेत्रों में हरित क्षेत्र में काफी सुधार दिखाया है जहां एसईसीएल द्वारा वृक्षारोपण कार्य किया गया है।

कंपनी सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास कर रही है जिसके तहत पुरानी/परित्यक्त खदानों पर इको-पार्क, ऑक्सीजन पार्क और खनन पर्यटन स्थल विकसित किए गए हैं। वैज्ञानिक उपचार के बाद खदान के पानी की कृषि और घरेलू उपयोग के लिए आसपास के कस्बों और गांवों में आपूर्ति की जा रही है। कंपनी नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सौर ऊर्जा परियोजनाएं भी विकसित कर रही है।

इसके अतिरिक्त कंपनी द्वारा मध्यप्रदेश में भी वृक्षारोपण कार्य के लिए राज्य वन विकास निगम के साथ समझौता किया गया है जिसके तहत कंपनी मध्य प्रदेश में अगले पाँच वर्षों में 38 करोड़ रुपए की लागत से लगभग 12 लाख पौधे लगाएगी।

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