कोरबा@M4S:करतला वन परिक्षेत्र में हाथियों की मौजूदगी लंबे समय से बनी हुई है। हाथी अलग-अलग दल में बिछड़ कर रहे हैं। एक झुण्ड पिछले 1 सप्ताह से चचिया में डेरा डाले हुए हैं। दल में 12 हाथी शामिल हैं। वन अमला द्वारा हाथियों की निगरानी की जा रही है। जंगल में पर्याप्त भोजन पानी मिलने के कारण हाथी गांव की ओर रुख नहीं कर रहे हैं, हालांकि उनके गांव में घुसने के खतरे को देखते हुए वन अमला अलर्ट है।
कुदमुरा के चचिया बीट के कक्ष क्रमांक 1133 में एक दर्जन हाथी डेरा डाले हुए हैं। झुंड में 3 नर, 5 मादा और 4 शामिल हैं। हाथियों ने गांव में फिलहाल कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। हाथियों की मौजूदगी से ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है। जंगल में हाथियों की मौजूदगी को देखते हुए ग्रामीणों को जंगल की ओर न जाने की हिदायत दी जा रही है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वर्षा ऋतु में जंगल हरा भरा है। हाथियों को जंगल में ही पर्याप्त भोजन मिल रहा है। साथ ही जोगीडबरी में पानी भरा हुआ है, जिससे वह अपनी प्यास बुझा रहे हैं। पर्याप्त भोजन और पानी मिलने के कारण हाथी फिलहाल गांव की ओर रुख नहीं कर रहे हैं। किसान वनोपज और पुटु बिनने को लेकर जंगल की ओर जाते हैं। खेती किसानी का काम भी जोरों पर है। ऐसे में हाथियों से खतरा बना हुआ है। ग्रामीणों को जंगल की ओर ना जाने सुबह और शाम मुनादी कराई जा रही है। वनमंडल कोरबा अंतर्गत कुदमुरा रेंज में हाथी चचिया के अलावा कनकीखार तथा कलमीटिकरा क्षेत्र में भी हाथी विचरण कर रहे हैं, जिससे खतरा बढ़ गया है, जबकि दो दंतैल कनकीखार व कलमी टिकरा में है। कनकीखार में मौजूद दंतैल की आमद बालको-पसरखेत के रास्ते कुदमुरा जंगल में हुई और जंगल का रास्ता तय करते हुए कनकीखार पहुंचा है, वहीं कलमीटिकरा में घूम रहा अन्य दंतैल धरमजयगढ़ क्षेत्र से गीतकुंवारी होते हुए पहुंचा है। वन विभाग द्वारा हाथियों की लगातार निगरानी की जा रही है।
एक सप्ताह से चचिया के जंगल में जमे हैं हाथी निगरानी में जुटा हुआ अमला, करा रहा मुनादी
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